NCERT Solutions for Class 9 Hindi - A : Sparsh Chapter 10 - Naye Ilaake Mein- Khushboo
NCERT Solutions for Class 9 Hindi - A : Sparsh Chapter 10 - Naye Ilaake Mein- Khushboo Free PDF Download
Please Click on Free PDF Download link to Download the NCERT Solutions for Class 9 Hindi - A : Sparsh Chapter 10 - Naye Ilaake Mein- Khushboo
निम्नलिखित प्रशनो के उत्तर दीजिए—
प्रशन. केवड़ा, गुलाब, खस और रातरानी की खुशबू वाली अगरबत्तियाँ कै से लोग बनाते हैैं ?
उत्तर— केवड़ा, गुलाब, खस और रातरानी की खुशबू वाली अगरबत्तियाँ गन्दे मुहल्ले के गन्दे लोग बनाते हैैं।
प्रशन. ‘गन्दे मुहल्लो के गन्दे लोग’ दूसरो के जीवन को किस प्रकार सुवासित बनाते हैैं ?
उत्तर— इस पंक्ति के द्वारा कवि यह कहना चाहते हैैं कि गन्दी बदबूदार बस्तियों मेें रहने वाले ही ऐसी सुगन्धित अगरबत्तियाँ बनाते हैैं, जो सारे मुल्क के वातावरण को सुवासित कर देती हैैं।
प्रशन . नये बसते इलाके मेें कवि रास्ता क्यों लू जाता है ?
उत्तर— नये बसते इलाके मेें कवि रास्ता इसलिए भटक जाता है क्यों की वहाँ नित-नई इमारतेें बनती नजर आती हैैं। पुराने खण्डहर हुए घरो के अवशेष अब दिखाई नहीं पड़ते। प्रकृति की वन-सम्पदा को भी नष्ट करते हुए अब ऊँची-ऊँ ची इमारतेें बनती जा रही हैैं जिस कारण कवि का भ्रमित होना स्वाभाविक है।
प्रशन . कविता मेें कौन-कौन से पुराने निशानो का उल्लेख किया गया है ?
उत्तर— ‘नये इलाके ’ कविता मेें कवि ने ताकता पीपल का पुराना पेड़, खण्डहर हुए घरो के अवशेष, जमीन का खाली टुकड़ा, बिना रंग वाले लोहे का फाटक जैसे पुराने निशानो का उल्लेख किया है। पहले यह निशान कवि को अपना घर पहचानने मेें मदद करत थे, परन्तु अब समय के साथ-साथ और आबादी के बढ़ने के कारण यह लुप्त होते जा रहे हैैं। पुराने निशान के वल कवि की स्मृति मेें ही हैैं।
प्रशन. कवि एक घर पीछे और दो घर आगे क्यों चल देता है?
उत्तर— कवि एक घर पीछे और दो घर आगे इसलिए चल देता है क्यों की समय के साथ-साथ उसके इलाके मेें भी काफी बदलाव आ गया है। अपने घर लौटते समय वह सही रास्ता नहीं पहचान पाते। अपने डगमगाते कदमो से कभी वे एक घर पीछे रह जाते हैैं तो कभी दो घर आगे चले जाते हैैं। ऊँची-ऊँ ची इमारतो के बीच अपनी एक मंजिला इमारत और उसके बेरंग हुए लोहे के फाटक तक को वह पहचान नहीं पाते।
प्रशन . ‘वसंत का गया पतझड़ को लौटा’ और ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर— इन दोनो वाक्ंयाशो का अभिप्राय है बहुत लम्बा समय बीत जाना। कवि कह रहे हैैं कि एक ही दिन बीतने पर दुनिया मेें इतनी तेजी से परिवर्तन आ रहा है, जितना कि कई ऋतुएँ बीतने पर आता है।
प्रशन. इस कविता मेें कवि ने ‘समय की कमी’ की ओर क्यों इशारा किया है ?
उत्तर— कवि ने इस कविता मेें समय की कमी की ओर इशारा इसलिए किया है क्यों की वह स्पष्ट करना चाहते हैैं कि समय गतिमान है जो कभी किसी के लिए नही रुकता। जिस प्रकार विनाश होते देर नही लगती उसी प्रकार नव - निर्माण भी होने लगता है। इस कविता मेें कवि ने जहाँ मनुष्य की विनाशकारी लीला का चित्रण किया है वही दुसरी ओर मनुष्य द्वारा ही सृजनात्मक नव - निर्माण की प्रशंसा की है।
प्रशन. इस कविता मेें कवि ने शहरो की किस विडबना की ओर संकेत किया है ?
