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दिवाली पर निबंध (Diwali Essay in Hindi 2024)

Diwali Essay

Diwali Essay in Hindi 2024: दिवाली हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला प्रसिद्ध त्यौहार है। यह त्योहार पूरे भारतवर्ष में उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। इस त्यौहार को हम दीपावली भी कहते हैं, जो दो शब्दों से मिलकर बना है-दीप्+आवली= दीपावली जिसका अर्थ है दीपों की पंक्ति या कतार,यह त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीरामचंद्र जी अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास काटकर आज ही के दिन अयोध्या  वापस लौटे थे और इसी खुशी में अयोध्या वासियों ने उनका स्वागत घी के दीए जलाकर किया था। तब  से आज तक दिवाली इसी तरह मनाई जाती  है। 

दीपावली 5 दिनों तक चलने वाला त्यौहार है धनतेरस, छोटी दीपावली, दीपावली, गोवर्धन पूजन, भैयादूज ये त्योहार दिवाली के साथ आने वाले त्योहार है।  दीपावली से पहले ही लोग अपने घर की साफ, सफाई, रंग, पुताई आदि करते हैं और फिर दिवाली वाले दिन अपने घरों को फूलों और झालर लड़ियों आदि से सजाते हैं, रंगोली बनाते हैं,दिए जलते हैं। गणेश जी व माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं तथा अपने दोस्तों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों से मिलते हैं। उन्हें मिठाइयां व उपहार भेंट करते हैं।

Essay on Diwali

दीपावली कब है? दीपावली का शुभ मुहूर्त

पूरे भारतवर्ष में दिवाली का महापर्व इस वर्ष 31 अक्टूबर 2024 गुरुवार को मनाया जाएगा। इसके अतिरिक्त किसी भी अन्य दिन दिवाली मनाना शास्त्रानुसार उचित नहीं है क्योंकि प्रदोष काल से महरात्रि व्यापिनी कार्तिक अमावस्या में लक्ष्मी पूजन करना ही उचित है।क्योंकि 31 अक्टूबर 2024 यानी बृहस्पतिवार/गुरुवार को अमावस्या तिथि 2 बजकर 40 मिनट से लग रही है। इससे पहले चतुर्दशी तिथि है। यही वजह है कि यह त्यौहार 31 अक्टूबर को ही मनाना उचित होगा। क्योंकि दिवाली में महारात्री में अमावस्या तिथि ही होनी चाहिए क्योंकि उदमा तिथि का कोई महत्व नहीं है और एक नवम्बर 2024 को शाम के समय अमावस्या नहीं है। ऐसे में 1 नवम्बर को दिवाली मानना शास्त्र संवत नहीं है। दिवाली के त्यौहार पर इसको मनाने के या एक नवम्बर की इसी मतभेद को दूर करने के लिए बड़े–बड़े ज्योतिष व विद्वान एक मंच पर आ गए हैंविद्वानों,ज्योतिषों और मेहनतों की समिति द्वारा 31 अक्टूबर 2024 निशिता मुहूर्त में ही मनाने की घोषणा की है।

दीपावली पर पैराग्राफ [Paragraph on Diwali in Hindi]

दिवाली का त्यौहार खुशी व उमंग का त्यौहार है। इस त्यौहार की तैयारी कई दिन पहले से ही शुरु कर दी जाती है। दिवाली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन श्री रामचंद्र जी रावण का वध करने के बाद पत्नी सीता व भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष बाद अयोध्या वापस आए थे और नगर वासियों ने उनके वापस आने की खुशी में पूरी नगरी को घी के दिये जलाकर सजाया था।बस उसी दिन से दिवाली इसी तरह मनाई जाती है और दीप जलाए जाने की परंपरा की वजह से इसे दीपोत्सव भी कहा जाता है। इस दिन प्रत्येक व्यक्ति अपने घर,दुकान, कार्यस्थलों को अच्छी तरह से सजाते हैं। यह त्यौहार 5 दोनों का त्यौहार होता है।इस दिन सब नए-नए कपड़े पहन कर एक दूसरे को मिठाई व उपहार देते हैं तथा शाम को लक्ष्मी पूजा करके दिये व मोमबत्ती जलाने के साथ-साथ पटाखे व आतिशबाजी करके दिवाली मानते है।

दिवाली पर निबंध 100 शब्दों में [Diwali Essay in 100 Words]

