Oswal 36 Sample Question Papers CBSE Class 10 Hindi A Solutions

खण्ड - 'क'

(बहुविकल्पी/वस्तुपरक प्र)

1.

(1) (क) अपनी दानवीरता तथा त्याग के लिए।
(2) (ग) उन्हें इस धरती को छोड़कर जाना पड़ा।
(3) (क) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(4) (ग) कथन (ii) सही है।
(5) (घ) इन सभी का

2.

(1) (ग) कथन (i), (iii) व (iv) सही हैं।
(2) (घ) मनुष्य स्वार्थी हो गया है, केवल अपने बारे में ही सोचता है।
(3) (घ) अहंकार की भावना।
(4) (ग) कथन (A) व (R) सही है और कथन (A), (R) की सही व्याख्या है।
(5) (ग) अनुशासनहीन हो गए हैं।

3.
(1) (ख) आप बुल ाएँगे तो वह आ जाएगा।
(2) (ग) वह परिश्रमी होने के साथ-साथ ईमानदार भी है।
(3) (क) इस समय जो आराम कर रही हैं, वे मेरी दादीजी हैं।
(4) (क) कथन (i) व (iii) सही हैं।
(5) (ख) 1-iii, 2-i, 3-ii

4.
(1) (क) माली फूल तोड़ेगा।
(2) (ख) मुझसे दौड़ा नहीं जाता।
(3) (ग) कर्मवाच्य
(4) (क) केवल 2 सही है।
(5) (ग) 1-iii, 2-ii, 3-i

5.
(1) (ख) प्रश न् वाचक सर्वनाम, अन्यपुरुष पुल्लिंग, एकवचन, कर्ताकारक
(2) (क) भाववाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्मकारक
(3) (ख) सकर्मक क्रिया, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्तृवाच्य, वर्तमान काल
(4) (घ) परिमाणवाचक विशेषण, पुलंिल् ग, एकवचन, दूध विशेष्य
(5) (ग) संख्यावाचक विशेषण, क्रमसूचक, एकवचन, पुलंिल् ग, साल ‘विशेष्य’ 

6.
(1) (घ) अतिशयोक्ति
(2) (ग) उत्प्रेक्षा
(3) (ख) उत्प्रेक्षा
(4) (ख) शब्दालंकार
(5) (ग) श्लेष

7.
(1) (ग) भगत जी की मौत एक संत के अनुरूप हुई।
(2) (क) संत-समागम और लोक-दर्शन पर
(3) (ख) तीस कोस
(4) (ग) चार या पाँच दिन
(5) (क) नेम-व्रत

8.
(1) (ग) शहनाई वादन का अभ्यास करने के लिए।
(2) (घ) जिसने सबसे पहले आग का आविष्कार किया

9.
(1) (घ) उपरोक्त सभी।
(2) (ग) (क) और (ख) दोनों।
(3) (ग) (क) और (ख) दोनों।
(4) (क) दूध, घी, शहद और गंगाजल से मिलाकर बनाया गया पेय।
(5) (क) शिशु का पालन माँ ने ही किया है।

10.
(1) (ख) संगतकार की इंसानियत
(2) (ग) फागुन की मादकता में जन-जन पक्षी की तरह पंख फैलाकर उड़ने के लिए व्याकुल हो जाता है।

(Any two)

खण्ड - ‘ख’

(वर्णनात्मक प्रश्न)

11.
(क) कस्बा बहुत बड़ा नहीं था। कस्बे में कुछ ही पक्के मकान थे। एक छोटा-सा बाजार था। कस्बे में लड़के और लड़कियों का एक-एक स्कूल था। सीमेंट का एक छोटा-सा कारखाना था। दो ओपन एअर सिनेमाघर थे और एक नगरपालिका थी।
(ख) मोह में व्यक्ति किंकर्त्तव्य विमूढ़ और स्वार्थी हो जाता है, जबकि प्रेम निःस्वार्थ होता है। प्रेम में प्रिय का हित सर्वोपरि होता है। इसे भगत के जीवन के आधार पर इस प्रकार समझा जा सकता है–
(i) भगत को अपने बेटे से प्रेम था मोह नहीं इसीलिए वह अपने बेटे की मृत्यु पर उसे सांसारिक बंधन से मुक्त हुआ जान गीत गाते हैं। उसकी मृत्यु को आत्मा-परमात्मा का मिलन कहकर उत्सव मनाने की बात करते हैं।
(ii) अपनी पुत्रवधू के प्रति निःस्वार्थ प्रेम प्रकट करते हुए उसका पुनर्विवाह करने की बात करते हैं।
(ग) इस व्यंग्य रचना के बहाने यशपाल जी ने उस पतनशील सामंती वर्ग पर व्यंग्य किया है जो वास्तविकता से दूर बनावटी जीवन जीने का आदी है। नवाब साहब का पेट केवल खीरे को सूंघने मात्र से भर गया, यह तथ्य लेखक की समझ से परे है। आज के समय मे भी हम समाज मे ऐसी झुठी नवाबी शान का दिखावा करने वाले लोगों को देख सकते हैं।
(घ) काशी के पक्का महाल से मलाई बरफ बेचने वालों का चले जाना, देशी घी में मिलावट होना, जलेबी-कचौड़ी का स्वाद चला जाना, गायकों के मन में संगतियों के लिए सम्मान का न रहना, संगीत साहित्य तथा अदब का मान-सम्मान न रहना, हिन्दू-मुस्लिम एकता में कमी होना आदि परिवर्तन बिस्मिल्ला खाँ को व्यथित करते थे।

