Kahani Lekhan in Hindi: कहानी लेखन एक ऐसा लेखन है जिसमें आप किसी घटना या काल्पनिक घटना का वर्णन करते हुए उसे क्रम में कड़ियों में पिरोना शुरु करते है ताकि बाद में आप उसका निष्कर्ष निकाल पाये। वास्तव में कहानी लेखन एक ऐसी कला है जो आपकी कहानी पढ़ने वालो को प्रेरित करती है और उनकी कल्पना को बढ़ावा देती है जिससे की पढ़ने वाला व्यक्ति कहानी में खो जाता है।
आमतौर पर कहानी में सेटिंग, पात्र,कथानक, टकराव, विषय ये कहानी के प्रमुख तत्त्व होते है। एक अच्छी सेटिंग पाँच इन्द्रियों – दृष्टि, गन्ध स्वाद, अनुभव और ध्वनि को ध्यान में रखकर लिखी जाति है,अर्थात पाठक को कहानी में आनंद के साथ साथ ये समझ आना चाहिए की आप उसे कहाँ ले जाने की कोशिश कर रहे है। इसी तरह कहानी के पात्र कहानी की जान होते है क्योंकि पढ़ने वाला कहानी को पात्र के दृष्टिकोण से देखता है।कहानी का कथानक (plot) कहानी की रीढ़ है जो घटनाओ का संगठित क्रम होता है और आस पास होने वाली घटनाओ/ गतिविधियों द्वारा कहानी बनाता है। कहानी का संघर्ष,समस्या कहानी के पात्र व प्लाट पर आधारित होती है ,कहानी का विषय ही कहानी का केंद्रबिंदु होता है।
- ▪ कहानी लेखन क्या है?
- ▪ कहानी लेखन के तत्त्व क्या है?
- ▪ कहानी लेखन की प्रमुख विशेषताएं
- ▪ कहानियों के प्रकार
- ▪ कहानी लेखन फार्मेट
- ▪ कहानी कैसे लिखे? (Short Kahani Lekhan in Hindi)
- ▪ कहानी लिखते समय किन बातों का रखें ध्यान? (Kahani Lekhan in Hindi with Points)
- ▪ कहानी लेखन की विधियाँ
- ▪ कहानी लेखन टॉपिक कक्षा 9/10 के लिए
- ▪ निष्कर्ष
- ▪ FAQs
कहानी लेखन क्या है?
कहानी लेखन कल्पना या घटनाओं का ऐसे क्रम में वर्णन करता है जिसके करण समस्या उत्पन्न हुई हो। कहानी में पात्रों की वर्तमान स्तिथि,प्रगति और अंत उन्ही घटनाओं /काल्पनिक घटनाओं पर निर्भर करता है। कहानी शब्द का मूल अर्थ होता है “किस्सा” या “कथा”। कहानी का उद्देश्य अधिकतर पढ़ने या सुनने वालो का मनोरंजन करना और कोई सीख देना होता है,कहानी को इस प्रकार लिखा जाना चाहिए कि वह पढ़ने वालों को रुचिकार लगने के साथ साथ उन्हे कहानी के अंत तक बांध सके। कहानी लिखते समय हमेशा ऐसे शीर्षक का उपयोग करने का प्रयास करें जो पाठकों का ध्यान अपनी और आकर्षित कर सके। साथ ही कहानी संरचना करते समय कहानी में घटित घटनाओं की सम्पूर्ण जानकारी होनी चाहिए।
कहानी लेखन के तत्त्व क्या है?