दिवाली भारत के सबसे महत्वपूर्ण और लोकप्रिय दिवाली त्यौहारों  में से एक है। इसे दीपोत्सव भी कहा जाता है। जब भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या वापस लौटे तब अयोध्यावासियों ने दिए जलाकर उनका स्वागत किया था। उन्हीं की याद में हर साल कार्तिक माह की अमावस्या को दिवाली मनाई जाती है। इस अवसर पर हिंदू धर्म को मानने वाले लोग अपने घरों की साफ सफाई करके विशेष साज–सज्जा द्वारा अपने घरों, दुकानों आदि की सजावट करते हैं। इस अवसर पर विशेष धार्मिक आयोजन (यज्ञ) आदि किए जाते हैं। इस दिन परिवार के सभी लोग मिल–जुलकर लक्ष्मी व गणेश जी का सायंकाल को पूजन करते हैं। इस दिन सब लोग एक दूसरे को मिठाई व उपहार भी देते हैं। रात्रि में सभी लोग अपने घरों में मिट्टी के दिये मोमबत्ती व इलेक्ट्रॉनिक झालरों से रोशनी करते हैं और अमावस्या की काली अंधेरी रात को जगमग रोशन रात में परिवर्तित कर देते हैं। इस त्यौहार पर पटाखों की भी धूम रहती है। इस त्यौहार को सभी धूमधाम से मनाते हैं। दिवाली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक मना जाता है।

दिवाली पर निबंध 200 शब्दों में [Essay on Diwali in 200 Words]

त्यौहार भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हमारी एकता और उल्लास के प्रतीक होते हैं। दिवाली भारत में मनाया जाने वाला ऐसा ही एक प्रमुख त्यौहार है जो हमारे जीवन में खुशियां व रोशनी लाता है। यह त्यौहार अंधकार पर प्रकाश की विजय का त्यौहार है। कहा जाता है कि रावण वध के पश्चात प्रभु श्री राम जी 14 वर्ष के वनवास के बाद इसी दिन अपने राज्य अयोध्या वापस लौट आए थे। उनके वापस आने पर नगरवासियों ने घी के दीप जलाकर, सारा नगर सजाकर उनका स्वागत किया था। और आज भी लोग इसी परंपरानुसार नए कपड़े पहनकर अपने घर दुकान, मकान आदि को सजा कर दिये जलाकर मिठाइयां बताकर इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम वह उत्साह के साथ मनाते हैं। दिवाली 5 दिन तक मनाया जाने वाला त्यौहार है। इस पंचोंत्सव भी कहा जाता है। धनतेरस,छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी,दिवाली,गोवर्धन पूजा व भैया दूज। दिवाली के दिन घर में तरह-तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं। शाम को सब नए-नए कपड़े पहन कर लक्ष्मी पूजन करते हैं। घरों को दिए मोमबत्ती वह बिजली की झालरों से रोशन किया जाता है। लोग एक दूसरे को दिवाली की बधाई के साथ-साथ मिठाइयां व उपहार भी भेंट करते हैं। इस अवसर पर आतिशबाजी भी की जाती है। दिवाली से अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है तथा उससे अगले दिन भैया दूज मनाई जाती है। कुछ लोग दीपावली के अवसर पर जुआ भी खेलते हैं यह बहुत गलत है। हमें ऐसा करके दीपावली के पवित्र त्यौहार की पवित्रता को भंग नहीं करना चाहिए।

दीपावली पर निबंध 500 शब्दों में:-[Essay on Diwali in 500 words]

“दीप जलाओ दीप जलाओ आज दिवाली आई,खुशी मनाओं खुशी मनाओं आज दिवाली आई”

दीपावली का अर्थ है दीपों की पंक्ति या कतार।दीपावली का उत्सव पूरे भारत में हर्ष व उल्लास के साथ मनाया जाता है। इसकी तैयारी लोग कई दिन पहले से ही करना आरंभ कर देते हैं। दीपावली से पूर्वी लोग अपने घरों, दुकानों और दफ्तरों की साफ–सफाई व रंग–पुताई में लग जाते हैं। इसके बाद इन सभी स्थानों को रोशनी, फूलों, रंगोली आदि सजावटी वस्तुओं के साथ सजाया जाता है। दीपावली को रोशनी के त्यौहार के रूप में भी जाना जाता है। दीपावली देवताओं की पूजा करने, मिठाई खाने, पटाखे जलाने और अपने परिवार,रिश्तेदारों के साथ मिल–जुलकर खुशियां मनाने का भी त्यौहार है।

