NCERT Solutions for Class 9 Hindi - B: Kritika Chapter - 2 Mere Sang Ki Aurtein
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प्रश्न. लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं, फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थीं?
उत्तर— लेखिका अपनी नानी के व्यक्तित्व से एक विशेष घटना के कारण प्रभावित थीं। उनकी नानी ने आजीवन किसी अन्य पुरुष से बात नहीं की थी, परन्तु अपनी बेटी की शादी के लिए वे प्रसिद्ध क्रांतिकारी प्यारेलाल शर्मा से मिलीं। उन्होंने प्यारेलाल शर्मा से कहा, "मेरी बेटी की शादी आप किसी क्रांतिकारी से कराइए।" एक सामान्य महिला, जो सदैव पर्दा करती थी और किसी से बात नहीं करती थी, का यह व्यवहार आश्चर्यजनक था। इसलिए लेखिका अपनी नानी के व्यक्तित्व से प्रभावित हुई।
प्रश्न. लेखिका की नानी की आज़ादी के आन्दोलन मेें किस प्रकार की भागीदारी रही?
उत्तर— लेखिका के नाना एक अंग्रेज भक्त थे, परन्तु लेखिका की नानी एक सच्ची देशभक्त थीं। यद्यपि उन्होंने प्रत्यक्ष रूप से स्वतंत्रता आन्दोलन में कोई योगदान नहीं दिया, परन्तु अपनी बेटी का विवाह एक क्रांतिकारी से कराकर निश्चित रूप से स्वतंत्रता आन्दोलन में योगदान दिया।
प्रश्न. लेखिका की माँ परम्परा का निर्वाह न करते हुए भी सबके दिलों पर राज करती थी। इस कथन के आलोक में–
(क) लेखिका की माँ के व्यक्तित्व की विशेषताएँ लिखिए।
(ख) लेखिका की दादी के घर के माहौल का शब्द-चित्र अंकित कीजिए।
उत्तर— (क) लेखिका की माँ के व्यक्तित्व की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं–
(1) वे गाँधीवादी विचारधारा के अनुसार जीवन व्यतीत करती थीं।
(2) वे सत्यवादी, ईमानदार और निष्पक्ष महिला थीं।
(3) उन्होंने सामान्य भारतीय महिला की तरह कभी भी घर के काम नहीं सँभाले; उनका समय पुस्तक पढ़ने और संगीत सुनने में बीतता। उनमें आज़ादी के प्रति जुनून था।
(4) घर के कार्यों में उनकी राय ली जाती थी और उसका पालन भी किया जाता था।
(ख) लेखिका की दादी के घर का माहौल बहुत विचित्र था। लेखिका के दादा अंग्रेज भक्त थे और घर में उन्हीं के अनुसार कार्य किए जाते थे, पर सभी अपनी निजी ज़िन्दगी अपने ढंग से जीने के लिए स्वतन्त्र थे। घर की नारियाँ स्वतंत्रता आन्दोलन से जुड़ी थीं। लेखिका की परदादी लीक से हटकर कार्य करने वाली स्त्री थीं। वे चाहती थीं कि उनकी पतोहू को कन्या हो। ऐसी कामना करना उस समय के पुत्र-प्रेमी समाज में आश्चर्यजनक था। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि लेखिका की दादी के घर में विचित्र विरोधों का योग था।
प्रश्न. आप अपनी कल्पना से लिखिए कि परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत क्यों माँगी?