कहानी लेखन में कहानी कर किरदारों कों इस प्रकार प्रस्तुत करना चाहिए कि पाठक स्वयं को कहानी के किरदार में स्वयं को महसूस करने लगे, क्योंकि रॉबर्ट मैकी के अनुसार -कहानी अपने विचारों को दुनिया के सामने रखने का सबसे शक्तिशाली तरीका है। यदि आप कहानी के विभिन्न तत्वों को भली-भांति समझते है और उन्हे व्यस्थित कर सकते है तो यकीनन आप एक अच्छी कहानी लिखने की क्षमता को हासिल कर सकते हैं। कहानी लेखन में मुख्यात: पाँच मेहत्वपूर्ण तत्त्व शामिल है-
1. सेटिंग (Setting):-
सेटिंग के द्वारा हम प्रायः जान लेते है कि कहानी की घटना कहाँ और कब हुई? और इसके चरित्र संस्कृतिक व सामाजिक रूप से कहाँ खड़े है,कहाँ पर है। दृष्टि,गन्ध,स्वाद,अनुभव और ध्वनि एक अच्छी सेटिंग मानी जाति है। कोई भी कहानी इन पाँच इन्द्रियों को ध्यान में रखकर लिखी जाती है,जिससे पाठक को अनुभव हो जाता है की उन्हे किस दिशा की और ले जाया जा रहा है।
2. पात्र (Characters):-
पात्र किसी भी कहानी में जान डालने का काम करते है। कोई भी व्यक्ति या जानवर जिसका मानवीयकरण किया जा सके वही कहानी का पात्र होते है। कहानी में पात्र एक या एक से अधिक हो सकते है। पात्र ही है जो व्यक्ति को कहानी के अंत तक उसे बांध कर रखते है,इसलिये ध्यान रखने योग्य बात यह है कि पाठक कहानी को पात्र के दृष्टिकोण से ही देखता है। इसलिए पात्र पर विशेष ध्यान देना चाहिये।
3. कथानक (Plot):-
कथानक कहानी की रीढ़ है जो पात्रों के आस पास होने वाली गतिविधियों का समर्थन करती है, इसके मुख्यात: पाँच भाग होते है जो निम्न प्रकार है:-
- प्रदर्शनी (Exposition)
- बढ़ती कार्यवाही (Rising action)
- क्लाइमैक्स ( Climax)
- फॉलिंग एक्शन (Falling action)
- समाधान (Resolution)
4. टकराव (Collision/Clash):-
टकराव कथानक की मुख्य संरचना बनता है। यह संघर्ष भरी समस्या या चुनौती है जो कथानक का आधार है। संघर्ष अंतरिक या बाहरी भी हो सकता है।
5. विषय (Topic):-
विषय कहानी का वह विचार है जिसे लेखक कहानी के माध्यम से अपने पाठको तक पहुचाने का प्रयास करता है।
कहानी लेखन की प्रमुख विशेषताएं
कहानी की भाषा सरल व प्रभावशाली होनी चाहिए उसमें कठिन शब्द तथा लम्बे वाक्य नहीं होने चाहिए साथ के साथ कहानी का आरंभ आकर्षक होना चाहिए ताकि पाठक की कहानी के प्रति उत्सुकता और रुचि बनी रहे। ध्यान रखने योग्य विशेष बात यह है कि प्रसंग को अनावश्यक बढ़ाना नहीं चाहिए,ऐसा करने से कहानी की रोचकता कम हो सकती है। इसके अलावा कहानी की मुलभूत विशेषताओं पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
कथानक – कहानी का (plot )कथानक आकर्षित करने वाला होना चाहिए,क्योंकि कहानी की प्रमुखता इसी से ही होती है जैसे- वह कौन थी? यह कथानक पाठकों में जिज्ञासा उत्पन्न करता है और यह उत्सुकता अंत तक बनी रहती है यदि कहानी के सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर लिखी गयी हो,तब उत्सुकता अंत तक बनी रहती है।
शीर्षक (Topic) – कभी कभी सम्पूर्ण कहानी पढ़ने के बाद ही उसका शीर्षक स्पष्ट होता है जैसे- वह कौन थी? पाठक इस प्रकार के कथानक से इस प्रकार प्रभावित होता है, की उसकी जिज्ञासा आरंभ से अंत तक बनी रहती है कि वह कौन थी? कैसी थी? आदि आदि इसलिए कहानी का शीर्षक आकर्षक होना चाहिए।
