प्रश्न प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बच्चे का अपने पिता से अधिक जुडाव था, फिर भी विपदा के समय वह पिता से पास न जाकर माँ की शरण शरण लेता है। आपकी समझ से इसकी क्या वजह हो सकती है?
अथवा
भोलानाथ को अपनी माताजी से अधिक जुडाव अपने पिताजी से था, पर जब उस पर संकट आया तो वह पिताजी की पुकार को अनसुनी करके माता के अँचल में जा छिपा। ‘माता का अँचल’ पाठ के आधार पर प्रमुख कारण स्पष्ट करते हुए, माँ के महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर– माँ अपने बच्चे को नौ माह गर्भ में रखती है। उसके बाद वही उसे जन्म देती है, इसलिए बच्चा स्वाभाविक रूप से अपनी माँ से अधिक जुड़ाव रखता है। मानसिक या शारीरिक रूप से परेशानी के समय माँ का प्यार भरा स्पर्श' घाव पर मरहम का कार्य करता है। यही कारण था कि लेखक का अपने तपता से अधिक जुड़ाव होने पर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है।
प्रश्न आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है ?
उत्तर– बचपन बहुत ‘मासूम’ होता है। बच्चे कोई भी बात अपने दिल से नही लगाते। वे अपने मित्रो के साथ मस्त होकर खेलते हैं। उनके खेल भी निराले होते हैं। वे अपने मित्रो के साथ सारी दुःख -तकलीफें भूल जाते हैं। भोलानाथ भी अपनी मित्र - मंडली को सामने देखकर सिसकना भूल जाते है।
प्रश्न आपने देखा होगा कि भोलनाथ और उसके साथी जब-तब खेलते खाते समय किसी-न-किसी प्रकार की तुकबंदी करते हैं। आपको यदि अपने खेल आदि से जुड़ी तुकबंदी याद हो तो लिखिए
उत्तर– अटकन-बटकन दही चटाके वर फूले बंगाले
मामा लाए सात कटोरी एक कटोरी फूटी
मामा की बहू रूठी कौन बात पर रूठी
दुध-दही बहुतेरा खाने को मुह तेरा।
प्रश्न भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री आपके खेल और खेलने की सामग्री से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर– भोलानाथ और उसके साथियों के खेल अत्यन्त आनंददायक थे तथा उनकी खेल- सामग्री प्राकृतिक तथा तब बिना खर्च वाली थी। यह कटु सत्य है कि बच्चा स्वयं के बनाए खेलो को अधिक पसंद करता है, परंतु आज का समय बदल गया है। आज न तो बच्चो के पास इतना समय है और न ही ऐसे संसाधन। आज के बच्चो के खेल तरा खेल- सामग्री दोनो ही चीजे बिलकुल अलग हैं। वे साइकिल चलाना, तैरना, क्रिकेट, फुटबॉल, वालीबॉल, हॉकी तथा बास्केटबॉल जैसे खेल खेलना पसंद करते हैं। छोटे बच्चे ,डॉक्टर-डॉक्टर, टीचर- टीचर , गुडिया - गुड्डा तथा इसी प्रकार के अन्य खेल पसंद करते हैं।
प्रश्न पाठ में आए ऐसे प्रसंगो का वर्णन कीजिए, जो आपके दिल को छू गए हो।
उत्तर– पाठ के आधार पर दिल को छू जाने वाले प्रसंग—
(i) लेखक द्वारा आइने में अपना मुह निहारना तथा पिता द्वारा देख लिए जाने पर लजाकर मुस्कराते हुए आइना नीचे रख देना, फिर पिता का मुस्करा पड़ना। (ii) पिता द्वारा लेखक को झूला झुलाना तथा उनके साथ कुश्ती खेलते हुए हार जाना। (iii) माँ का वात्सल्य से पेट भरा होने पर भी बहला-फुसलाकर लेखक को खाना खिलाना तथा उनका तेल-उबटन करके उन्हें प्यार से तैयार करना। (iv) बुरी नज़र से बचाने के लिए काला टीका लगाना। (v) पिता द्वारा बच्चा बनकर लेखक व मित्रो के साथ खेल में शामिल होना तथा चोट लग जाने पर लेखक द्वारा माँ का आचल छोड़कर पिता की गोद में न जाना आदि प्रसंग हमारे दिल को छू गए हैं।
प्रश्न इस उपन्यास अंश में तीस के दशक की ग्राम्य संस्क्रति का चित्रण है। आज की ग्रामीण संस्क्रति में आपको किस तरह के परिवर्तन दिखाई देते हैं ?