प्रचलित कथा के अनुसार भगवान राम लक्ष्मण और सीता जी के 14 वर्ष के वनवास को पूरा करने और रावण वध के बाद जब यह अपने घर अयोध्या वापस आए तब उनके स्वागत के लिए पूरी नगरी को दीपों से रोशन किया गया और लोग आज भी दीपावली पर इसी पर प्रथा को निभाते हैं। साथ ही कहा जाता है कि इस दिन धन की देवी लक्ष्मी भी पृथ्वी पर भ्रमण के लिए आती है। यह देखने के लिए कौन मेरे स्वागत के लिए कितनी तैयारी करता है? और इसी आशा से लोग अपने घरों,दफ्तरों को रंगोली,दिए,मोमबत्ती और सजावटी लाइटों से सजाते हैं और श्रद्धा पूर्वक लक्ष्मी–गणेश जी का पूजा खील–बताशो व भिन्न–भिन्न प्रकार के व्यंजनों तथा मिठाइयों से करते हैं। दीपावली पर सब एक दूसरे को मिठाईयां वह उपहार भी देते हैं। शाम को सब मिल–जुलकर आतिशबाजी करते पटाके जलाते हैं। दीपावली केवल 1 दिन का त्यौहार ना होकर 5 दोनों का त्यौहार है। यह त्यौहार विजयदशमी के त्योहार से 20 दिन बाद आता है। दीपावली उत्सव के 5 दिनों में से सर्वप्रथम धनतेरस, दूसरा नरक चतुर्दशी या छोटी दीवाली,तीसरा दिन दीपावली, चौथा दिन गोवर्धन पूजा व पांचवां त्यौहार भैया दूज होता है। दीपावली पर सार्वजानिक अवकाश रहता है।

दीपावली पर सभी छोटे-बड़े व्यापारियों की अच्छी खासी कमाई हो जाती है। दीपावली का एक सबसे बड़ा लाभ यह भी होता है कि लोग अपने घर–आंगन और आस–पास सब कुछ साफ–सुथरा कर देते है जिससे मां लक्ष्मी का आगमन उनके घर हो। दीपावली पर छोटे आदमी जैसे कुम्हार, सजावटी सामान बनाने वाले व मूर्तिकारों को भी लाभ होता है। यह त्यौहार उनके घरों में लाभ के साथ साथ खुशियां भी लेकर आता है। वैसे तो दीपावली बहुत पवित्र त्यौहार है, परंतु इसी त्यौहार को कुछ लोग शराब पीकर,जुआ खेल कर मनाते हैं और ऐसा करने करके वह अपने साथ-साथ इस त्यौहार की खुशियों में ग्रहण लगा देते हैं। क्योंकि ऐसे लाखों जुएं में अपने साल भर की कमाई को गवां देते हैं जिससे न केवल वे अपितु उनके साथ परिवार कर्ज में डूब जाता है। इसी प्रकार शराब का सेवन करने वाले लोग सड़कों पर लड़ाई–झगड़ा और मारपीट करके इस त्यौहार के रंग में भंग डाल देते हैं जो एकदम गलत है। अत: दीपावली मनाते समय हमें उत्सव की पवित्रता को बनाए रखना चाहिए ताकि दीपावली अपने नाम की तरह जन समुदाय के जीवन को रोशन से भर दें।

इसी के साथ आप सभी को दीपावली की अग्रिम शुभकामनाएं।

दीपावली पर निबंध 1000 शब्दों में [Essay on Diwali in 1000 words]

प्रस्तावना:

भारत देश उत्सव, त्यौहारों और पर्वों का देश है। यहां के लोग सभी त्यौहार मिल–जुलकर मनाते है। दीवाली भारत का ऐसा ही लोकप्रिय त्यौहार है जिसे पूरे भारतवर्ष में कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। अनगिनत दीपकों, मोमबत्तियों, कंदीलों और इलेक्ट्रॉनिक झालरों की जगमगाहट से अमावस्या की अंधेरी रात मानो शरद पूर्णिमा में परिवर्तित हो जाती है। यह त्यौहार अंधकार पर प्रकाश की, बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।

दीवाली का महत्व:

भारतीय लोगों के लिए यह त्यौहार एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। लोग दीवाली को बड़े हर्षोल्लास और उमंग के साथ मनाते हैं। दशहरे से 20 दिन बाद आने वाले इस त्यौहार की लोग पहले से ही तैयारी शुरू कर देते हैं। अपने घरों के कोने-कोने को साफ करना, रंग–पुताई करवाना, खरीदारी करना आदि। खरीबदारी में लोग कपड़े, गहने, सजावट के समान, इलेक्ट्रॉनिक सामान, मिट्टी से बने दिए–मूर्तियां, रसोई के बर्तन, वाहन तथा हीरे,सोने, चांदी आदि खरीदते हैं।

दीवाली क्यों मनाई जाती है:

दीपों के इस त्यौहार को किसी न किसी रूप में समस्त भारत में मनाया जाता है। इस त्यौहार के साथ अनेक कथाएं भी जुड़ी हैं।

लंकापति रावण का वध करने के उपरांत अपना 14 वर्ष का वनवास पूरा करने के बाद जब श्री रामचंद्र अनुज लक्ष्मण और माता-सीता के साथ अयोध्या वापस आए तो नगर वासियों ने पूरा नगर दिए व फूलों से सजाया और घर-घर मिठाइयां बांटकर उनके आने की खुशी का उत्सव मनाया। तब से इसी परंपरा को निभाते हुए दीवाली मनाई जा रही है।

कहा जाता है कि धर्मराज युधिष्ठिर के राजसूर्य यज्ञ की समाप्ति जिस दिन हुई थी, वह दिन भी कार्तिक मास की अमावस्या का ही दिन था।पौराणिक कथानुसार सागर मंथन के समय लक्ष्मी जी भी इसी दिन धरती पर आई इसलिए इस दिन लोग लक्ष्मी पूजन करते हैं।

आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद का निर्वाण दिवस भी दीवाली का दिन ही है इसलिए आर्यसमाज के लोग इस दिन जगह–जगह यज्ञशालाओं में यज्ञ का आयोजन करते है।

जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर स्वामी का भी निर्वाण दिवस कार्तिक मास की अमावस्या को ही मनाया जाता है। इसलिए जैन धर्म के अनुयायियों के लिए भी इस दिन का विशेष महत्व है।

इस प्रकार यह त्यौहार भारतीयों के लिए विशेष व महत्वपूर्ण है।

दीवाली कैसे मनाई जाती है:

यह त्यौहार अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। इसलिए इस त्यौहार पर चारों ओर दिए, मोमबत्ती व इलेक्ट्रॉनिक झालरों द्वारा रोशनी की जाती है। घरों के मुख्य द्वार और आंगनों को रंगोली द्वारा सजाया जाता है। दीवाली वाले दिन घरों की विशेष सजावट फूलों व अन्य सामानों द्वारा की जाती है। सभी छोटे-बड़े नवीन वस्त्र धारण करते हैं।शाम के समय रीति–रिवाज अनुसार धन की देवी लक्ष्मी व बुद्धि के देवता श्री गणेश जी की सपरिवार विधि-विधान द्वारा खील, बताशो, नाना प्रकार के व्यंजनों व मिठाइयों से पूजा की जाती है।तत्पश्चात सब एक दूसरे के घर मिठाइयां व उपहार बांटकर आपस में दीवाली की शुभकामनाएं देते हैं। दीवाली के दिन आतिशबाजी करने का भी विशेष प्रचलन है। कुछ लोग इस दिन जुआ भी खेलते हैं। दीवाली की रौनक देखनी तो बनती है चारों और रोशनी ही रोशनी और दिवाली की खुशियों में मग्न लोग। वास्तव में दीवाली उत्सव दो युग सतयुग और त्रेता युग से जुड़ा हुआ है। सतयुग यानी लक्ष्मी जी का आगमन, त्रेता युग ज्ञानी श्री रामचंद्र जी की वनवास पूरा करने के उपरांत अयोध्या  वापसी। क्योंकि लक्ष्मी जी को इस दिन पृथ्वी पर भ्रमण के लिए आना होता है और विष्णु जी इस समय योगनिंद्रा में होते हैं। इसलिए लक्ष्मी जी अपने पुत्र गणेश के साथ आती है। इसलिए इस दीवाली के दिन लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है।

दीवाली पर्व फायदे:

दीवाली मनाने का धार्मिक के साथ-साथ आर्थिक व सामाजिक महत्व भी है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि व्यापारी लोग अपने नए बही खातों का आरंभ दीवाली वाले दिन से ही करते हैं। धनतेरस से ही बाजार की सभी दुकानों, कपड़ों, मिठाई, पटाखे, बर्तन, घरेलू उपकरण, साज–सज्जा के सामान, वाहन आदि की बिक्री बढ़ जाती है। जिससे व्यापारियों को सालभर से अधिक लाभ होता है। दीवाली की वजह से ही  छोटे व्यवसाय वाले लोगों को भी जैसे कुम्हार, हलवाई आदि की भी अपनी कमाई साल भर की अपेक्षा दुगुनी करने का अवसर मिल जाता है। दीवाली त्यौहार का सामाजिक रूप से भी अपना विशेष महत्व है। इस त्यौहार को सब मिल–जुलकर हंसी–खुशी के साथ मनाते है। सब एक दूसरे के मिलते है, शुभकामनाएं देते है, घर–घर जाकर मिठाई व उपहार दिए जाते हैं जिससे आपस में प्रेम व रिश्तों की डोर और मजबूत होती है, साथ ही साथ पारिवारिक संबंधों के साथ सामाजिकता को भी बढ़ावा मिलता है।

दीवाली पर्व हानियां:

दीवाली एक ओर हमारे जीवन में जहां ढेर सारी खुशियां लेकर आती है वहीं पर इस पर्व के कुछ विपरीत परिणाम भी देखने को मिलते हैं जो निम्न है:–

आजकल देखा जा रहा है कि आधुनिकता की होड में मनती दीवाली में मिट्टी के दीपक को इलेक्ट्रॉनिक झालरों में परिवर्तित किया जा रहा है जिससे बिजली की खपत बढ़ने के साथ-साथ मिट्टी के सामान बेचने वालों की आमदनी घटती जा रही है, जिससे उन्हें साल भर अपने परिवार का पोषण करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

दीवाली पर लोग एक दूसरे की होड में ज्यादा से ज्यादा पैसे खर्च करने के चक्कर में इसकी वास्तविक परंपराओं को भूलते जा रहे हैं और धीरे-धीरे दिवाली का त्यौहार एक दिखावे वाले त्यौहार में परिवर्तित होता जा रहा है।

दीवाली पर चलने वाले पटाखे भी प्रदूषण की दृष्टि से हानिकारक के साथ-साथ उनसे आग लगने व पटाखे जलाने वाले के जलने आदि की भी घटनाएं प्राय: देखने को मिलती है। कभी–कभी तो इन पटाखों से निकली तेज रोशनी के कारण कोई अपनी आंखों को तो कोई इनकी तेज आवाज़ से अपनी सुनने की क्षमता को भी खो देता है इसलिए हम प्रदूषण रहित ग्रीन दीवाली पर भी विचार करना आवश्यक है।

इसी प्रकार दिवाली पर जुआ खेलना न सिर्फ उसे व्यक्ति बल्कि उसके पूरे परिवार के लिए आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से हानिकारक है।

निष्कर्ष:

अंत में दिवाली से हमें नई रोशनी की प्रेरणा मिलती है कि हम अपने जीवन के सभी बुराइयां रूपी काली रात अमावस्या की रात को अपनी अच्छाइयां और नैतिकता की भावना की रोशनी से जगमग करें और इस महत्वपूर्ण त्यौहार को मिल–जुलकर खुशियां और हर्षौल्लास के साथ मनाएं।

आप सबको दीवाली की ढेर सारी शुभकामनाएं।

दीपों का त्योहार आया है।

खुशियों की सौगात लाया है।

घर-घर में रौशनी का साया है।

अंधकार को दूर भगाया है।

फुलझड़ियों का रंग छाया है।

आसमान में नया चमका सितारा है।

फैली मिठाइयों की खुशबू है।

हर-घर में प्रेम की बोली है।

सज गया घर,सज गया द्वार है।

दीपों से जगमगा गया संसार है।

आओ श्री गणेश और माता लक्ष्मी का स्वागत करें।

हर दिल में प्रेम भाव उजागर करें।

सदा जलते रहे यूं ही दिये हमारे।

खुशियाँ बरसे हर घर हमारे।

सुख समृद्धि का आया पर्व।

दीपावली का यह पावन पर्व।

दीपावली पर 10 लाइन का निबंध:-[Dipawali Essay in 10 Lines]