भाषा शैली – कहानी लेखन में भाषा सरल व स्पष्ट होनी चाहिए साथ ही वाक्य बड़े बड़े ना होकर छोटे छोटे व आकर्षक होने चाहिए। कहानी में परिवेशीय भाषा का भी प्रयोग किया जाना चाहिए साथ ही मुहावरों,कहावतों का भी प्रयोग करना चाहिये,यह कहानी में रोचकता प्रदान करते है।साथ ही उर्दू,तत्सम शब्दों का प्रयोग भी कहानी में जान डाल देते हैं।
वातावरण का चित्रण – कहानी को आकर्षक बनाने में वातावरण का चित्रण अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी की वजह से पाठक पूरी कहानी का चलचित्र अपनी आंखों में उतार लेता है। जैसे “महाभारत युद्ध के मैदान में पितामह भीष्म की तीरों की शैय्या पर” वर्णन को पढ़कर आंखों के सामने महाभारत युद्ध का दृश्य स्वयं ही उभर जाता है।
कहानियों के प्रकार
क्रिस्टोफर बुकर ने अपनी पुस्तक द सेवन बेसिक प्लॉट्स: why we tell स्टोरीज में सात कहानी प्रारूपों की रूपरेखा बताई है जिसके अंतर्गत निम्न कहानी आती हैं- राक्षस पर विजय,एस टू रिचेस, द क्वेस्ट,वॉयेज एंड रिटर्न, कॉमेडी,ट्रेजेडी और रिबर्थ।
इनका कथानक विभाजन निम्न है :-
1. राक्षस पर विजय (काबू पाना):- यह कहानी एक नायक पर आधारित है।जो दुष्ट शक्ति या राक्षसों का सामना करता है संतुलन और सुरक्षा व्यवस्था बनाने के लिए। यह कथानक हॉरर, एक्शन और फंतासी शैलियों में प्रचलित है, जैसे गॉडज़िला आदि।
2. गरीबी से अमीरी(एस टू रिचेस):- इन कहानियों में नायक गरीब होता है जो घटनाओं की श्रृंखला में परिवर्तन कर (धन, स्थिति या शक्ति) विजय प्राप्त करता है। इसके तीन मुख्य कथानक होते है:-
- नायक में छिपी हुई प्रतिभा
- नम्र शुरुआत
- परिस्थितियों में परिवर्तन के कारण आया व्यक्तिगत परिवर्तन। उदाहरण:- स्लमडॉग मिलेनियर ।
3. खोज (द क्वेस्ट):- यह कहानियां नायक की सब विशिष्ट लक्ष्य की यात्रा के बारे में होती है और इसमें नायक यात्रा में आई बाधाओं पर काबू पा लेता है। इसमें वह किसी बहुमूल्य वस्तु या गंतव्य की खोज में निकलता है। उदाहरणार्थ :- “द ओडिसी”।
4. वॉयेज एंड रिटर्न (यात्रा और वापसी):- इस तरह की कहानियों कई विधानों में पाई जाती है। ऐसी कहानियों में नायक अपरिचित दुनिया की यात्रा के दौरान कठिनाइयों और परेशानियों का सामना करते हुए अंततः घर लौट जाता है इसमें हीरो का दूसरी दुनिया में गिरना (जाना) रोमांचकारी है और नायक का अपने साथ कुछ न लेकर ही वापस आता है जैसे:- गुलिवर की यषाएं ।
5. कॉमेडी:- यह कथानक गलत पहचानों, भ्रमित करने वाली स्थितियों या गलतफहमियों के इर्द-गिर्द केंद्रित होते है और हास्य से पूर्ण परिदृश्य बनाते हैं इन कहानियों का अंत सुखद होता है। इसके तीन प्रमुख अंश धोखे या गलतफहमि, बहरूपिए या गलत पहचान, और सुखद अंत है।
6. त्रासदी (ट्रेजेडी):- ऐसी कहानियां दुर्भाग्य पूर्ण घटनाओं के कारण नायक के पतन पर ध्यान केंद्रित करती है। ये कहानियां दर्शकों में सहानुभूति और चिंतन को प्रेरित है। उदाहरणार्थ :- टाइटैनिक।