अथवा
‘नये इलाके ’ कविता के माध्यम के कवि हमेें क्या प्रेरणा दे रहे हैैं ?
उत्तर— कवि ने इस कविता मेें शहरो मेें हो रहे नित-नये परिवर्तन की ओर संकेत किया है। शहरों मेें कुछ-न-कुछ नव - निर्माण हो रहा है जिसके कारण पुराने निशान समय के साथ-साथ धूमिल (खत्म) पड़ते जा रहे हैैं। केवल अब मनुष्य की स्मृति पटल पर ही पुराने निशान हैैं जिस कारण मनुष्य को अब अपने घर पहुुँचना असम्भव जान पड़ता है। प्रस्तुत कविता मेें कवि यह बता रहे हैैं कि मनुष्य को अब किसी से मिलने के लिए हर दरवाजा खट-खटाना पड़ता है क्यों की अब घरो का बाहरी रूप रंग बदल चुका है। इस बदलाव की धारा कुछ ज्यादा ही तेज है जिस कारण मनुष्य इस बदलाव को सहज रूप से स्वीकार नहीं कर पा रहा है।
प्रशन. खुशबू रचने वाले हाथ के सी परिस्थितियोंमेें तथा कहाँ-कहाँ रहते हैैं ?
उत्तर— ‘खुशबू रचने वाले हाथ’ कविता मेें कवि ने उन निम्न वर्गगों के लोगो जैसे मजदूरो, श्रमिको, बाल - श्रमिको आंदि का उल्लेख करते हुए यह स्पष्ट किया है कि ऐसे लोग दूसरो को सु न्दरता प्रदान तो कर सकते हैैं पर स्वयं सुन्दर स्थान पर नही रह सकते। ऐसे लोग सुगन्धित सामान बनाकर लोगो के घर-आँगन को महका तो सकते हैैं पर स्वयं बदबूदार गलियोंमेें रहतेहैैं। कुछ लोग तो गन्दे नालोंके पास, कूड़े के ढेर के पास अपने भाग्य और परिस्थिति को कोसते रहते हैैं।
प्रशन. कविता मेें कितने तरह के हाथो की चर्चा हुई है ?
उत्तर— कविता मेें ‘हाथ’ शब्द का प्रयोग बहुवचन के रूप मेें हुआ है। कवि ने मेहनत करने वाले उन मजदूरो की चर्चा की है जिनके हाथ जख्म, दर्द, खून, कालिख, घिसे नाखून, उभरी नसो वाले होते हैैं। इस कविता मेें कवि ने निम्न वर्ग के हर आयु के ऐसे काँपते हाथों की चर्चा की है जिनकी स्थिति दयनीय है।
प्रशन. कवि ने यह क्यों कहा है कि खुशबू रचते हैैं हाथ’ ?
उत्तर— प्रस्तुत कविता मेें कवि ने निम्न वर्ग के उन कर्मठ हाथो की चर्चा की है जिनके हाथों मेें अदभुत कलाकारी है। यह ऐसे कलाकार हैैं जिनके हाथो का लोहा व विदेशी बाजार तक मानता है। विदेशी बाजारोंमेें मिलने वाली यह प्रसिद्ध वस्तुएँ गरीब, मजदूरो, बाल - श्रमिकों द्वारा बनाई जाती हैैं। यह मेहनती हाथ अपने हाथ पर लगी चोटो, जंखमो और कटे नाखूनो की परवाह न करते हुए सुगन्धित वस्तुएँ; जैसे–इत्र, अगरबत्तियाँ बनाने का कार्य करते हैैं और हमारे घर एवं पूजा स्थलों पर खुशबू रचते हैैं।
प्रशन. जहाँ अगरबत्ती बनती हैैं, वहाँ का माहौल कै सा होता है ?
अथवा
‘खुशबू रचते हैैं हाथ’ मेें कारीगर कै सी परिस्थिति मेें रहते हैैं ?
