NCERT Solutions for Class 9 Hindi - A: Sparsh Chapter - 3 Tum Kab Jaaoge Atithi

NCERT Solutions for Class 9 Hindi - A: Chapter 3 Free PDF Download

Please Click on Free PDF Download link to Download the NCERT Solutions for Class 9 Hindi - A: Sparsh Chapter - 3 Tum Kab Jaaoge Atithi

    Fields marked with a are mandatory, so please fill them in carefully.
    To download the PDF file, kindly fill out and submit the form below.

    मौखिक–

    निम्नलिखित प्रश्‍नोंके उत्तर एक-दो पंक्तियोंमेें दीजिए–

    प्रश्न 1. अतिथि कितने दिनोंतक लेखक के घर पर रह रहा है?

     उत्तर–अतिथि चार दिनोंसे लेखक के घर पर ठहरा हुआ है।

    प्रश्न 2. केलेण्डर की तारीखेें किस तरह फड़फड़ा रही हैैं?

    उत्तर– केलेण्डर की तारीखेें विनम्रता से फड़फड़ा रही हैैं। वे पिछले दिन बीतने और अगला दिन आने की सूचना दे रही हैैं।

    प्रश्न 3. पति-पत्नी ने मेहमान का स्वागत किस प्रकार किया?

    उत्तर–पति ने प्रेम भरी मुस्कान के साथ अतिथि को गले से लगाकर और पत्नी ने सादर नमस् कर ते उसका स्वागत किया।

    प्रश्न 4. दोपहर के भोजन को कौन-सी गरिमा प्रदान की गई?

    उत्तर– दोपहर के भोजन को लंच की गरिमा प्रदान की गई।

    प्रश्न 5. तीसरे दिन सुबह अतिथि ने क्या कहा?

    उत्तर– तीसरे दिन सुबह अतिथि ने कहा, “मैैं धोबी को कपड़े देना चाहता हूूँ।”

    प्रश्न 6. सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर क्या हुआ?

    उत्तर–सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर अच्छा खासा डिनर खिचड़ी पर आकर सिमट गया।

    लिखित–

    निम्नलिखित प्रश्‍नोंके उत्तर (25-30) शब््दोों मेें लिखिए–

    प्रश्न 7. लेखक अतिथि को कैसी विदाई देना चाहता था?

    उत्तर– लेखक अतिथि को भावभीनी विदाई देना चाहता था। वह चाहता था कि वह अतिथि को अपनी पत्नी के साथ रेलवे स्टेशन छोड़ने जाए। बार-बार अपनी पत्नी के साथ अतिथि को रुकने का आग्रह करे, परन्तु अतिथि जाने की हठ करे। जब अतिथि ट्रेन में बैठ जाए, तो उनके मन में लेखक और उनकी पत्नी के अतिथि सत्कार की यादें हों, वह लेखक की यादों की अमिट छाप अपने हृदय में लेकर चले जाए।

    प्रश्न 8. पाठ मेें आये निम्नलिखित कथनोंकी व्याख्या कीजिए।
    (क) अन्दर ही अन्दर कहींमेरा बटुआ काँप गया।

    उत्तर– प्रस्तुत कथन में लेखक ने अपनी आर्थिक स्थिति के विषय में बताया है कि जब उनके घर अतिथि आए, तो अतिथि-सत्कार में होने वाले खर्चे की कल्पना करके उनका बटुआ काँप गया। उन्हें ऐसा आभास हो गया था कि अब उनका खर्चा अचानक से बढ़ जाएगा, जो उनकी जेब पर भारी पड़ जाएगा।

    प्रश्न 8. (ख) अतिथि सदैव देवता नहीं होता, वह मानव और थोड़े अंशोंमेें राक्षस भी होता है।

    उत्तर– प्रस्तुत कथन में लेखक कहना चाहते हैं कि पहले के समय में अतिथि को देवता तुल्य माना जाता था, परन्तु आज के समय में यह कथन प्रासंगिक नहीं है। लेखक स्पष्ट करते हुए बताते हैं कि अब अतिथि देवता नहीं रह गया, बल्कि वह एक ऐसा राक्षस बन गया है जो दूसरों का अधिकार और कभी-कभी दूसरों की वस्तुएँ तक छीन लेता है। यदि अतिथि कुछ समय के लिए आए, तो वह देवता तुल्य होता है और उसका स्वागत किसी पूजा से कम नहीं होता, परन्तु जब वह लंबे समय तक बेवजह टिक जाता है, तो वह बोझ के समान प्रतीत होता है और मेजबान उसके जाने की प्रतीक्षा करता है। उस समय मेहमान दानव जैसा लगने लगता है।