7. पुनर्जन्म:- इन कहानियों में नायक किसी घटना या अनुभूति से प्रेरित होकर जीवन शैली/ दृष्टिकोण को बदल देता है इस तरह का कथानक अक्सर ड्रामा या फंतासी शैलियों में दिखाई देता है।
कहानी लेखन फार्मेट
कहानी लेखन का प्रारूप फार्मेट निम्न है:-
कहानी लेखन के चित्रण
शुरुआत:- कहानी का आरंभ आकर्षक तथा सरल भाषा में होना चाहिए। ताकि पढ़ने वाले का मन कहानी में लगा रहे, उसमें बहुत अधिक कठिन शब्दों का प्रयोग भी नहीं होना चाहिए। कहानी को प्रभावशाली बनाने के लिए बीत-बीच में रोचक मुहावरे व कहावतों में प्रयोग करते हुए कहानी लेखन करना चाहिए।
मध्य:- कहानी की गतिशीलता को कयम रखने के लिए उसने मध्य की ओर भी ध्यान देना चाहिए क्योंकि बाद में कहानी खीचने से कोई लाभ नहीं होगा यदि आपको लगता है कि कहानी ने आगे बढाना है तो छोटी से छोटी जानकारी का भी इस्तेमाल करते हुए, भाषा की चतुराई दे द्वारा इसे मध्य से ही बढ़ाना शुरू करें क्योंकि इससे पाठकों को कहानी में स्थिर हो जायेगा।
अंत:- एक कुशल कहानीकार जानता है कि कहानी का समापन कब करना है इसके अतिरिका कहानी लेखन में ‘खुला अंत’ भी एक विकल्प, हो सकता है। कहानी लेखन में लेखक को अपने विवेकानुसार कहनी को समाप्त करने की स्वतंत्रता होती है जरूरी नहीं कि कहानी का अंत हमेशा दर्शनों के अनुरूप ही हो। कहानी का अंत वही दिया जाना जाए जिसके दर्शक हकदार हो।
कहानी कैसे लिखे? (Short Kahani Lekhan in Hindi)
कहानी लेखन (जिसे आप लघु कथा लेखन भी कह सकते हैं ) में सर्वप्रथम अपने विचारों पर मंथन करके उन्हें कहीं लिख दें और फिर अपनी कहानी की संरचना निम्न प्रकार से करें-
एक स्पष्ट संरचना:- कहानी की शुरुआत, मध्य और अन्त का होना जरूरी है क्योंकि इससे कहनी को समझना आसान हो जाता है। कहानी को संरचना काल क्रम के अनुसार यानि कालानुक्रमिक होनी चाहिए। इसने स्पपरता से ही आपके पाठकों को कहानी से जुड़े रहने मदद मिल सकेगी।
कहानी से दर्शकों का जुडाव सुनिशित करे:- आपने दर्शकों की भावनाओं और अनुभवों को समझकर उन पर शोध करके एन सम्मोहक कहानी तैयार करना आपके लिए बेहद कारगार होगा। जब पाठक कहानी से जुडाव महसूस करते हैं तो वे कहानी के अंत तक जुड़े रहते हैं।
फीचर पसंद योग्य पात्रों की कल्पना:- कहानी लेखन में पात्रों का चयन अतयंत महत्वपूर्ण पहलू होता है क्योंकि आपकी कहानी के पात्र जितने आधिक पसंद किए जायेंगे आपनी कहानी में उनकी रूचि उतनी ही आधिक होगी। इसलिए आवश्यक है कि आप पत्रों में ईमानदारी, करूणा, सत्यवादी जैसे सकारात्मक गुण दें और कहानी में पत्रों के उन सभी गुणों को उजागर करने की पूरी कोशिश करे।
दर्शकों की भावनाओं की समझ:- कहानी लेखन में भावनात्मक अपील पाठकों को अपनी तरफ खींचती है इसलिए कहानी लेखन में खुशी,क्रोध,उदासी,भय,आश्चर्य और घृणा आदि 6 प्राथमिक भावनाओं को अवश्य शामिल करें, ऐसा करने से कहानी आकर्षक लगने के साथ पाठको को अधिक प्रमाणिक लगेगी।
तथ्यों का रुचिकर होना:- रुचिकर तथ्य कहानी में पाठकों की रुचि बनाये रखते है,यदि कहानी के तथ्य रुचिकर नहीं होंगे तो पाठकों को कहानी नीरस लगेगी और वे कहानी के अंत से पहले ही ऊब जाएंगे।
स्वयं के अनुभावों का प्रयोग:- कहानी लेखन में प्रेरणा के रूप में अपने अनुभवों का प्रयोग करना लाभकारी होता है,इससे आपको पाठकों को एक प्रभाविक कहानी बताने में मदद मिलेगी,और पाठकों को कहानी अधिक विश्वाशनीय लगेगी।