उत्तर— जहाँ अगरबत्ती बनती हैैं वहाँ का माहौल बिल्कुल भी रहने लायक नही होता, वहाँ प्रदूषित वातावरण बदबू, गन्दगी आदि का समावेश होता है। दुनिया मेें खुशबू फैलाने वाले यह मजदूर स्वयं बदबू और दुगन्ध के बीच रहकर भी दूसरो का हित ही चाहते हैैं। स्वयं प्रदूषित वातावरण मेें रहकर वे दूसरो के लिए मंगलकारी कार्य करते हैैं।
प्रशन. इस कविता को लिखने का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
अथवा
‘खुशबू रचते हैैं हाथ’ कविता मेें कवि किस समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करते हैैं और क््योों ?्योों
उत्तर— इस कविता के माध्यम से कवि निम्न वर्ग विशेष की विशेषताओं का चित्रण कर रहे हैैं, वह स्पष्ट करते हुए कह रहे हैैं कि इस दुनिया की अदभुत सुन्दरता के पीछे उन हाथों का कमाल है जो गन्दगी के वातावरण मेें जी रहे हैैं। लोगो के जीवन मेें स्वच्छता, सुगन्धिता और खुशहाली बिखेरने वाले ये लोग स्वयं गन्दगी, अभाव और बेबसी मेें जी रहे हैैं। ये ऐसे लोग हैैं जिन्होंने अपनी मेहनत द्वारा समाज का कल्याण किया है, पर स्वयं वे समाज से ही अलग हैैं। कवि ने ऐसे, उपेक्षित गरीब, साधनहीन मजदूरों और बाल-श्रमिको की समस्याओ को उभारा है जो स्वयं अभावों मेें अपना जीवन काट रहे हैैं पर समाज का नव - निर्माण कर रहे हैैं।
प्रशन . निम्नलिखित पंक्तियो का आशय स्पष्ट कीजिए–
(क) (i) पीपल के पत्ते से नये-नये हाथ
जूही की डाल-से खुशबूदार हाथ।
उत्तर–प्रस्तुत पंक्तियोंमेें कवि स्पष्ट करते हैैं कि अगरबत्तियोंका निर्माण के वल बड़े ही नहीं बल्कि छोटे बालक (14 वर्ष की कम उम्र) एवं कोमल स्त्रियाँ भी करती हैैं। पीपल के पत्तो के समान कोमल हाथो वाले बच्चे एव जूही की डाली के समान सुन्दर और कोमल हाथो वाली स्त्रियाँ इस व्यवसाय से जुड़ी हैैं। गरीब लोग कठिन परिश्रम करते हैैं, फिर भी गन्दगी भरे वातावरण मेें जीने को विवश हैैं।
(ii) दुनिया की सारी गन्दगी के बीच
दुनिया की सारी खुशबू
रचते रहते हैैं हाथ।
उत्तर– इन पंक्तियों मेें कवि ने दुनिया मेें सबसे अधिक बिकने वाली अगरबत्तियो, जिनके द्वारा घर सुगन्धित हो जाता है, उसे बनाने वाले श्रमिको के जीवन के पहलुओ को दशाया है। यह एक हमारे समाज का अभावग्रस्त वग है जो प्रत्येक दिन की जीविका पर अपना जीवन-यापन करता है पर फिर भी दूसरो के जीवन मेें सुगन्ध और सुन्दरता का सं चार करता है।
(ख) कवि ने इस कविता मेें ‘बहुवचन’ का प्रयोग अधिक किया है। इसका क्या कारण है ?
उत्तर–इस कविता मेें कवि ने बहुवचन शब्दों का प्रयोग किया है; जैसे–गलियो, अगरबत्तियो, नाखूनो, गंदे हाथो, मुहल्ले, गन्दे लोग। इन बहुवचनो के प्रयोग द्वारा कवि ने किसी व्यक्ति विशेष को नही बल्कि सामूहिक लोगो की समस्या को उकेरा है साथ ही कवि ने कठोर श्रम करती महिलाओ तं था बाल-श्रम की विभीषिका झेल रहे बच्च्चो के दुख - दर्द की अभिव्यंजना की है।
(ग) कवि ने हाथो के लिए कौन-कौन से विशेषणो का प्रयोग किया है ?
उत्तर–कवि ने हाथो के लिए खुशबू रचते हाथ, उभरी नसो वाले हाथ, घिसे या टूटे नाखून वाले हाथ, पीपल के पत्तो से, जूही ही की कली-से, गन्दे कटे-पिटे, जख्म से भरे हुए, विशेषणो का प्रयोग किया है।