उत्तर– आज की ग्रामीण संस्क्रति में हमें कई तरह के परिवर्तन दिखाई देते हैं। टी. वी., कंप्यूटर और मोबाइल का प्रयोग होने के कारण ग्रामीण भी जागरूक होने लगे हैं। कुओ के स्थान पर ट्यूबवैल, सबमर्सबल आदि से पानी का प्रबंध किया जाता है। बैलो के स्थान पर टेरकटर का प्रयोग होने लगा है। घर व सड़कें पक्की हो गई हैं। खुले में शोच कम हो गया है। पढ़ाई के प्रति भी जागरूकता बढ़ी है। लड़की व लड़के के बीच भेद समाप्त होने लगा है। अब ग्रामीण लोग प्रगति के पथ पर अग्रसर हैं।
प्रश्न पाठ पढ़ते-पढ़ते आपको भी अपने माता - पिता कया लाड़-प्यार याद आ रहा होगा। अपनी इन भावनायो को अंकित कीजिए।
उत्तर– माँ का हृदय वात्सल्य से भरा होता है। मेरी माँ भी मुझे बहुत प्यार करती थी। उनके हर कार्य से ममता छलकती थी। स्स्नेह से खाना खिलाना, दुध पिलाना तथा बड़ो की डाँट से बचाने में उनका कोई सानी नही था। पिता भी बहुत प्यार करते थे, लेकिन उनका अनुसाशन प्यार के पीछे छिपा रहता था। हमें पढ़ाने तथा हमारा भविष्य बनाने की जिम्मेदारी के कारण वे अनुशासन प्रिय हो गए थे, परंतु उनका स्नेहभरा हाथ हमारे ऊपर सदैव रहता था।
प्रश्न यहा माता-पिता का बच्चे के प्रति जो वात्सल्य व्यक्त हुआ है उसे अपने शब्दो में लिखिए।
उत्तर– लेखक के पिता द्वारा लेखक को अपने साथ सुलाना, सुबह जल्दी उठाकर नहलाने के बाद पूजा पर बिठाए उनके मस्तक पर त्रिपुंड करना, गंगा जी की ओर आने-जाने में कंधे पर बिठाए रखना तथा लौटते समय पेड़ की झुकी शाखाओ पर झूला झुलाना, उनके साथ कुश्ती खेलना तथा उसमें जानबूझकर हार जाना, उनका खट्टा-मीठा चुम्मा लेना, खेल-खेल में उनसे
अपनी मुछे नुचवाना तथा बनावटी रोना, गोरस और भात सानकर अपने हाथो से खिलाना, उनके हर खेल में बच्चे की तरह भागीदार बनकर उनका मनोबल बढ़ाना, गुरु जी से विनती करके उनें सजा से बचाकर घर ले आना तथा लग जाने पर उसे झटपट माँ की गोदी से अपनी गोद में लेना आकद प्रसंग तपता के हृदय में भरे वात्सल्य को व्यक्त करते हैं। लेखक द्वारा अपने पिता के सार भरपेट भोजन कर लेने के उपरांत भी माँ का हृदय संतुष्ट नही होता। वह अपने हार से बड़े स्ह से उनको बहला-फुसलाकर अततररक्त भोजन कराती है। माँ द्वारा लेखक को इस प्रकार से भोजन करवाना, उनके बालो में कड़वा तेल डालना, उबटन करना, नाभि और मस्तक पर कुदृतष्ट से बिाने के ललए कढठौना (नज़र का टीका) लगाना, चोटी गूथकर उसमें फूलदार लट्टू बाँधना, रंगीन कुर्ता-टोपी पहनाकर सजाना-सँवारना, लेखक को साँप के डर से काँपते देखकर उसे अपने अचल में छिपा लेना तथा धेर्य खोकर रो पड़ना, घर के सारे काम छोड़कर अधीर होकर लेखक के घावो पर हल्दी पीसकर धोपना तथा बड़े लाड़ से लेखक को गले लगाकर उनको चूमते जाना आदि प्रसंग बड़े ही मार्मिक हैं जो वात्सल्य से ओतप्रीत हैं।