12.
(क) गोपियों को यह विश्वास था कि श्रीकृष्ण शीघ्र ही लौट आएँगे, परंतु श्रीकृष्ण ने स्वयं न आकर उद्धव के माध्यम से गोपियों के लिए योग का संदेश भिजवा दिया। इस उपदेश ने आग में घी का काम किया और उनकी विरहाग्नि और अधिक प्रज्ज्वलित हो उठी।
(ख) ‘उत्साह’ कविता एक आह् व ान गीत है। इस कविता के माध्यम से कवि बादलों से गर्जना कर उदासीन जनमानस के मन में चेतना का संचार करने का आग्रह करता है। कवि क्रांति लाने के लिए लोगों को उत्साहित करना चाहता है और क्रांति चेतना के लिए भी उत्साह आवश्यक है। इसीलिए कवि ने कविता का शीर्षक ‘उत्साह’ रखा है।
(ग) गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा ऐसे लोगों को देने की बात कही है, जिनका मन स्थिर नहीं है, जो चक्र के समान घूमते रहते हैं, जो भ्रामक हृदय वाले हैं तथा जिनके मन में भटकाव है। गोपियों का मन कृष्ण में रमा हुआ है अतः योग उनके लिए व्यर्थ हैं।
(घ) पाठ (राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद) के आधार पर परशुराम के स्वभाव की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं–
(i) वे क्षत्रियों के प्रबल विरोधी थे।
(ii) वे बाल ब्रह्मचारी एवं अत्यंत क्रोधी स्वभाव वाले थे।

13.
(क) लेखक का अपने पिता से बहुत गहरा सम्बन्ध था। पिता भी लेखक से मित्रवत व्यवहार करते थे। किंतु विपत्ति के समय बालक अपने पिता के पास न जाकर अपनी माँ के आँचल की शरण लेता है। इसका कारण है कि माँ का स्नेह बालक के लिए किसी दवा से भी अधिक महत्वपूर्ण होता है। माँ के आँचल की छाया में शिशु अपने आप को सुरक्षित महसूस करता है। माँ का स्नेह उसे आत्मीयता का आभास भी कराता है।
(ख) जापान में सड़क पर घूमते समय लेखक ने एक जले हुए पत्थर पर एक लम्बी-उजली छाया देखी। उन्हें लगा कि यह छाया विस्फोट के समय वहाँ खड़े व्यक्ति की है, जो विस्फोटक (रेडियोधर्मी पदार्थ) की किरणों से भाप बनकर उड़ गया होगा। विस्फोट की भीषणता पत्थर पर परिलक्षित हो रही थी। ऐसे दृश्य की कल्पना मात्र से लेखक को घटना की भयावहता की अनुभूति हो गई। इसी संवेदना से लेखक ने स्वयं को हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता महसूस किया।
(ग) झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया हुआ गंतोक लेखिका को रहस्यमय और जादुई प्रतीत हो रहा था। उसे ऐसा लग रहा था मानो आसमान उलट पड़ा हो और सारे तारे नीचे बिखर कर टिमटिमा रहे हों। दूर ढलान लेती तराई पर सितारों के गुच्छे रोशनियों की एक झालर सी बना रहे थे। इस वातावरण का जादू लेखिका पर पूरी तरह छा गया था। उसके आसपास सिर्फ शून्य था।

14.