आवश्यक जानकारी शामिल करें:- लेखक होने के नाते आपको यह सुनिश्चित करना होगा की आप पाठकों को कहानी में समस्या समझा पाएं और पात्र इसे किस प्रकार हल करने की योजना बनाते है इसका भी वर्णन करें।
एक उदेश्य के साथ एक ही कहानी लिखें।
अपनी कहानी में एक्शन तकनीक का प्रयोग करके कहानी को और आकर्षक बनाये और कथानक को छोटा और सुयोजित रखें ।
Kahani lekhan in hindi और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ये आपको असीम व्यावसायिक अवसर भी देता है. हिंदी एक वैश्विक महत्व की भाषा है, , जो कई देशों में व्यापक रूप से पढ़ाई और सीखी जाती है, 600 मिलियन से अधिक लोग हिन्दी बोलते हैं, जिससे यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक बन गई है। इस तरह हिंदी संवाद लेखन आपके लिए विभिन्न कमर्शियल अवसर प्रदान करती है
कहानी लिखते समय किन बातों का रखें ध्यान? (Kahani Lekhan in Hindi with Points)
- कहानी लिखते समय पहले विषय चुने,विषय ऐसा हो जो ट्रेंड बना हुआ हो जिसे लोग जिसे ज़्यादा पढ़ना पसंद करते हों।
- विषय के बाद शीर्षक चुने,शीर्षक ऐसा होना चाहिए जो विषय को अच्छे प्रकार से प्रदर्शित करे।
- कहानी का संवाद ऐसा होना चाहिए जिससे पाठकों को लगे कि कोई चलचित्र आँखों के सामने घूम रहा हो,कहानी के पात्र भी सजीव लगें।
- कहानी तथ्यों को जीवंत करती है,और अमूर्त को ठोस बनाती है इसलिए कहानी अर्थ बनाने का मौलिक बने ऐसा लेखक को सुनिश्चित करना चाहिए।
- कहानी में उसके पांचो आवश्यक तत्व – नाटक,विरोधी,उत्तेजक क्रिया व टकराव तथा संकल्प को अवश्य शामिल करना चाहिए।
- कहानी की शुरुआत किसी ऐसी घटना से होनी चाहिए जो पात्रों को गति में सेट करे।
- कहानी लेखन की भाषा सरल व स्पष्ट होनी चाहिए,कहानी मे छोटे छोटे वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए।
- कहानी लेखन में प्रसंग को संक्षिप्त में लिखना चाहिए,अनावश्यक रूप से विस्तार को ना बढ़ायें।
- कहानी में घटनाओ का क्रम क्रमानुसार होना चाहिए।
- कहानी का उद्देश्य स्पष्ट होना चाहिए,पाठक को समझ आना चाहिए के कहानी का उद्देश्य क्या है। कहानी ऐसी होनी चाहिए कि पाठक शुरु से ही कहानी के साथ जुड़ाव महसूस करें,यदि पाठक शुरु से जुड़ाव महसूस करते हैं तो वे अंत तक कहानी से जुड़े रहते है।
- कहानी को लिखने से पहले उसे कहीं नोट कर लें और उसे पढ़ें व समझे,फिर उसमें ज़रूरत अनुसार परिवर्तन करें,परिवर्तन तभी करें जब आवश्यक हो।
- सभी पाठकों को प्रेरणादायक,सीख देने वाली कहानियाँ पसंद आती है,इसलिए ध्यान रखें के कहानी में कोई प्रेरणा या मोरल अवश्य हो।
- कहानी में suspense रखना भी ज़रूरी है,कहानी में सस्पेंस होने के कारण पाठक की रुचि उसमे बनी रहती है और सस्पेंस जानने के लिए वह अंत तक कहानी पुरी पढ़ता है।
- कहानी लिखते समय अपने आस पास के माहोल,वातावरण व पुस्तकों से प्रेरणा ग्रहण करें, कहानी सच्ची घटना पर भी आधारित हो सकती है।
- एक अच्छी लघु कथा लिखने के लिए लेखन अभ्यास अति आवश्यक है,इसलिए कम से कम 20-30 मिनट लिखने का अभ्यास ज़रूर करें।