उत्तर— लेखिका की परदादी के समय में समाज में लड़कियों के साथ भेदभाव होता था। उन्हें घर के लिए भार समझा जाता था तथा अनेक लड़कियों को पैदा होते ही मार दिया जाता था। मेरी कल्पना में परदादी ने इसी सामाजिक बुराई को दूर करने के लिए अपनी पतोहू के पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत माँगी होगी।
प्रश्न. डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है–पाठ के आधार पर तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर— लेखिका की परदादी के कमरे मेें एक बार एक चोर आ जाता है। लेखिका की माँ को जब चोर का पता चलता है तो वह उसे पकड़ने, पिटवाने या उपदेश देने के स्थान पर उससे एक लोटा पानी पिलाने के लिए कहती है और चोर को अपना पुत्र बना लेती है। इससे चोर का हृदय परिवर्तित हो जाता है और वह चोरी छोड़कर खेती करने लगता है। इस प्रकार हम कह सकते हैैं कि डराने-धमकाने उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है।
प्रश्न. 'शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है'–इस दिशा में लेखिका के प्रयासों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर— लेखिका एक बार कर्नाटक के एक छोटे-से कस्बे बागलकोट में जाती है। उसके दोनों बच्चे पढ़ने लायक थे, परन्तु वहाँ कोई ढंग का विद्यालय नहीं था। उसने पास के एक कैथोलिक बिशप से वहाँ स्कूल खोलने का अनुरोध किया, परन्तु कैथोलिक बिशप ने यह कहते हुए स्कूल खोलने से मना कर दिया कि उस क्षेत्र में क्रिश्चियन जनसंख्या कम है। इसके उपरांत, लेखिका ने स्वयं तथा कुछ अन्य लोगों की सहायता से वहाँ एक स्कूल खोला, जिसमें अफसरों के भी बच्चे पढ़ते थे।
प्रश्न. पाठ के आधार पर लिखिए कि जीवन में कैसे इंसानों को अधिक श्रद्धा भाव से देखा जाता है?
उत्तर— जो इंसान ईमानदार, सत्यवादी, निष्पक्ष और दृढ़ संकल्प से युक्त होते हैं तथा आवश्यकता होने पर सामाजिक रूढ़ियों और बंधनों के प्रति विद्रोह करने का साहस रखते हैं, उन्हीं इंसानों को अधिक श्रद्धा भाव से देखा जाता है। जैसे इस पाठ में सभी अपनी-अपनी पसंद के अनुसार किसी न किसी को श्रद्धा भाव से देखते हैं। लेखिका की परदादी चोर को खेतीहार बनाकर श्रद्धा योग्य बनाती हैं। लेखिका के नाना के परिवार के प्रति लेखिका की माँ का ससुराल पक्ष श्रद्धावान है क्योंकि उनका साहबी रुतबा है। लेखिका की नानी परम्परावादी, अनपढ़ तथा पर्दानशी होते हुए भी मरने से पहले अपने पति के स्वतंत्रता सेनानी मित्र प्यारेलाल शर्मा से मिलती हैं और उनसे वादा लेती हैं कि वह उनकी बेटी का विवाह स्वतंत्रता सेनानी से करवाएँगे।
प्रश्न. ‘सच, अके लेपन का मज़ा ही कु छ और है’–इस कथन के आधार पर लेखिका की बहन एवं लेखिका के व्यक्तित्व के बारे मेें अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर— लेखिका और उसकी बहन, दोनों का व्यक्तित्व मौलिक था। वे दोनों स्वयं के बल पर ही किसी कार्य को अकेले करने की हिम्मत रखती थीं।
लेखिका ने बिहार में स्वयं नारी-जागृति का कार्य किया तथा कर्नाटक के बागलकोट में एक प्राइमरी स्कूल खोला।
लेखिका की बहन स्कूल जाने के लिए बस का प्रयोग नहीं करती थी। एक दिन बहुत वर्षा हुई, फिर भी वह अकेले स्कूल गई। सब लोगों ने उसे स्कूल जाने के लिए मना भी किया था, परन्तु वह नहीं मानी। इससे यह सिद्ध होता है कि वह अकेले ही राह पर चलना चाहती थी। वह सबकी चुनौतियाँ भी स्वीकार कर लेती थी। स्कूल की गाड़ी में न जाकर वह पैदल जाती थी।
लेखिका दिल्ली के कॉलेज में पढ़ाती थी, परन्तु शादी के बाद उसे डालमियानगर तथा बागलकोट जैसे कस्बों में रहना पड़ा। वहाँ रहते हुए वह अपने प्रयासों से प्राइमरी स्कूल खुलवाती है तथा अपनी विचारधारा वाले लोगों के साथ मिलकर नाटकों का मंचन कर सहायता कोषों में सहयोग राशि देती है।
इस प्रकार स्पष्ट है कि ये दोनों बहनें अकेले चलकर भी सभी के लिए बहुत कुछ कर सकीं, इसलिए लेखिका की बहन कहती है कि ‘अकेलेपन का मजा ही कुछ और है।’
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