NCERT Solutions for Class 10 Hindi - A: Kshitij Chapter - 12 Bhadand Anand Koslyayan
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प्रश्न. लेखक की दृष्टी में ‘सभ्यतया’ और ‘संस्क्रति’ की सही समझ अब तक क्यों नही बन पाई है ?
उत्तर– मनुष्य सामाजिक प्राणी होने के कारण रूरियो एवं परंपराओ में वेध गया है। उसका दायरा सीमित तथा दृतष्टकोण संकुचित हो गया है। अतः वह परिवर्तनशील संसार के साथ कदम मिलाकर नही चल पा रहा। वह सभ्यतया एवं संस्कृति को अपने मनमाने रूप में प्रयोग कर रहा है। इसी कारण मानव को सभ्यतया एवं संस्कृति की सही समझ अब तक नही आई है।
प्रश्न. आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज क्यों मानी जाती है ? इस खोज के पीछे रही प्रेरना के मुख्य स्रोत क्या रहे होगे ?
उत्तर– आग की खोज वास्तब में ही एक बहुत बड़ी खोज है। आग मनुष्य के जीवन का आधार है। वह आदिमानव की बहुत बड़ी उपलब्धि है। आग की खोज के पीछे उदर-पूर्त की प्रेरना रही होगी। इसके अतिरिक्त प्रकाश - व्यवस्था तथा जंगली जानवरों से सुरचा ने भी आदिमानव को आग के आविस्कर के लिए प्रेरित किया होगा। ऊष्मा प्राप्त करना भी उनकी प्रेरणा किया स्रोत रहया होगा। |
प्रश्न. वास्तविक अर्थो में ‘संस्कृत व्यक्ति’ किसे कहा जा सकता है?
उत्तर– अपनी योग्यता, बुद्धि, विवेक, प्रेरणा , आत्मबल, आत्मविश्वास तथा अपनी प्रवति के बल पर नए तथ्य का दर्सन एवं चितन करने वाला तथा जनकल्याण की भावना से कार्य करने वाला व व्यक्ति ही वास्तविक अर्थो में ‘संस्कृत व्यक्ति’ है।
प्रश्न. न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे कौन-से तर्क दिए गए हैं ? न्यूटन द्वारा प्रतिवादित सिंधान्तो एवं ज्ञान की कई दूसरी बारीकियो को जानने वाले लोग भी न्यूटन की तरह संस्कृत नही कहला सकते, क्यों ?
उत्तर– न्यूटन एक प्रसिद्ध वैज्तञानिक था। उसने अपनी योग्यता के बल पर गुरुत्वाकर्षण के सिधांत का आविष्कार किया। यह आविष्कार उनकी मौलिक खोज का परिराम था। इस आविष्कार के पीछे उनके मन में स्वाथ न होकर जनकल्याण की भावना छिपी थी। न्यूटन द्वारा प्रतिपादित सिद्द्न्तो एवं ज्ञान की दुसरी बारीकियो को जानने वाले लोगो को न्यूटन की तरह संस्कृत नही कहा जा सकता क्युकि इनके द्वारा स्वय कोई आविष्कार नही किया गया है। ये लोग अन्य वैज्ञानिको द्वारा की गई खोजो एवं आविष्कारो से ज्ञान प्राप्त करते हैं।
प्रश्न. किन महत्पूण आवश्यकता की पूती के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा?
अथवा
सुई-धागे के आविष्कार के पीछे क्या कारण रहा होगा ?
उत्तर– आदिमानव अपना शरीर ढँकने के लिए जानवरों की खाल, वक्षो के तनो की छाल तथा पत्तो का प्रयोग करता था। इससे उनेह बहुत असुविधा होती थी तथा शरीर भी सुरछित नही रहता था। सदी-गमी से बचने के लिए उसे वस्त्रो जैसे किसी वस्तु की आवश्यकता हुई होगी। उसे सिलने के लिए ही उन्होंने सुई - धागे का आविष्कार किया। यह खोज करागर सिद्ध हुई। हम आज भी सुई - धागे का भरपूर प्रयोग करते हैं।
प्रश्न. ‘‘मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है।’’ किन्ही दो प्रसंगो का उल्लेख कीजिए जब—
(i) मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टयाएँ की गईं।
(ii) मानव संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण दिया।
उत्तर – (i) मानव संस्कृति अखंड है। कुछ स्वाथी लोग इसकी अखंडता को खंड-खंड करके अपना स्वाथ सिद्ध करना चाहते हैं। समय-समय पर साप्रदिक शक्तिया बलवती होकर अपना सक्ति-प्रदशन करके मानव संस्कृति का विभाजन करने पर उतारू हो जाती हैं।धर्म एवं संप्रदाय के नाम पर मानव बेटने लगता है जो कि सर्वथा अनुचित है। भारत को छोड़ते वक्त अगेजी सरकार भी जाते जाते हिंदु-मुस्लिम को लड़ाकर हिंदुस्तान एवं पाकिस्तान के रूप में भारत में संस्कृतिक एकता एवं अखंडता का बेटवारा करा गई।
(ii) समय-समय पर मानव संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण दिया है। आज भी ‘हिंदु - मुस्लिम भाई - भाई’ का नारा स्वय को सिद्ध करता हुआ द्रस्तिगोर होता है। जब - जब राजनैतिक पाटियो द्वारा दंगो को भड़काया जाता है तब-तब हिंदु - मुस्लिम दंगो के बाद आम लोग धर्म संप्रदाय के जातिगत भेदभावो को भूलकर एक- दूसरे की करते नज़र आए हैं। अयोध्या में ‘बाबरी मस्जिद’ काड के बाद रिलीज फिल्म 'बाम्बे’ इसका जीता - जागता उदाहरण है।
प्रश्न. आशय स्पष्ट कीजिए—
मानव की जो योग्यता उसमें आत्मविनाश के साधनो का आविष्कार कराती है, हम उसे उसकी संस्कृति कहें या असंस्कृति?
उत्तर– लेखक कहता है कि मानव अपनी योग्यता का अनुचित प्रयोग करके विनाशकारी साधनों का आविष्कार करता है। वह विस्फोटक सामग्री एवं अनेक प्रकार के खतरनाक हथियारो का गलत तरीके से निर्माण करता है तथा उनेह गलत लोगो के हाथो तक पहुचाता है। इस प्रकार वह मानव के विनाश में सहायक होता है। उसका योग्य होना सही है लेकिन अपनी योग्यता का अनुचित प्रयोग करना सर्वथा अनुचित है। लेखक के अनुसार ऐसी भावना से पोशित योग्यतया को असंस्कृति कहना ही उचित होगा।
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