  1. दीपावली यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है दीप + आवली जिसका अर्थ है दीपों की आवली या पंक्ति।
  2. दीपावली का त्योहार हिन्दु पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है।
  3. आज ही के दिन भगवान श्री राम अपनी पत्नी व भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या पहुँचे थे।
  4. दिवाली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक मना जाता है।
  5. दीपावली से पहले ही  सभी अपने घरों,दुकानों,मकान की सफाई शुरु कर देते है,और दियों,झालारों,फूलों से सजावट करते है।
  6. दिवाली का त्योहार 5 दिनों तक चलने वाला त्योहार है।
  7. धनतेरस पर श्री कुबेर एवं धन्वंतरि जी की आराधना की जाती है।
  8. दिवाली के दिन शाम को माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है,गोवर्धन पूजन पर भगवान श्री कृष्णौ और गोवर्धन  की पूजा होती है,भैयादूज भाई- बहन का त्योहार होता है।
  9. दिवाली के दिन नये कपड़े पहनते है,पकवान बनाते है,देवी देवताओं की पूजा अर्चना करते है।
  10. बच्चे रात को पटाखे जलाते है यह उनके लिए सबसे ज्यादा उल्लास भरा कार्य होता है।

दीवाली के साथ मनाए जाने वाले अन्य त्यौहार [Other Festivals Which Are Celebrated with Diwali]

दीवाली अपने साथ साथ अन्य त्यौहारों को भी लाती है इसलिए इसे पंचोत्सव भी कहा जा सकता है। इसके साथ मानत जाने वाले त्यौहार निम्न है :–

1.धनतरेस:–

   इसे धनतेरस या धनवंतरी जयंती भी कहते है यह दीवाली की श्रृंखला में मनाया जाने वाला प्रथम त्यौहार है। इस दिन लोग अपने घर के घरेलू सामान,बर्तन या आभूषणों की खरीदारी करके  धन के देवता कुबेर को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।

2. छोटी दीवाली:–

   इसे नरक चतुर्दशी भी कहते है। इस दिन सब यम भगवान के नाम का दीपक जलाकर अपने घरों से अकाल मृत्यु के आगमन के भय को दूर करने का प्रयास करते है।

3. दीपावली:–

   यह पंचोत्सव का मुख्य त्यौहार है। इस दिन घरों को सजाकर दीपक,मोमबत्तियां व झालरों से रोशनी करके लक्ष्मी–गणेश जी का पूजन कर मिठाइयां व उपहार एक दूसरे को दिए जाते है व आतिशबाजी भी की जाती है।

4. गोवर्धन पूजा:–

   इस दिन गोवर्धन पर्वत की विधिवत पूजा की जाती है।माना जाता है की जो गोवर्धन पूजन पर भगवान श्री कृष्ण को 56 भोग लगाता है उसकी मनोकामना पूर्ण होती है,जब भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाया था उसके बाद से गोवर्धन पूजन की प्रथा चली आ रही है।

5. भैया दूज:–

यह दीवाली श्रृंखला का अंतिम त्यौहार है। इस दिन बहने अपने भाइयों को माथे पर तिलक कर उनकी लंबी उम्र की कामना करती है और भाई उन्हें बदले में उपहार भेंट करते है ।

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Diwali Essay in Hindi

FAQs

प्रश्न – 1: दिवाली कब मनाई जाती है?

उत्तर – दिवाली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है।


प्रश्न – 2: दिवाली क्यों मनाई जाती है?

उत्तर – भगवान श्री राम  14 वर्ष के वनवास को पुरा करने के बाद,अपनी पत्नी और भाई लक्षमन अयाध्या लौटे थे। उनके आने की खुशी में दिवाली का त्योहार मनाया जाता है।


प्रश्न – 3: दिवाली के 5 उत्सव कोन- कोन से है?

उत्तर – दीवाली के 5 उत्सव निम्न है-
1. धनतेरस
2. छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी
3. दिवाली
4. गोवर्धन पूजन
5. भैयादूज


प्रश्न – 4: दिवाली कैसे मनाई जाती है?

उत्तर – कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली मनाई जाति है,इस दिन लोग अपने घरों,दुकानों को सजाते है,द्वारों और घर के आंगन में रंगोली बनाई जाति है। दिवाली पर श्री गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। सब लोग आपस में मिठाई बांटते है,साथ मिलकर पटाखे जलाते है।


प्रश्न – 5: दिवाली पर किस भगवान की पूजा की जाती है?

उत्तर – दिवाली के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है।

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