NCERT Solutions for Class 9 Hindi - B: Kritika Chapter 3 - Reedh ki Haddi
NCERT Solutions for Class 9 Hindi - B: Kritika Chapter - 1 Reedh Ki Haddi Free PDF Download
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प्रश्न. रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात-बात पर "एक हमारा जमाना था..........." कहकर अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करते हैं। इस प्रकार की तुलना करना कहाँ तक तर्कसंगत है?
उत्तर— मनुष्य की यह प्रवृत्ति होती है कि उसे अपने अतीत या बीते समय से बहुत लगाव होता है, और वह उन अतीत की यादों में खोया रहता है। रामस्वरूप और गोपालप्रसाद भी ऐसा ही करते हैं, लेकिन उनका इस प्रकार की तुलना करना उचित नहीं है क्योंकि समय परिवर्तनशील है, वह सदैव समान नहीं रहता। हर नये जमाने में कुछ अच्छाइयाँ होती हैं और कुछ बुराइयाँ भी। ऐसी बातों से नवपीढ़ी भी हतोत्साहित होती है।
प्रश्न. रामस्वरूप का अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और विवाह के लिए छिपाना, यह विरोधाभास उनकी किस विवशता को उजागर करता है?
उत्तर— रामस्वरूप आधुनिक विचारों के व्यक्ति थे। वह लड़के और लड़की को समान समझते थे, इसलिए उन्होंने अपनी बेटी को बी.ए. तक पढ़ाया। जब बेटी विवाह योग्य हो गई, तो उन्होंने लड़के की खोज शुरू की। लेकिन लड़के वाले कम पढ़ी-लिखी लड़की की माँग करते थे, इसलिए रामस्वरूप को अपनी बेटी के भविष्य की खातिर उसकी पढ़ाई को छिपाना पड़ा। यही उनकी विवशता थी।
प्रश्न. अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, वह उचित क्यों नहीं है?
उत्तर— रामस्वरूप अपनी बेटी से यह अपेक्षा करते हैं कि वह लड़के वालों के समक्ष यह झूठ बोले कि वह कम पढ़ी-लिखी है तथा कृत्रिम सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग करके जाए ताकि लड़के वालों को खूबसूरत लगे, क्योंकि गोपाल प्रसाद अपने बेटे शंकर के विवाह के लिए एक सुन्दर लड़की चाहते हैं। रामस्वरूप चाहते हैं कि उमा गोपाल प्रसाद के सही-गलत सभी प्रकार के सवालों का जवाब शालीनता से देती रहे क्योंकि वे लड़के वाले हैं। यह व्यवहार सर्वथा अनुचित है, क्योंकि किसी की इच्छा के विरुद्ध उससे कार्य कराना सभ्य समाज के लिए हानिकारक है। समाज में यदि लड़कों को अपनी इच्छानुसार जीवन जीने का अधिकार है, तो लड़कियों को भी वही अधिकार मिलना चाहिए।
प्रश्न. गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिजनेस’ मानते हैं और रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छिपाते हैं। क्या आप मानते हैं कि दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं? अपने विचार लिखें।
उत्तर— मेरे विचार से दोनों ही अपराधी हैं। गोपाल प्रसाद विवाह जैसे पवित्र बंधन को बिज़नेस मानते हैं और उनकी दृष्टि में विवाह का कोई महत्व नहीं है; वे विवाह की महिमा नहीं समझते हैं। दूसरी ओर, रामस्वरूप भी परिस्थितियों के अधीन होकर अपनी बेटी पर झूठ बोलने का दबाव डालते हैं। वे उसकी उच्च शिक्षा की बात भी छिपाते हैं। रामस्वरूप चाहते हैं कि किसी भी तरह उनकी बेटी का विवाह हो जाए, इसलिए वे गोपाल प्रसाद की हर सही-गलत बात पर उनकी हाँ में हाँ मिलाते रहते हैं। वे अपनी बेटी से विवाह के संबंध में उसकी पसंद-नापसंद तक नहीं पूछते हैं। इस प्रकार, वे भी उतने ही अपराधी हैं जितने कि गोपाल प्रसाद और शंकर।
प्रश्न.".........आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं........" उमा इस कथन के माध्यम से शंकर की किन कमियों की ओर संकेत करना चाहती है?