(क) मेक इन इंडिया

‘मेक इन इंडिया’ अभियान भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी द्वारा चलाई गई एक नई योजना है। वे चाहते हैं कि भारत एक उद्यमी और उत्पादक देश बने। ‘मेक इन इंडिया’ का नारा बहुत उत्साहवर्धक है, परंतु अभी हमारे देश के लोग नौकरी करना पसं द करते हैं। उद्यम लगाने के लिए आवश्यक साहस की उनमें कमी है। उन्हें भारत की वर्तमान आवश्यकता को समझना होगा। उन्हें यह संकल्प लेना होगा कि वे भारत को आत्मनिर्भर देश बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके लिए यह आवश्यक है कि आज के युवा स्वयं अपने स्वामी बनें। नौकरी करने के बजाय औरो को नौकरी देने में सक्षम हो सकें । इसके लिए सरकार को भी सहयोग देना होगा तथा जनता को भी साहस एकत्र करके आगे आना होगा। यदि मेक इन इंडिया का कार्यक्र म सफल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब भारत उद्यमिता के क्षेत्र में सर्वोच्च शिखर पर पहुंचेगा 

(ख) आज की माँगः संयुक्त परिवार

एक अविभाजित परिवार जिसमें एक से अधिक पीढ़ियो के लोग एक ही घर में मिल-जुलकर साथ रहते है |  संयुक्त परिवार कहलाता  है | इस परिवार में घर का वयोवृद्ध व्यक्ति (पुरुष) मुखिया के रूप में परिवार के सभी सदस्यों के कार्यों का विभाजन, उत्पादन और उपभोग की व्यवस्था करता है। संयुक्त परिवार के सदस्य आर्थिक रूप से सुरक्षित रहते हैं। कोई भी विपदा आने पर सब मिलकर उसका सामना करते हैं। आज औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप एकल परिवारों की स्थापना और संयुक्त परिवारों का तेजी से होता विघटन चिंता का विषय बन गया है। धनोपार्जन में व्यस्त माता-पिता के बच्चे अकेले रहकर बुरी आदतों और मानसिक रोगों का शिकार हो रहे हैं तथा पति-पत्नी अहं का टकराव होने से अवसाद ग्रस्त हो रहे हैं। दूसरी ओर वृद्धों को भी उचित संरक्षण प्राप्त नहीं हो रहा है। इस स्थिति को सुधारने के लिए हमारी संस्कृति की अनमोल परम्परा हमारे संयुक्त परिवार
आज की माँग हैं।

(ग) साक्षरता अभियान/सर्वशिक्षा अभियान

साक्षरता अभियान का लक्ष्य सभी भारतीयों को साक्षर बनाना है। भारत का एकमात्र केरल राज्य पूर्णतः साक्षर है। शिक्षाविहीन व्यक्ति सींग और पूँछ रहित पशु के समान होता है | शिक्षा, ज्ञान का विकास करके हमे परिवेश, स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति सजग बनाती है। शिक्षा मनुष्यों को संस्कारवान बनाने के साथ ही अधिकारों और कर्त्तव्यों के प्रति जागरूक करने, गरीबी, लिंग-अनुपात सुधारने तथा भ्रष्टाचार और आतंकवाद को समाप्त करने में भी समर्थ है। साक्षरता अभियान के अंतर्गत विद्यालयी शिक्षा में गुणात्मक सुधार के साथ-साथ 15 से 35 वर्ष की उम्र के और प्रौढ़ निरक्षरो को साक्षर बनाने का भी लक्ष्य है यह कार्य केवल सरकारी स्तर पर नहीं किया जा सकता इसके लिए स्वयंसवीे संस्थाओ को भी आगे आना होगा। शिक्षित और साक्षर लोग ही मिलकर प्रजातंत्र को सफल बनाएँगे और स्वर्णिम भारत का निर्माण करेंगे।

15. (क)

सेवा में
मुख्य प्रबंधक,उत्तर रेलवे,
नई दिल्ली।
विषयः रेल कर्मचारी के अभद्र व्यवहार की शिकायत हेतु।
महोदय,
मैं आपका ध्यान ............... एक्सप्रेस में टिकट चेकर (क्रम सं. 2222) के अभद्र व्यवहार की ओर आकर्षित करना चाहती हूँ। कल दिनांक को प्रातः 7:00 बजे नई दिल्ली स्टेशन से आगरा जाने के लिए मैं इस गाड़ी में बैठा। मेरी सीट आरक्षित थी। थोड़ी देर में उक्त चेकर एक अन्य यात्री को लेकर आए और उन्हें मेरी सीट पर बैठाने लगे। मैंने अपना आरक्षण दिखाया तो वह अभद्र व्यवहार करने पर उतर आए। टी. टी. ने उस यात्री से सीट दिलाने के लिए `500 की रिश्वत ली थी। मेरी सारी यात्रा कष्टपूर्ण रही। आशा है कि आप इस टी. टी. के विरुद्ध उचित कार्यवाई करेंगे, ताकि अन्य यात्रियों को इस प्रकार की स्थिति का सामना न करना पड़े।
धन्यवाद सहित
भवदीय
निशा
म. सं. 214,
सेक्टर 12, रोहिणी,
नई दिल्ली।

