NCERT Solutions for Class 9 Hindi - A : Sparsh Chapter 8 - Geet Ageet

NCERT Solutions for Class 9 Hindi - A : Sparsh Chapter 8 - Geet Ageet Free PDF Download

Please Click on Free PDF Download link to Download the NCERT Solutions for Class 9 Hindi - A : Sparsh Chapter 8 - Geet Ageet

    Fields marked with a are mandatory, so please fill them in carefully.
    To download the PDF file, kindly fill out and submit the form below.

    निम्नलिखित प्रशनो के उत्तर दीजिए—

    प्रशन . नदी का किनारो से कुछ कहते हुए बह जाने पर गुलाब क्या सोच रहा है ? इससे सम्बन्धित पंक्तियो को लिखिए।

    उत्तर— नदी अपने बहाव के रास्ते मेें आए पत्थरो से बातेें कर अपना मन हल्का कर लेती है, उसी नदी के किनारे लगा गुलाब सोचता है कि यदि विधाता ने मुझे भी स्वर दिया होता तो मैैं भी पतझड़ की यातना के समय के दख को बता सकता। गुलाब के  सोचने से सम्बन्धित पंक्तियाँ इस प्रकार हैैं–

    ‘तट पर खड़ा गुलाब सोचता, देते स्वर यदि मुझे विधाता

    अपने पतझर के सपनोंका, मैैं भी जग को गीत सुनाता।’

    प्रशन. जब शुक गाता है, तो शुकी के हृदय पर क्या प्रभाव पड़ता है ?

    उत्तर— जब शुक गाता है तब शुकी को लगता हैकि जैसे कोई बसंती किरण उसके अंगो को छू रही है। वह उसके प्रेम मेें मग्न हो जाती है। शुकी के हृदय मेें भी प्रेम उमड़ता है, पर वह स्नेह ने मेें ही सनकर रह जाता है। वह सिहर उठती है और आनन्दित होकर अपने पंखो को फुला लेती है।

    प्रशन. प्रेमी जब गाता है तो प्रेमिका की क्या इच्छा होती है ?

    उत्तर— प्रेमी जब आल्हा गाता है तो प्रेमप्रेिका की इच्छा होती है कि काश, विधाता ने उसको आल्हा की एक पंक्ति बना दिया होता तो वह भी अपने प्रेमी द्वारा गाई जाती। वह गीत की कड़ी बनना चाहती है।

    प्रशन. प्रथम छन्द मेें वर्णित प्रकृति-चित्रण को लिखिए।

    उत्तर— प्रथम छन्द मेें कवि ने नदी के कलकल स्वर एवं गुलाब की मौन दशा का वर््णन किया है। वे प्रकृति के उपादानों (गुलाब तथा नदी) का उदाहरण देकर स्पष्ट करते हैैं कि ईश्वर ने एक को (नदी) स्वर दिया है, पर दूसरे को नही (गुलाब)। नदी अपने उदगम से बहती हुई आगे बढ़ती है एवं रास्ते मेें आने वाले कंकड़-पत्थरो से बातेें करती हुई अपना मन हल्का कर लेती है, पर उसी नदी के तट के पास लगा ‘गुलाब’ मौन भाव से नदी को देखता है। वह खड़ा सोचता है कि काश विधाता ने उसे भी स्वर दिया होता तो वह भी अपने मन की व्यथा को गा-गाकर व्यक्त कर लेता। परन्तु वह अपने मन की व्यथा नही सुना पाता।

    प्रशन. प्रकृति के साथ पशु-पक्षियो के सम्बन्ध की व्याख्या कीजिए।

    उत्तर— मनुष्य के साथ प्राकृतिक उपादानो व पशु-पक्षियो का भी गहरा सम्बन्ध है। वे घास-शाक आदि खाकर अपना पेट भरते हैैं एवं प्राकृतिक उपादानो जै ं से नदी-जलाशय से पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते हैैं। पक्षी पेड़ों पर अपना घोसला बनात  हैैं, उनके फल-फू ल खाते हैैं एवं नदी-जलाशयो का ं पानी पीते हैैं। यहाँ यह बताया गया है कि पशु-पक्षी भी प्रकृति का ही सहारा लेते हैैं।

    प्रशन. मनुष्य को प्रकृति किस रूप मेें आन्दोलित करती है ?

    उत्तर— मनुष्य का प्रकृति से अटूट सम्बन्ध है। उसकी सम्पूर्ण दिनचर्या इस पर निर्भर करती है। जब सूर्य की किरणेें निकलती हैैं तो उसकी दिनचर्या प्रारम्भ होती है, वह ऊर्जा का से कार्य करता है। जब सूर्य अस्त या साँझ होती है तो उसका मन गाने को करता है। नदी, झरने, तारे, चन्द्रमा, फूल, हरे-भरे पेड़-पौधे, आकाश के पक्षी आदि सभी उसे आन्दोलित करते हैैं। प्रकृति सुख-दख मेें उसका साथ निभाती है।

    प्रशन. सभी कुछ गीत है, अगीत कुछ नही होता। कुछ अगीत भी होता है क्या ? स्पष्ट कीजिए।

