प्रश्न. सोनजुही मेें लगी पीली कली को देखकर लेखिका के मन मेें कौन से विचार उमड़ने लगे?
उत्तर— सोनजुही में लगी पीली कली को देखकर लेखिका के मन में अचानक उस छोटे जीव का स्मरण आ गया, जो हरी लता में छिपकर बैठता था और लेखिका को देखकर उनके कंधे पर कूदकर उन्हें चौका देता था।
प्रश्न. पाठ के आधार पर कौए को एक समादरित प्राणी क्यों कहा गया है?
उत्तर— कौए को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी, पाठ में इसलिए कहा गया है क्योंकि पितृपक्ष के समय कौए को अपने पूर्वजों का अवतार माना जाता है और उन्हें उन दिनों विधिवत अन्न ग्रहण कराते हैं। कौआ अपनी कर्कश वाणी द्वारा हमारे घर पर अतिथि के आने का संदेश भी लाता है। इस तरह हम एक तरफ तो कौए को आदर देते हैं, पर इसके विपरीत हम उससे घृणा का भाव भी रखते हैं क्योंकि उसकी वाणी कर्कश होती है और उसमें मांसाहारी और स्वार्थी प्रवृत्ति भी काफी अधिक होती है। इसलिए कौए कभी सम्मानित होते हैं, और कभी अपमानित कर उड़ा दिए जाते हैं।
प्रश्न. गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार किस प्रकार किया गया?
उत्तर— गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार लेखिका ने बड़ी ही सावधानी से किया। उन्होंने सबसे पहले उसे धीरे से उठाया और अपने कमरे में ले आईं। फिर रुई से रक्त पोंछकर पेनिसिलिन की मरहम लगा दी। उन्होंने रुई की पतली बाती दूध में भिगोकर उसे दूध पिलाने की चेष्टा की, पर उसका मुँह खुल नहीं सका और दूध उसके मुँह में जा नहीं सका। कई घंटों के प्रयास के बाद उसके मुँह में पानी की एक बूँद टपकाई जा सकी। तीन दिनों में वह लेखिका के प्रयास द्वारा स्वस्थ हो गया। वह इतना स्वस्थ हो गया कि लेखिका की उँगली अपने दो पंजों से पकड़कर इधर-उधर देखने लगा। इस तरह लेखिका के प्रयास द्वारा गिलहरी के बच्चे को नया जीवन मिला।
प्रश्न. गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता कयो समझी गई और उसके लिए लखिका ने क्या उपाय किया?
उत्तर— जब गिल्लू के जीवन का पहला बसंत आया, तब उसकी प्रजाति की बाकी गिलहरियाँ खिड़की के पास जाली में चिक-चिक करतीं और गिल्लू को कुछ कह जातीं। गिल्लू भी जाली के पास बैठकर बाकी गिलहरियों को खेलता हुआ देखता रहता था। यह सब देखकर लेखिका के मन में विचार आया कि उसे भी गिल्लू को मुक्त कर देना चाहिए, ताकि इस छोटे प्राणी का बाहरी वातावरण में पूर्ण विकास हो सके। इसके लिए उन्होंने खिड़की की जाली का एक कोना खोल दिया। इस मार्ग से गिल्लू अब बाहर जाने लगा और लेखिका ने गिल्लू की मुक्ति की साँस ली।
प्रश्न. गिल्लू किन अर्थथों मेें परिचारिका की भूमिका निभा रहा था?
उत्तर— जब लेखिका मोटर दुर्घटना में घायल हो गईं और कुछ दिन अस्पताल में रहीं, तो गिल्लू काफी दुखी था। अस्पताल से लौटने के बाद, जब लेखिका अस्वस्थता के कारण आराम करती थीं, गिल्लू उनके सिरहाने बैठकर अपने छोटे-छोटे पंजों से उनके सिर और बालों को धीरे-धीरे एक परिचारिका के समान सहलाता था। वह वास्तव में अस्वस्थ लेखिका के प्रति अपने प्रेम और सहानुभूति को दर्शाता था। इसलिए लेखिका को गिल्लू द्वारा की गई सेवा एक सच्ची परिचारिका के समान प्रतीत हुई।
प्रश्न. गिल्लू की किन चेष्टाओ से यह आभास मिलने लगा कि अब उसका अन्त समय समीप है?
उत्तर— गिलहरियों के जीवन की अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं होती, इसलिए गिल्लू के जीवन का अंत भी समीप आ गया था। गिल्लू ने उस दिन खाना-पीना छोड़ दिया था और वह घर से बाहर भी नहीं निकला। रात में वह अपने झूले से उतरकर लेखिका के बिस्तर पर आ गया, उसने अपने ठंडे पंजों से लेखिका के हाथ की उँगलियाँ पकड़ लीं और वैसे ही चिपक गया जैसे बचपन की मरणासन्न अवस्था में लेखिका की उँगली पकड़ी थी। उसका शरीर ठंडा हो चुका था, फिर भी लेखिका ने उसे बचाने के लिए हीटर जलाया, पर सुबह की पहली किरण के स्पर्श के साथ उसकी जीवन लीला समाप्त हो गई।
प्रश्न. ‘प्रभात की प्रथम किरण के स्पर् के साथ ही वह किसी और जीवन के लिए सो गया’–आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर— उपरोक्त कथन का आशय यह है कि सुबह की पहली किरण के साथ गिल्लू ने अपना शरीर त्याग दिया। उसने शायद किसी अन्य जन्म के लिए यह किया हो। प्रकृति का यह नियम है कि जिसका जन्म होता है, उसकी मृत्यु भी होती है, और यह भी कहा जाता है कि मृत्यु के बाद आत्मा किसी नए शरीर में जाकर नए रूप में जन्म लेती है। गिल्लू की आत्मा ने भी अपना शरीर त्याग दिया था, जिससे वह इस संसार में नए रूप में आ सके।
प्रश्न. सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन मेें किस विश्वास का जन्म होता है?
उत्तर— सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन में यह विश्वास था कि कभी-न-कभी गिल्लू अचानक से उन्हें लघु बसंती कली के रूप में आश्चर्यचकित कर देगा। सोनजुही की लता गिल्लू को बहुत पसंद थी, उसके आस-पास खेलना, लता में छिपना और अचानक से उछलकर लेखिका के कंधे पर बैठ जाना उसे अच्छा लगता था। सोनजुही की लता वही स्थान था, जहाँ लेखिका ने गिल्लू को सबसे पहले देखा था। जब-जब सोनजुही की कलियाँ खिलेंगी, गिल्लू की यादें लेखिका के मन में दस्तक देती रहेंगी।