अथवा

(ख)

ए/24, साकेत कॉलोनी,
नई दिल्ली।
दि नांक 27-08-20XX
आदरणीय मामाजी,
सादर प्रणाम,
आशा है, आप न्यूयॉर्क में सपरिवार पूर्णतः स्वस्थ एवं प्रसन्नचित्त होंगे। काफी समय से आपका कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ। मामा जी आपको भारत से गए हुए दस वर्ष हो गए हैं। हम सभी आपको बहुत याद करते हैं। अब भारत भी प्रगति की दौड़ में काफी आगे निकल गया है। यहाँ भी सभी प्रकार की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। आप एक कुशल चिकित्सक हैं। भारतवासियों को आपकी चिकित्सीय सेवाओं की अत्यंत आवश्यकता है। यहाँ आकर आपको सम्मान भी खूब मिलेगा। अब भारत अमेरिका से किसी भी दृष्टि में कम नहीं रह गया है। मुझे पूर्ण आशा है कि आप भारत लौटने के बारे में गंभीरतापूर्वक विचार करेंगे। हम सभी आपके आने का इंतजार कर रहे हैं।
मामी जी को मेरा प्रणाम और क्षितिज को बहुत प्यार कहिएगा।
आपका प्रिय भांजा
निर्मल कुमार

16. (क)

प्रति,
शिक्षा निदेशक,
शिक्षा निदेशालय,
दिल्ली।
विषयः प्रशिक्षित स्नातक अध्यापकों की भर्ती हेतु आवेदन-पत्र।
महोदय,
मुझे 05 फरवरी, 20XX को प्रकाशित दैनिक जागरण समाचार-पत्र से ज्ञात हुआ कि शिक्षा निदेशालय को विभिन्न विषयों के प्रशिक्षित स्नातक अध्यापकों की आवश्यकता है। प्रार्थी भी स्वयं को एक उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत कर रहा है, जिसका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है–
नाम–मनोज कुमार
पिता का नाम–श्री रामस्वरूप
जन्मतिथि–25 दिसंबर, 1991
पताःसी/125, सागरपुर दिल्ली।
शैक्षणिक योग्यताएँ–

क्र. स. परीक्षा वर्ष विद्यालय/बोर्ड/महाविद्यालय/विश्वविद्यालय प्रतिशत
1. दसवीं 2006 सी.बी.एस.ई. 70%
2. बारहवीं 2008 सी.बी.एस.ई. 79%
3. बी.ए. 2011 दिल्ली विश्वविद्यालय 72%
4. एम.ए. 2013 इंद्रप्रस्थ विश्वविद्याल 76%

धन्यवाद
भवदीय
मनोज कुमार
दिनांक 07 फरवरी, 20XX
संलग्नः शैक्षणिक एवं अनुभव प्रमाण-पत्रों की छायांकित प्रति

अथवा

To : [email protected]
cc: [email protected]
Subject: वार्षिकोत्सव में आयोजित खेलकूद में भाग लेने हेतु पत्र।
महोदया,
सविनय निवेदन यह है, कि मैं आपके विद्यालय की दसवीं की छात्रा हूँ। आज ही कक्षाध्यापिका से वार्षिकोत्सव में खेलकूद प्रतियोगिता के आयोजन के विषय में सुना। जैसा आपको विदित है कि इस बार राष्ट्रीय व स्कूली स्तर पर आयोजित कई प्रतियोगिताओं में मैंने भाग लिया है व पुरस्कार भी जीते हैं। मेरा आपसे यही निवेदन है कि मुझे आप विद्यालय की इन प्रतियोगिताओं में खेलने की अनुमति प्रदान करें। आपकी अति कृपा होगी।
सधन्यवाद,
आपकी आज्ञाकारी शिष्या
क ख ग
कक्षा दसवीं (अ)

17. (क)

157

अथवा

(ख)

CBSE 36 Sample Question Papers
All Subject Combined

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