NCERT Solutions for Class 9 Hindi - A : Sparsh Chapter 7 - Dohe
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निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर दीजिए—
प्रश्न. प्रेम का धागा टूटने पर पहले की भाँति क्यों नही हो पाता ?
उत्तर— प्रेम का धागा टूटने पर पहले की भाँति नही जुड़ पाता क्यों की प्रेम रूपी डोर यदि किसी कारणवश टूट जाए तो उसमेें पहले की तरह अपनापन नही रहता और यदि उसे गाँठ द्वारा जोड़ा भी जाए तो वह गाँठ हमेें पहले रिश्ते टूटने की याद हमेशा दिलाती रहेगी।
प्रश्न . हमेें अपना दुख दूसरो पर क्यों नही प्रकट करना चाहिए ? अपने मन की व्यथा दूसरो को कहने पर उनका व्यवहार कैसा हो जाता है ?
उत्तर— हमेें अपना दुःख दूसरो पर इसलिए प्रकट नहीं करना चाहिए क्यों की हमारे दुःख या कष्ट को सुनकर लोग केवल बातेें बनाएँगे या हमारा मज़ाक उड़ाएँगे। कोई हमारा दःख बाँटने आगे नहीं आएगा साथ ही मन की व्यथा दूसरो से कहने पर हम उनकी चर्चा और मज़ाक का पात्र ही बनेेंगे। कोई हमेें सच्ची सहानुभूति नहीं दिखाएगा।
प्रश्न. रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य क्यों कहा है?
उत्तर— रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य इसलिए कहा है क्यों की, कीचड़ युक्त जल से भी उसमेें रहने वाले लघु प्राणी अपनी प्यास बुझाते हैैं परन्तु सागर का खारा पानी विशाल होने पर भी किसी की प्यास नही बुझा सकता। इसलिए पंक जल विशाल जल समूह सागर से भी कही ज्यादा धनी है।
प्रश्न. एक को साधने से सब कै से सध जाता है ?
उत्तर— एक को साधने से सब आसानी से सध जाते हैैं क्यों की परमात्मा के ध्यान से अपने सम्पूर्ण जीवन को सुखी बना सकते हैैं। जिस प्रकार यदि पेड़ की जड़ को सीचा जाए तो वह पेड़ हरा-भरा एवं फल-फूल से परिपूर्ण हो जाता है। उसी प्रकार यदि मनुष्य सच्चे मन से अपने आराध्य का ध्यान करे तो वह जीवन के भव सागर से आसानी से निकल सकता है।
प्रश्न. जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी क्यों नही कर पाता ?
उत्तर— जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी इसलिए नही कर पाता क्यों की कमल का जीवन ही जल है, जल उसको पुष्प रूप मेें विकसित करने के लिए सहायक है, सूर्य की किरणेें केवल उसकी पंखुडियों को खोलकर खिला देती हैैं पर जल उन पंखुडियो को नई जान, सुदरता, कोमलता और सुगंध देता है इसलिए जल के बिना कमल के पुष्प की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
प्रश्न. अवध नरेश को चित्रकूट क्यों जाना पड़ा ?
उत्तर— श्री रामचन्द्रजी को चौदह वर्षषों का वनवास मिला था तो वे अपने मन की शांति के लिए चित्रकूट की शांत एवं मनोरम प्राकृतिक छटा मेें कुछ दिन रहे थे।
प्रश्न. नट किस कला मेें सिद्ध होने के कारण ऊपर चढ़ जाता है ?
उत्तर— नट कलाबाजी की कला मेें सिद्ध होता है। इस कला द्वारा वह अपने पूरे शरीर को समेटकर कभी घेरे से निकलता है तो कभी खं भे पर चढ़ता है। वह इस प्रकार अपने पूरे शरीर को विभिन्न प्रकार की कलाबाजियो से सिद्ध करता है।
प्रश्न. मोती, मानुष, चून के सन्दर्भ मेें पानी के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर— कवि ने मोती, मानुष, चून के सन्दर्भ मेें पानी के महत्व को स्पष्ट करते हुए बताया है कि मोती मेें पानी उसकी चमक है उसकी चमक ही उसका सही मूल्य निर्धारित करती है। मनुष्य मेें पानी उसका आत्मसम्मान व स्वाभिमान बताता है, बिना आत्मसम्मान व स्वाभिमान के मनुष्य का कोई मोल नही। चून (आटा) मेें पानी का अर्थ है उसका सही उपयोग, पानी डालने पर ही आटे का प्रयोग किया जा सकता है। अतः पानी के अभाव मेें मोती, मनुष्य, चून का कोई महत्त्व नहीं है।
प्रश्न. निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए
उत्तर - शब्दाथ व भावाथ मेें सभी दोहो की पंक्तियो का भाव स्पष्ट दिया गया है। कृपया वहाँ से ही इन पंक्तियो का भाव देखेें।
निम्नलिखित भाव को पाठ मेें किन पंक्तियो द्वारा अभिव्यक्त किया गया है?
(क) जिस पर बिपदा पड़ती है वही इस देश मेें आता है।
चित्रकूट मेें रमि रहे, रहिमन अवध-नरेस।
जा पर बिपदा पड़त है, सो आवत यह देस।
(ख) कोई लाख कोशिश करे पर बिगड़ी बात फिर बन नही सकती।
बिगरी बात बनै नही, लाख करौ किन कोय।
रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय॥
(ग) पानी के बिना सब सूना है; अतः पानी अवश्य रखना चाहिए।
रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून॥
प्रश्न. उदाहरण के आधार पर पाठ मेें आए निम्नलिखित शब्दो को प्रचलित रूप लिखिए—
उदाहरण—कोय = कोई, जे = जो।
ज्यो - जैसे परिजाय — पड़ जाता
जिय - जीव बिथा — व्यथा
धनि - धन्य कछु — कुछ
नहिं - नहीं जे — जो
होय - होता है कोय — कोई
मूलहिं - मूल (जड़ को) माखन — मक्खन
ऊबरै - उबरे (यथास्थिति) सहाय — सहायक
तरवारि - तलवार थोरे — थोड़े
आवे - आए पियत — पीते ही
बिनु - बिना आखर — अक्षर
पिआसो - बिगड़ी सीचंबो — सीचंना
अठिलैैंहे — इठलाएँगेें
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NCERT Solutions Class 9 Hindi
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- Chapter 6 – Mere Bachpan Ke Din
- Chapter 7 – Saakhiyan Avam Sabad
- Chapter 8 – Waakh
- Chapter 9 – Sawaaye
- Chapter 10 – Kaidi aur Kokila
- Chapter 1 – Dukh aur Adhikaar
- Chapter 2 – Everest: Meri Shikhar Yaatra
- Chapter 3 – Tum Kab Jaaoge Atithi
- Chapter 4 – Vaigyaanik Chetna ke Vaahak Chandrashekhar Venkat Raman
- Chapter 5 – Sukrataare ke Saamaan
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- Chapter 8 – Geet Ageet
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- Chapter 3 – Kallu Kumhaar ki Unankoti
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