उत्तर— उक्त कथन के माध्यम से उमा शंकर की निम्न कमियों की ओर संकेत करना चाहती है–
(1) शंकर एक चरित्रहीन व्यक्ति था।
(2) उसका अपना कोई मत नहीं था।
(3) वह शारीरिक रूप से अस्वस्थ था।
प्रश्न. शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की—समाज को किस प्रकार के व्यक्तित्व की जरूरत है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर— समाज को शंकर जैसे लड़कों की जरूरत नहीं है क्योंकि उनसे समाज को लाभ की अपेक्षा हानि ही होती है। वह पढ़ा-लिखा होते हुए भी कुंठित मानसिकता रखता है और लड़के और लड़कियों के बीच भेदभाव करता है। उसकी यह मानसिकता समाज को किसी भी प्रकार से आगे बढ़ाने में सहायक नहीं होगी। जबकि उमा जैसी लड़कियों से समाज को आगे बढ़ने और रूढ़िवादी विचारों के विरुद्ध संघर्ष करने की प्रेरणा मिलती है। वह पढ़ी-लिखी और समझदार लड़की है तथा अन्याय का पुरजोर विरोध करती है। वह लड़के और लड़की के भेदभाव को समाप्त करना चाहती है, इसलिए रिश्ता तय करते समय पूछे जाने वाले सवालों को वह लड़की का अपमान समझती है। उमा की सोच और उसके विचार समाज को ऊँचा उठाने में सहायक हैं, अतः समाज को उमा जैसी लड़कियों की आवश्यकता है।
प्रश्न. 'रीढ़ की हड्डी' शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर— यह एकांकी सामाजिक कुरीतियों पर करारा प्रहार करते हुए बताता है कि किस तरह गोपाल प्रसाद अपने अक्षम और चरित्रहीन बेटे के लिए सुन्दर और निपुण बहू चाहते हैं, जबकि वे भलीभाँति जानते हैं कि उनका बेटा स्वयं पूर्ण नहीं है। शंकर की चरित्रहीनता और शारीरिक अक्षमता के कारण उसे बिना रीढ़ की हड्डी वाला मनुष्य कहा गया है। इसी प्रकार, यह समाज भी गोपाल प्रसाद जैसे लोगों और उनके द्वारा फैलाई गई सामाजिक कुरीतियों के कारण असंतुलित और लचर हो गया है। अतः इसे भी बिना रीढ़ की हड्डी वाला कहा जा सकता है। इस प्रकार, 'रीढ़ की हड्डी' शीर्षक एक संकेतात्मक शीर्षक है।
प्रश्न. कथावस्तु के आधार पर आप किसे एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं और क्यों?
उत्तर— मेरे विचार से एकांकी की मुख्य पात्र उमा है। एकांकी की कथा का केंद्र-बिंदु वही है। यदि उमा को एकांकी से हटा दिया जाए, तो एकांकी का उद्देश्य ही समाप्त हो जाएगा। एकांकीकार उमा के माध्यम से ही अपने उद्देश्य को पूर्ण करने में सफल हुआ है।
प्रश्न. एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए।
उत्तर— रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं–
रामस्वरूप
(1) वह प्रगतिशील विचारों से युक्त व्यक्ति है और इसीलिए अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलाता है।
(2) वह परिस्थितियों के अधीन है और इसी कारण झूठ बोलने के लिए विवश हो जाता है।
गोपाल प्रसाद
(1) गोपाल प्रसाद धन-लोलुप व्यक्ति है और शादी को भी बिज़नेस मानता है।
(2) वह स्वार्थी व्यक्ति है और अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए अपने लड़के का भी उपयोग करता है।
(3) वह अपनी प्रशंसा स्वयं करने वालों में से है।
(4) वह रूढ़िवादी विचारधारा का पोषक है।
प्रश्न. इस एकांकी का क्या उद्देश्य है? लिखिए।
उत्तर— इस एकांकी का उद्देश्य कुत्सित मानसिकता पर व्यंग्य करना है, जो स्त्री और पुरुष में भेदभाव करती है। एकांकी में लेखक ने उमा के माध्यम से गोपाल प्रसाद और शंकर जैसे व्यक्तियों को करारा जवाब दिया है, जो दोहरी मानसिकता से ग्रस्त हैं और लड़कियों को घर तक ही सीमित रखना चाहते हैं।
प्रश्न. समाज मेें महिलाओंको उचित गरिमा दिलाने हेतु आप कौन- कौन से प्रयास कर सकते हैैं?
उत्तर— समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु हम निम्नलिखित प्रयास कर सकते हैं–
(1) स्त्रियों को शिक्षा के समान अवसर प्रदान करके।
(2) अच्छे कार्य करने वाली स्त्रियों को सम्मानित करके।
(3) दहेज को प्रतिबंधित करके।
(4) स्त्रियों का सम्मान करके।
(5) समाज में विदुषी, वीर और साहसी महिलाओं के उदाहरण प्रस्तुत करके, जिससे अन्य महिलाएँ प्रेरणा ले सकें।
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NCERT Solutions Class 9 Hindi
- Chapter 1 – Do Bailon Ki Katha
- Chapter 2 – Lahaasa Ki Or
- Chapter 3 – Upbhoktavad Ki Sanskriti
- Chapter 4 – Saawle Sapno ki Yaad
- Chapter 5 – Premchand Ke Phate Joote
- Chapter 6 – Mere Bachpan Ke Din
- Chapter 7 – Saakhiyan Avam Sabad
- Chapter 8 – Waakh
- Chapter 9 – Sawaaye
- Chapter 10 – Kaidi aur Kokila
- Chapter 1 – Dukh aur Adhikaar
- Chapter 2 – Everest: Meri Shikhar Yaatra
- Chapter 3 – Tum Kab Jaaoge Atithi
- Chapter 4 – Vaigyaanik Chetna ke Vaahak Chandrashekhar Venkat Raman
- Chapter 5 – Sukrataare ke Saamaan
- Chapter 6 – Pad
- Chapter 7 – Dohe
- Chapter 8 – Geet Ageet
- Chapter 9 – Agri Path
- Chapter 10 – Naye Ilaake Mein- Khushboo
- Chapter 1 – Is Jal Pralay Mein
- Chapter 2 – Mere Sang ki Aaurtein
- Chapter 3 – Reedh ki Haddi
- Chapter 1 – Gillu
- Chapter 2 – Smriti
- Chapter 3 – Kallu Kumhaar ki Unankoti
- Chapter 4 – Mera Chota sa Niji Pustakalya