प्रश्न ‘माता का आचल’ की उपयरुतितया बतयाते हुए कोई अन्य शीष्णक सझयाइए।
अथवा
‘माता का आचल’ शीष्णक की सयाथि्णकतया स्पष्ट कीशजए।
उत्तर– ‘माता का आचल’ शीष्थक एकदम सटीक एवं उपयुक्त है। बचा अपनी माँ से स्वाभातवक रूप से जुड़ा होता है। उसके कदल के तार माँ के कदल से अनायास ही जुड़े रहते हैं। यही वजह है कक कोई भी बचा सारा कदन तपता व अन् लोगो के सार गुज़ार लेता है, लेककन ककसी भी प्रकार का संकट आने पर वह केवल माँ के आचल में ही शरण पाना चाहता है क्यों कि माँ के आचल में ही प्रेम, शाम्ति व सुख की छाया होती है। लेखक भी अपना सारा समय पिता व साथियो के बीच रहकर गुजारता है, परंतु साँप को देखकर हड़बड़ाकर गिरने से घायल होने के बाद डरता हुआ वह केवल माँ के आचल की छत्रछाया में जाकर ही सुख पाता है। उस समय वह माँ के आचल की प्रेम शाम्ति-सुख- चैन को छोड़कर पिता की गोद में जाना भी पसंद नही करता। अतः ‘माता का आचल’ एक सार्थक शीष्थक है। इसका अन् शीष्थक—‘माँ की छाँव’ हो सकता है।
प्रश्न बच्च्चे माता-पिता के प्रवत अपने प्रेम को कैसे अभिव्यक्त करते हैं ?
अथवा
बच्चो द्वारा माता-पिता के प्रति प्रेम की अभिव्यक्ति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– बच्चे बहुत भोले और सच्चे हैं। वे उन्नेह अपनी ओर आकर्षत करने के लिए अनेक प्रकार के क्रियाकलाप करते रहते हैं। वे कभी हँसकर, खुश होकर तथा कभी रूठकर अपना प्रेम अभिव्यक्त करते हैं। बच्चो द्वारा की गई तरह-तरह की क्रीड़ाए तथा लीलाएँ माता-पिता के प्रति उनके प्रेम को अभिव्यक्त करने का माध्यम बनती हैं। उनकी कोमल भावनाएँ ही उनके प्रेम की अभिव्यक्ति हैं।
प्रश्न ‘माता का आँचल’ पाठ में बच्चो की दिनचर्या आजकल के बच्चो की दिनचर्या से भिन्न है, कैसे? उदहारण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– ‘माता का आचल पाठ में लेखक सुबह नहा-धोकर अपने पिता के साथ पूजा करने बैठ जाते, वे अपना पूरा दिन खाने और खेलने जैसे-साथियो के साथ गुड़िया का व्याह रचाने, नाटक करने और बाग-बगीचा और खेतो की सैर में बिताते रे। उन पर शिक्षा उतना दबाव नही था। आजकल के समय में दो ढाई वर्ष का होते ही बच्चो को प्री-प्राइमरी स्कूल में डाल दिया जाता है। सुबह उठते ही बच्चे विधालय जाते हैं और लौटने के बाद भी पढ़ते हैं। उन पर शिक्षा, परीक्षा और केरियर बनाने का बहुत अधिक दवाब है। आजकल के बच्चे अपने साथियो के साथ प्राकृतिक खेल खेलने की अपेक्षा घर पर ही रह कर टी.वी. देखने, इलेक्ट्रॉनिक खिलौना तथा मोबाइल गेम खेलना पसंद करते हैं।
Hindi-A Most Likely Question Bank
CBSE Class 10 for 2025 Exam