- कहानी में अंत का एक पॉइंट (twisted, dramatic,surprising) होना चाहिए।
कहानी लेखन की विधियाँ
कहानी आम तौर पर केवल एक या कुछ महत्वपूर्ण प्रकरणों या दृश्यों में व्यक्त किए गए एकल प्रभाव से संबंधित होती है। यह एक संक्षिप्त काल्पनिक गद्य है, जो उपन्यास से छोटी होती है और जिसमें आमतौर पर केवल कुछ ही पात्रों का वर्णन होता है। यह रूप सेटिंग की अर्थव्यवस्था , संक्षिप्त कथा और एक जटिल कथानक की कमी को प्रोत्साहित करता है ; चरित्र को कार्रवाई और नाटकीय मुठभेड़ में प्रकट किया जाता है, लेकिन शायद ही कभी पूरी तरह से विकसित किया जाता है। अपने अपेक्षाकृत सीमित दायरे के बावजूद, एक लघुकथा को अक्सर उसके पात्रों और विषय के बारे में “पूर्ण” या संतोषजनक उपचार प्रदान करने की क्षमता से आंका जाता है।
1. कहानी की कथा वस्तु:- कथा वस्तु का अर्थ है क्या यह कहानी में वर्णित करना। यह संक्षिप्त होती है , इसमें विस्तार के लिए कोई स्थान नहीं होता है। इसका आरम्भ घटना से किया जाता है जैसे मुंशी प्रेमचंद्र जी की कहानी ” पूस की रात ” कहानी में एक रात ही की घटना है। कहानी लेखन में भावों, घटनाओं और स्थितियों का संक्षिप्त व मार्मिक वर्णन करना चाहिए। इसमें किसी ऐसी अनावश्यक बातों के लिए स्थान नहीं होता , जो मूल विषय वस्तु से जुड़ी न हो। कहानी लेखन में कथा वस्तु का विकास विवरण, वार्तालाप, डायरी या पत्र शैली के द्वारा किया जा सकता है। कल्पना के स्थान पर यथार्थ से जुडी घटना आज की कहानी में आदर्श समझी जाती है।
2. चरित्र चित्रण:- कहानी लेखन में घटना किसी एक ही प्रमुख पात्र ने ईद-गिर्द घूमती है। इसमें पात्रों की संख्या सीमित होती है , और किसी एक चरित्र को ही कहानी ने केन्द्र में रखे जाता है। कहानी में सांकेतिक रूप से चरित्र विकास की आवश्यकता होती है। वही कहानीकार सफल कहलाता है जो अपने पत्रों का पूरा चरित्र संक्षेप में ही निर्मित करता है।
3. परिवेश/वातावरण- कहानी लेखन में उचित स्थान तथा काल का वर्णन सजीवता लाता है। कहानी में उसी स्थान का उल्लेख किया जाना चाहिए । जहाँ घटनाएं घटित हो अगर घटना गाँव में ही घटित होती हैं तो उसने स्थान पर शहर का चित्रण उचित नहीं होगा । कहानी में परिवेश संबंधित सारी बातों का विवरण लंबा-चौडा ना होकर संक्षेप में होना चाहिए। परिवेश के स्वाभाविक चित्रण के लिए यह अत्यंत आवश्यक है।
4. संरचना व संवाद:- कहानी लेखन की शैली विषयवस्तु एवं लेखन की अभिरुचि के अनुरूप होनी चाहिए। इसमें डायरी शैली, आत्मकथक शैली इत्यादि का प्रयोग किया जाना चाहिए। संवादों से ही कहानी को आगे बढ़ाया जा सकता है इसलिए संवाद कहानी के अनुकूल ही होने चाहिए। कहानी में परिवेशीय, क्षेत्रीय भाषा के शब्दों का भी प्रयोग किया जाना चाहिए।
5. कहानी को भाषा:- कहानी की भाषा सरल सुबोध व बातचीत के रूप में होनी चाहिए। कठिन भाषा का प्रयोग कहानी समझने में बाधा उत्पन्न करता है।
6. कहानी में संदेश या सीख:- सफल कहानी लेखन कथा वस्तु , पात्र, परिवेश आदि पर नहीं अपितु गंभीर उद्देश्य पर निर्भर रहता है। क्योंकि किसी भी कहानी को समझने के लिए उसमें निहित संदेश या सीख को समझना भी आवश्यक होता है ताकि कहानी के उपरांत उसके उपयोग पर भी विचार कर सके।
