प्रश्न. ब्रजभमिू के प्रति कवि का प्रेम किन-किन रूपों मेें अभिव्यक्त हुआ है?
उत्तर– कवि का ब्रजभूमि के प्रति प्रेम रूपो मेें अभिव्यक्त हुआ है। कवि अपने प्रत्येक जन्म मेें ब्रज मेें ही बसना चाहता है। फिर चाहे वह मनुष्य, पशु, पत्थर, पक्षी कुछ भी बने। वह नंद की गाय चराने के लिए आठ सिद्धियो और नव निधियो के सुख को भी त्याग सकते हैैं। कवि ब्रज के करील के कुंजो पर सोने-चाँदी के महलों मेें सुख को न्योछावर करना चाहते हैैं। ऐसा वह इसलिए करना चाहते हैैं, ताकि उन्हें भगवान श्री कृ ष्ण का सान्निध्य प्राप्त हो सके । इस प्रकार हम कह सकते हैैं कि कवि ब्रज से गहरा लगाव है।
प्रश्न. कवि का ब्रज के वन, बाग और तालाब को निहारने के पीछे क्या कारण हैैं?
उत्तर– कवि ब्रज के वन, बाग और तालाब को इसलिए निहारना चाहता है क्योंकि इस स्थानोंपर उनके आराध्य श्रीकृ ष्ण ने विहार किया था। इस कारण श्रीकृष्ण की लीलाओ की समृतियाँ इन स्थानों से जुड़ी हुई हैैं। अतः कवि को इन्हें निहारने से परम आनन्द की प्राप्ति होती है।
प्रश्न. एक लकुटी और कामरिया पर कवि सब कुछ न्योछावर करने को क्यों तेयार है ?
अथवा
रसखान किसके ऊपर और क्या न्योछावर करने के लिए तैयार हैैं ?
अथवा
रसखान किस पर तीनों लोकोंका राज्य न्योछावर करने के लिए तैयार हैैं ?
उत्तर– रसखान श्रीकृष्ण के सच्चे भक्त हैैं तथा उनके लिए श्री कृष्ण का सामीप्य सबसे अधिक महत्पूर्ण है। अतः उनके लिए श्री कृष्ण की एक-एक वस्तु भी महत्पूर्ण है। इसलिए कवि रसखान एक लकुटी और कामरिया पर तीनों लोको का राज्य अर्थात सब कुछ न्योछावर करने के लिए तैयार हैैं।
प्रश्न. सखी ने गोपी से श्रीकृ ष्ण का कै सा रूप धारण करने का आग्रह किया था? अपने शब्दों मेें वरन कीजिए।
उत्तर– सखी ने गोपी से श्रीकृष्ण के जिस रूप को धारण करने के लिए कहा, वह इस प्रकार है कि वह अपने सिर पर मोर पंखो का मुकुट धारण करे। अपने गले मेें गुंजो की माला तथा शरीर पर पीले वस्त्र धारण करे। अपने हाथ मेें लाठी धारण करे और गायों और ग्वालो के साथ विचरण करे। गोपी कहती है कि श्रीकृष्ण मुझे अत्यन्त प्रिय हैैं इसलिए मैैं उनके किसी भी रूप को धारण करने के लिए तैयार हूूँ।
प्रश्न. आपके विचार से कवि पशु, पक्षी और पहाड़ के रूप मेें भी कृष्ण का सान्निध्य क्यों प्राप्त करना चाहता है ?
उत्तर– हमारे विचार से कवि रसखान कृष्ण के परम भक्त हैैं। एक भक्त के लिए भगवान का सान्निध्य प्राप्त करना सबसे बड़ा सुख होता है, फिर चाहे वह सान्निध्य किसी भी रूप मेें प्राप्त हो।
इसलिए कवि पशु, पक्षी और पहाड़ के रूप मेें भी कृष्ण का सान्निध्य प्राप्त करना चाहता है।
प्रश्न. चौथे सवैये के अनुसार गोपियाँ अपने आपको क्यों विवश पाती हैैं ?
अथवा
गोपियाँ किस प्रकार श्रीकृष्ण के वश मेें हो जाती हैैं ?
अथवा
गोपियों पर श्रीकृष्ण की किन-किन विशेषताओ का प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर– गोपियाँ श्रीकृष्ण की मुरली की मधुर ध्वनि तथा उनकी मनोहारी मुस्कान से प्रभावित होकर अपने आपको भूल जाती हैैं तथा कृष्ण के वश मेें हो जाती है।
प्रश्न. भाव स्पष्ट कीजिए–
(क) कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुं जन ऊपर
वारौ।
(ख) माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहैैं, न जैहैैं, न जैहै।
उत्तर– (क) रसखान के लिए श्रीकृष्ण तथा उनसे सम्बन्धित प्रत्येक वस्तु महत्पूर्ण है। वे ब्रज के काँटेदार करील की झाड़ियो के लिय सोने-चाँदी के करोड़ो मंहलों के सुख को त्यागने को तैयार हैैं।
(ख) जब श्रीकृष्ण बंसी बजाते हैैं तो उनके मुख-मण्डल पर एक अलौकिक मुस्कान छा जाती है। इस मुस्कान से गोपी श्रीकृ ष्ण के वश मेें हो जाती है तथा कहती है कि मैैं स्वयं को सँभाल नहीं पाऊँ गी अर्थात वह श्रीकृष्ण- प्रेम के वशीभूत हो जाती है।
प्रश्न. ‘कालिदी कूल कदंब की डारन’ मेें कौन-सा अलंकार है ?
उत्तर– यहाँ ‘क’ वर्ण की आवर्ती हुई है, अतः यहाँ अनुप्रास अलंकार है।
प्रश्न. काव्य - सोंदर्य स्पष्ट कीजिए–
या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौगी।
उत्तर– (1) गोपी का श्रीकृष्ण की बंसी के प्रति ईर्ष्याभाव प्रदर्शित किया गया है।
(2) भाषा–सरल, सहज तथा प्रवाहपूर्ण बजभाषा।
(3) शब्दशक्ति–अभिधा।
(4) गुण– माधुय।
(5) अलंकार–
(क) ‘अधरान धरी अधरा न धरौगी’ मेें सभंगपद यमक अलंकार है।
(ख) मुरली मुरलीधर मेें अनुप्रास अलंकार है।