    प्रश्न 8. (ग) लोग दूसरे की होम की स्वीटनेस को काटने न दौड़ेें।

    उत्तर– इस कथन से लेखक यह कहना चाह रहे हैं कि अपना घर 'स्वीट होम' कहलाता है, जहाँ हम अपने परिवार के साथ आरामपूर्वक रहते हैं और अपनी सुविधानुसार कुछ भी कर सकते हैं। परन्तु कभी-कभी घर पर बिन बुलाए मेहमान के आने से हमारी स्वतंत्रता और शांति में खलल आ जाता है। अतिथि के आने से हमारी आर्थिक स्थिति पर भी प्रभाव पड़ता है, और कभी-कभी अधिक खर्च के कारण यह डगमगा भी जाती है। अतिथि के आगमन से घर की शांति और सुख-चैन भी कभी-कभी छिन जाता है। अतः अतिथियों को दूसरों के घर की शांति को भंग करना और नष्ट करना नहीं चाहिए। उन्हें चाहिए कि मेजबान के घर में ज्यादा समय तक न रुकें और उनके जीवन में जहर न घोलें।

    प्रश्न 8. (घ) मेरी सहनशीलता की वह अन्तिम सुबह होगी।

    उत्तर– इस कथन के द्वारा लेखक अपनी सहनशीलता को प्रदर्शित करते हुए अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं कि यदि पाँचवें दिन की सूरज की किरण के आगमन पर भी अतिथि महोदय का मन यहाँ से जाने के लिए नहीं हुआ, तो यह मेरी (लेखक की) सहनशीलता का अंतिम पल होगा। अब उन्हें जरा भी संकोच नहीं होगा कि वे अतिथि से कहें, "अब आप जाइए।" अतिथि को स्वयं समझना चाहिए कि किसी के घर पाँचवें दिन तक रुकना, उन पर बोझ बनने के बराबर है। यदि वह स्वयं नहीं समझेंगे, तो मुझे भी उन्हें "गेट-आउट" कहने में जरा भी हिचकिचाहट नहीं होगी।

    प्रश्न 8. (ङ) एक देवता और मनुष्य अधिक देर साथ नहींरहते।

    उत्तर– प्रस्तुत कथन के द्वारा लेखक देवता और मनुष्य के बीच के अंतर को स्पष्ट करते हुए कह रहे हैं कि देवता भी मनुष्य को दर्शन देकर चले जाते हैं, उनका अधिक समय तक रुकना उनके देवत्व को खोने के बराबर है। इसलिए लोग देवता का सत्कार करते हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि देवता के दर्शन दुर्लभ होते हैं। मनुष्य देवता नहीं है, परन्तु भारतीय परम्परा के अनुसार अतिथि को देवता के समान माना गया है, परन्तु वह देवता नहीं है। यहाँ अतिथि किसी के घर आकर बैठ जाता है और जाने का नाम नहीं लेता, जिससे लोगों के घर की शांति भंग होती है। इस कारण विपरीत स्वभाव के कारण देवता और मनुष्य साथ नहीं रह सकते। अतः अतिथि को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यदि उसे देवता के समान माना जाता है, तो वह देवता की मर्यादा का उल्लंघन न करे और कुछ देर बाद चला जाए।

    प्रश्न 9. कौन-सा आघात अप्रत्याशित था और उसका लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?

    उत्तर– अतिथि का तीसरे दिन लेखक के यहाँ रुकना और धोबी से कपड़े धुलवाने की बात कहना लेखक को अप्रत्याशित लगा। साधारण तौर पर कोई भी अतिथि किसी के घर दो से तीन दिन तक ही रहता है, लेकिन लेखक के यहाँ रहने वाले अतिथि ने तीसरे दिन वापस जाने के बजाय अपने कपड़े धुलवाने की बात लेखक से कही, जिसे सुनकर लेखक तिलमिला उठा। अब वह अतिथि लेखक को एक राक्षस के समान लगने लगा। उसे सम्मान देने के बजाय, उसे देखना तक वह पसंद नहीं करता था। उसका जी चाहता था कि अतिथि उसी समय चला जाए, इसलिए उसने धोबी को कपड़े देने के बजाय लॉन्ड्री में देने को कहा, ताकि कपड़े जल्दी धुलकर आ जाएँ और वह अतिथि चला जाए।

    प्रश्न 10. 'सम्बंधों का संक्रमण के दौर से गुजरना' इस पंक्ति से आप क्या समझते हैं? विस्तार से लिखिए।

    उत्तर– इस पंक्ति में लेखक अपने और अतिथि के बीच संबंध के विषय में बता रहे हैं। 'संक्रमण' का अर्थ एक स्थिति से दूसरी स्थिति में जाना है। जब अतिथि लेखक के घर आए थे, तब उनका और अतिथि का संबंध मित्रता, प्रेम, लगाव और आत्मीयता के रूप में था, परन्तु चौथा दिन आते-आते वह संबंध घृणा, परेशानी, शत्रुता और कटुता में बदल गया। अतिथि के आने पर लेखक ने रात के खाने को डिनर, दोपहर के खाने को लंच का रूप दिया, और रात को उन्हें सिनेमा दिखाने ले गए, परन्तु तीसरा दिन आते-आते अतिथि-सत्कार की ऊष्मा ठंडी पड़ने लगी। चौथे दिन तो खिचड़ी खिलाने की नौबत आ गई। लेखक के मन में अतिथि के प्रति निरादरता इतनी बढ़ गई कि उन्होंने अतिथि से 'गेट-आउट' कहने का निश्चय कर लिया। इस प्रकार आपसी संबंध की मधुरता अंत में घृणा और तिरस्कार का रूप ले गई।

    प्रश्न 11. जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया, तो लेखक के व्यवहार में क्या-क्या परिवर्तन आए?