Example-
लघु कथा लेखन कक्षा 9 (Kahani Lekhan in Hindi for Class 9)
अच्छाई की ताकत
किसि गाँव के छोटे से स्कूल में रोहन नाम का लड़का पढ़ता था रोहन बहुत ही साधारण परिवार से था। वह पढ़ाई में बहुत अच्छा था, लेकिन उसके पास किताबें खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। उसके दोस्त भी उसका मजाक उड़ाते थे क्योंकि उसके पास अच्छे कपड़े और जूते नहीं थे।एक दिन, स्कूल में नए शिक्षक आए। उन्होंने देखा कि मोहन अन्य बच्चों से अलग है। जब उन्होंने उसकी परेशानी के बारे में जाना, तो उन्होंने रोहन की मदद करने का फैसला किया। शिक्षक ने अपने पैसे से रोहन के लिए किताबें और स्टेशनरी खरीद दीं। इसके अलावा, उन्होंने रोहन को नियमित रूप से पढ़ाने का भी काम शुरू किया।
शिक्षक की अच्छाई का असर रोहन पर गहरा पड़ा। वह दिन-रात मेहनत करने लगा और पढ़ाई में और भी अच्छा हो गया। कुछ साल बाद, रोहन ने गाँव में टॉप किया और उसे शहर के बड़े स्कूल में पढ़ाई करने का मौका मिला।मोहन की सफलता की कहानी पूरे गाँव में फैल गई। शिक्षक की छोटी सी मदद और उनकी अच्छाई ने रोहन की जिंदगी बदल दी। इसने साबित किया कि थोड़ी सी अच्छाई किसी की जिंदगी में बड़ा बदलाव ला सकती है।
शिक्षा- अच्छाई की ताकत कभी छोटी नहीं होती।
लघु कथा लेखन कक्षा 10 (Kahani Lekhan in Hindi for Class 10)
सच की जीत
रजत और मोहित, दोनों पक्के दोस्त थे। वे एक ही स्कूल में पढ़ते थे और साथ में खेलते थे। एक दिन स्कूल में परीक्षा हुई, और मोहित ने रजत से उसकी उत्तर पुस्तिका देखने की कोशिश की। रजत ने मना कर दिया, क्योंकि वह जानता था कि ऐसा करना गलत है।
परीक्षा खत्म होने के बाद, शिक्षक ने उत्तर पुस्तिकाएँ जमा कर लीं। जब परिणाम आए, तो रजत ने अच्छे अंक हासिल किए, लेकिन मोहित के अंक कम आए। मोहित ने झूठ बोलते हुए शिक्षक से कहा कि उसने रजत से पूछा था, लेकिन राजू ने जानबूझकर गलत उत्तर लिखवाए। शिक्षक ने बिना सच जाने रजत को डांटा और उसे दोषी ठहराया।
रजत बहुत दुखी था, लेकिन उसने सच का साथ नहीं छोड़ा। अगले दिन, शिक्षक ने पूरी कक्षा से बातचीत की और कुछ छात्रों ने मोहित की झूठी बात का खुलासा कर दिया। सच्चाई सामने आते ही शिक्षक को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने रजत से माफी मांगी। मोहित को भी अपनी गलती का पछतावा हुआ, और उसने रजत से माफी मांगी।इस घटना ने रजत को और भी मजबूत बना दिया। उसने साबित कर दिया कि चाहे परिस्थिति कैसी भी हो, सच्चाई हमेशा जीतती है।
कहानी लेखन टॉपिक कक्षा 9/10 के लिए
- सच्चाई की जीत
- बंदर और मगरमच्छ
- सच्चा मित्र
- सोने की इंटें
- जादुई पेड़
- हाथी और चींटी
- नेकी का फल
- झूठ की सजा
- चतुर खरगोश
- शेर और चूहा
- कछुआ और खरगोश
- गंगा और मैं
- परोपकार का परिणाम
- संगति का फल
- दुख का कारण लोम
- पूर्णिमा की रात
- एक जुहारी और चिड़िया
- अपराधी कौन
- चतुर अर्जुन
- गौरेया और बन्दर
- लॉकडाउन
- बीमार मुर्गी और बिल्ली
- नहले पर दहला
- खरगोश और मेंढक
- नकलची गधा
- शास्त्री जी तो साधु हैं
- बुरा क्यों चाहूँ?