    उत्तर— प्रस्तुत कविता मेें कवि ने ‘गीत-अगीत’ के माध्यम से मौन व मुखरित भावो की अभिव्यक्ति की है। उन्होंने स्पष्ट  किया है कि जीवन मेें हर परिस्थित गाने योग्य नही रहती। बहुत कुछ अनकही भावनाओ को भी स्पष्ट करना चाहिए। अनगाया ही गीत है। कविता मेें नदी के तट पर लगे गुलाब की व्यथा अगीत है। प्रेमिका आल्हा की पंक्तियाँ नही बन सकती  । अतः जीवन  मेें ‘गीत-अगीत’ दोनो भाव रहते हैैं और दोनो अं पने-अपने स्थानानुसार सुन्दर होते हैैं। कवि को शुक, शुकी के क्रियाकलपों मेें भी गीत नजर आता है।

    प्रशन. ‘गीत-अगीत’ के केन्द्रीय भाव को लिखिए।

    उत्तर— गीत-अगीत कविता का केन्द्रीय भाव यह है कि गीत रचने की मनोदशा अधिक महत्व रखती है। कवि प्रकृति की हर वस्तु मेें गीत गाता महसूस करता है, उनके अनुसार जिसे हम गा सकेें वह गीत है और जो मन मेें ही रहता है वह भाग अगीत है।

    प्रशन . निम्नलिखित पंक्तियो का आशय स्पष्ट कीजिए–

    सन्दर्भ सहित व्याख्या कीजिए–

    (क) अपने तपझर के सपनो का 

    मैैं भी जग को गीत सुनाता।

    सन्दर्भ – ये पंक्तियाँ ‘गीत-अगीत’ कविता से ली गई हैैं, इसके कवि रामधारी सिह ‘  दिनकर’ हैैं।

    प्रसंग – इन पंक्तियों मेें गुलाब नदी को देखकर विधाता से पूछता है कि उसे भी नदी की तरह स्वर क्यों नही  दिया।

    व्याख्या – इन पंक्तियोंमेें नदी के मुखरित स्वर कलकल को स्पष्ट करते हुए बताया है कि नदी अपने उदगम से निकलकर अपने मार्ग आए कं कड़-पत्थरो से अपनी व्यथा कहकर अपना मन हल्का कर लेती है। वही नदी के तट पर खड़ा गुलाब सोचता है कि यदि ईश्वर ने मुझे स्वर दिया होता तो मैैं पतझड़ की व्यथा एवं बसंत की खुशी को गाकर प्रकट करता।

    (ख) गाता शुक जब किरण बसंती

    छूती अंग पर्ण से छनकर।

    संदर्भ –ये पंक्तियाँ ‘गीत-अगीत’ कविता से ली गई हैैं, इसके कवि रामधारी सिह ‘दिनकर’ हैैं।

    प्रसंग – इन पंक्तियों मेें शुक के गायन के प्रभाव को व्यक्त किया गया है।

    व्याख्या–प्रस्तुत पंक्तियों मेें कवि ने शुक के शुकी पर पड़े गायन के प्रभाव को व्यक्त किया है। जब शुक घने पत्तो ली डाल  पर बैठकर गाता है, उस समय सूर्य की किरणेें पत्तो से छनकर  अन्डो  पंखो को फुलाकर बैठी शुकी के कानो मेें पड़ती है तो वह आनन्दित हो उठती है।

    (ग) ‘हुई न क्यों मैैं कड़ी गीत की

    ‘बिधना’ योंमन मेें गुनती है।

    सन्दर्भ – ये पंक्तियाँ ‘गीत-अगीत’ कविता से ली गई हैैं, इसके कवि रामधारी सिह दिनकर हैैं।

    प्रसंग–साँझ होते ही जब प्रेमी आल्हा गीत गाता है तो प्रेमिका उसे सुनकर मन्त्र-मुग्ध हो जाती है और सोचती है–हे विधाता ! काश, मैैं भी इस आनन्दमय गीत की एक पंक्ति बनकर इसमेें लीन हो जाती।

    व्याख्या– प्रस्तुत पंक्तियों मेें प्रेमी के कर्ण प्रिय आल्हा गीत को सुनकर प्रेमिका मन्त्र-मुग्ध हो जाती है। वह सोचती है काश, वह भी इस आल्हा गीत की एक पंक्ति होती तो उसे भी अपने प्रेमी का स्वर मिलता। विधाता ने ऐसा क्यों नही किया ? वह यही सोचती है।

    प्रशन. निम्नलिखित उदाहरण मेें वाक्य-विचलन को समझने का प्रयास कीजिए। इसी आधार पर प्रचलित वाक्य-विन्यास लिखिए।

    नोट–हिन्दी वाक्य रचना का निर्धारित क्रम वाक्य-विन्यास कहलाता है।

    उदाहरण– तट पर एक गुलाब सोचता

    एक गुलाब तट पर सोचता है।

    (क) देते स्वर यदि मुझे विधाता।

    यदि विधाता मुझे स्वर देते।

    (ख) बैठा शुक उस घनी डाल पर

    उस घनी डाली पर शुक बैठा है।

    (ग) गूँज रहा शुक का स्वर वन मेें

    शुक का स्वर वन मेें गूँज रहा है।

    (घ) हुई न क्यों मैैं कड़ी गीत की

    मैैं गीत की कड़ी क्यों न क्यों हो सकी।

    (ङ) शुकी बैठ अण्डे है सेती

    शुकी बैठकर अण्डे सेती है।

    Share page on