    उत्तर– जब अतिथि चार दिन तक जाने का नाम नहीं ले रहा था, तो अतिथि-सत्कार में कमी आ गई। लंच और डिनर खिचड़ी के रूप में बदल गए। अब लेखक और उसका परिवार अतिथि से मुस्कुराकर बात नहीं करता था, अर्थात अतिथि का सत्कार नहीं करता था। वे साथ बैठते जरूर थे, परन्तु लेखक उपन्यास पढ़ता था और अतिथि फिल्मी पत्रिकाओं के पन्ने उलट रहा था। उनके आपसी सभी चर्चाएँ खत्म हो चुकी थीं, और कमरे में शांति छाई हुई थी। लेखक अतिथि की उपस्थिति को न के बराबर समझता था। लेखक को अतिथि राक्षस के समान लगने लगा था, और उनके मन में बार-बार एक ही सवाल उठता था– "अतिथि! तुम कब जाओगे?"

    प्रश्न 12. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए– चाँद, जिक्र, आघात, ऊष्मा, अंतरंग।

    उत्तर शब्द - पर्यायवाची शब्द
    चाँद: मयंक, निशाकर
    जिक्र: वर्णन, चर्चा
    आघात: चोट, धक्का
    ऊष्मा: ऊर्जा, गर्मी
    अंतरंग: भीतरी, अंदरूनी

    प्रश्न 13. निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए—

    (क) हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने नहीं जाएँगे। (नकारात्मक वाक्य)

    (ख) क्या किसी लॉण्ड्री पर दे देते हैं, जल्दी धुल जाएँगे? (प्रश्‍नवाचक वाक्य)

    (ग) सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो रही होगी। (भविष्यत्वाक्य)

    (घ) कपड़े कहाँ देने हैं? (स्थानसूचक प्रश्‍नवाचक)

    (ङ) ये ज्यादा देर तक नहीं टिकेंगे। (नकारात्मक)

    उत्तर– (क) हम तुम्हहेंस्टेशन तक छोड़ने नहींजायेेंगे।
    (ख) लॉण्ड्री पर देने से क्या जल्दी धुल जायेेंगे?
    (ग) सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो जायेगी।
    (घ) इनके कपड़े कहाँ देने हैैं?
    (ङ) ये कब तक नहींटिकेें गे

    प्रश्न 14. पाठ में आए इन वाक्यों में ‘चुकना’ क्रिया के विभिन्न प्रयोगों को ध्यान से देखिए और वाक्य-संरचना को समझिए—
    (क) तुम अपने भारी चरण-कमलों की छाप मेरी जमीन पर अंकित कर चुके हो।
    (ख) तुम मेरी काफी मिट्टी खोद चुके हो।
    (ग) आदर-सत्कार के जिस उच्च बिंदु पर हम तुम्हें ले जा चुके थे।
    (घ) शब्दों का लेन-देन मिट गया और चर्चा के विषय चुक गए।
    (ङ) तुम्हारे भारी-भरकम शरीर से सलवटें पड़ी चादर बदली जा चुकी है और तुम अभी भी यहीं हो।

    उत्तर– विद्यार्थी इन वाक्यों को ध्यान से पढ़ें और ‘चुकना’ क्रिया के भिन्न-भिन्न प्रयोगों को समझें। वाक्य 'क', 'ख', 'ग' और 'ङ' में ‘चुकना’ संयोग क्रिया के रूप में प्रयुक्त हुआ है और पहली क्रिया के लगभग पूर्ण हो जाने की सूचना देता है। वाक्य 'घ' में यह क्रिया के रूप में प्रयुक्त हुआ है और विषय के समाप्त हो जाने को सूचित करता है।

    प्रश्न 15. निम्नलिखित वाक्य-संरचनाओं में 'तुम' के प्रयोग पर ध्यान दीजिए—
    (क) लॉन्ड्री पर दिए कपड़े धुलकर आ गए और तुम यहीं हो।
    (ख) तुम्हें देखकर फूट पड़ने वाली मुस्कराहट धीरे-धीरे फीकी पड़कर अब लुप्त हो गई है।
    (ग) तुम्हारे भारी-भरकम शरीर से सलवटें पड़ी चादर बदली जा चुकी है।
    (घ) कल से मैं उपन्यास पढ़ रहा हूँ और तुम फिल्मी-पत्रिका के पन्ने पलट रहे हो।
    (ङ) भावनाएँ गालियों का स्वरूप ग्रहण कर रही हैं, पर तुम जा नहीं रहे।

    उत्तर– 'तुम' के प्रयोग पर ध्यान दें। देखने पर स्पष्ट होता है कि 'क', 'घ' और 'ङ' में 'तुम' का प्रयोग कर्ताकारक के रूप में है, 'ख' में कर्मकारक के रूप में, और 'ग' में संबंधकारक के रूप में।

    Share page on