- सदैव न्याय करना
- बूढ़ा आदमी और मौत
- बेचारा चरवाहा
- दो कुत्ते
- आक्रोश
- कैंसर
- किसान के चार बेटे
- सुहागन के बिंदी
- प्रभु चिन्तन
- संगति का असर
- नेवला या मेंढक
- शब्दों में क्या रखा है
- क्रोध और अपमान
- स्वर्ग का रास्ता
- न्याय-अन्याय
- पिता की सीख
- मेहनत की कमाई
- सबक
- चालाक चिड़िया
- मछलियां और सांप
निष्कर्ष
कहानी लेखन में कहानी की शुरुआत इतनी मजबूत होनी चाहिए ,कि वह पाठकों का ध्यान अपनी और आकर्षित कर सके। कहानी लेखन में वर्णनात्मक भाषा के प्रयोग के साथ- साथ आरंभ, मध्य और अंत के साथ एक स्पष्ट कार्यात्मक बनाए ।
क्रियाओं और संवादों का उपयोग करके चरित्र का लक्षण और भावनाओं को प्रकट करें। क्योंकि पत्रों को जीवित्व बनाने और कहानी को आगे बढ़ने के लिए संवाद आवश्यक तैथ्य है। तनाव पैदा करने वाली घटनाओं के क्रम के साथ कहानी को आगे बढ़ाते रहे। कहानी के मुख्य पत्रों और परिवेश का परिचय आवश्य दें । साथ ही पाठकों की रुचि बनाए रखने के लिए , इसमें रहस्या को भी स्थान आवश्य दें। क्लाइमैक्स कहानी का वह मोड़ है , जहां संघर्ष अपने चरम सीमा पर पहुंचकर कहानी को समाधान की ओर ले जायेगा। कहानी को एक यादगार निष्कर्ष के साथ समाप्त करें तथा कहानी में हमेशा एक सकारात्मक सीख का संदेश दें। अन्त में कहा जा सकता है कि कहानी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक छोटे विषय को संक्षेप – में मुख्य कथानात्मक , पत्रों और विषयों के साथ आगे बढ़ाया जाता है तथा एक सीख के साथ इसका अन्त किया है।
FAQs
प्रश्न – 1: कहानी का क्या महत्व है?
उत्तर – कहानी लेखन एक प्राचीन कला है जिसका उपयोग लोग सदियों से मनोरंजन के साथ – साथ जानकारी व शिक्षा प्राप्त करने के लिए करते हैं।
प्रश्न – 2: कहानी लेखन के दो महत्वपूर्ण उद्देशा क्या है?
उत्तर –
1 – पाठकों को आकर्षित करना।
2 – कल्पना शील कहानी में से संदेश देना।
प्रश्न – 3: कहानी लेखन कक्षा 10 के 10 Topic लिखो?
उत्तर – कहानी लेखन कक्षा 10 के Topic निम्न है:-
एकता में बल, भेड़िया की योजना , मेहनत की कमाई ईमानदार लक्कड़हारा,चतुर चिड़िया,न्याय अन्याय,संगती का असर,कछुआ और खरगोश,सच्चा मित्र, बंदर और मगरमछ।
प्रश्न – 4: कहानी लिखते समय कैसी भाषा का प्रयोग करना चाहिए?
उत्तर – कहानी लिखते समय सरल, सहज व स्पष्ट भाषा का प्रयोग करना चाहिए।