NCERT Solutions for Class 10 Hindi - B: Sparsh Chapter - 12 Nida Fazli

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    निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए -

    प्रश्न. बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे क्यों धकेल रहे थे ?

    उत्तर– आबादी बढ़ने के कारण स्थान का अभाव हो रहा था इसलिए बड़े-बड़े बिल्डर नई-नई इमारतें बनाने के लिए समुद्र को पीछे धकेल रहे थे।

     प्रश्न. लेखक का घर किस शहर में था ?

    उत्तर– लेखक का घर ग्वालियर शहर में था बाद में मुम्बई के व्सोर्वा में जाकर रहने लगे।

     प्रश्न. जीवन कैसे घरो में सिमटने लगा है ?

    उत्तर– एकल परिवारों का चलन होने के कारण जीवन डीब्बो जैसे फ्लेटो सिमटने लगा है।

    प्रश्न. कबूतर परेशानी में इधर-उधर क्यों फड़फड़या रहे थे ?

    उत्तर– कबूतर के घोसले में दो अंडे थे। एक बिल्ली ने तोड़ दिया था दूसरा बिल्ली से बचाने के चक्कर में लेखक की माँ की असावधानी से टूट गया। कबूतर इससे परेशान होकर इधर-उधर बेचैनी से फरफरा रहे थे।

    लिखीत प्रश्नोत्तर —

    प्रश्न. अरब में लश्कर को नूह के नाम से क्यों याद करते हैं ?

    उत्तर– लश्कर बहुत ही भावुक, सवेदनशील, उदार व् धार्मक स्वभाव के व्यक्ति थे। नूह को पैगम्बर या ईश्वर का दूत भी कहा गया है। अनजाने में एक घायल कुत्ते के हृदय को ठेस पहुचाने के कारण वे एक मुद्त तक पश्ताप करते रहे थे। उनके इन्ही गुणो के कारण नूह यानी पैगम्बर के नाम से याद किया जाता है।

    प्रश्न. लेखक की माँ किस समय पेड़ो के पते तोड़ने के लिए मना करती थी और क्यों ?

    उत्तर– लेखक की माँ शाम के समय पेड़ो के पत्त तोड़ने के लिए मना किया करती थी क्यों कि बहुत धार्मक व उदार स्वभाव की महिला थी और उन्ह लगता था कि ऐसा करने से पेड़ो को कष्ट होगा,वे रोयेंगे और पत्ते तोड़ने वाले को बद्दुआ देगें। 

    प्रश्न. प्रकृति में आये असंतुलन का क्या परिणम हुआ ?

    उत्तर– प्रकृति में आये असंतुलन का बहुत ही भयानक परिणाम  हुआ। इससे मौसम चक्र अव्यवस्थित हो गया। अब गमी में बहुत अधिक गर्मी पड़ने लगी, वेवक्त की बरसातें होने लगी, जलजले, सेलाब तथा तूफ़ान आकर हाहाकार मचाने लगे, नित्य नई-नई बीमारियाँ धरती पर बढ़ने लगी और बहुत से पशु- पछि अपने घर से बेघर हो गये।

    प्रश्न. लेखक की मा ने पूरे दिन रोजा क्यों रखा ?

    उत्तर– लेखक के घर में कबूतरो के एक जोड़े ने घोसला बनाया था। उनके घोसले में दो अंड्डे थे। एक बिल्ली ने एक अंडा फ़ोड़ दिया और दुसरे अण् को बचाने के प्रयास में माँ से टूट गया। इस घटना के बाद कबूतरो के दूख को देखकर माँ ने इसे अपनी गलती माना और पूरे दिन रोज़ा रखकर खुदा से इस गलती को माफ़ करने की विनती करती रही।

    प्रश्न. लेखक ने ग्वालियर से बम्बई तक किन बदलावो को महसूस किया ? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

    उत्तर– लेखक ने गवालियर से बम्बई तक अनेक भोतिक एवं भावात्मक बदलावों को महसूस किया। गवालियर में बड़े-बड़े आँगनो दालनो वाले घरो में सब संयुकत परिवार में मिल- जुलकर रहते थे, जबकि बम्बई में डीब्बे जैसे घरो में जीवन सिमटा हुआ दिखाई दिया। ग्वालियर में लोगो में उदारता, दयालुता, लघु जीवो के प्रति गहरी संवेदना थी, जबकि मुम्बई में इन जीवन मूल्यो से रहित वातावरण दिखाई दिया।

    प्रश्न. डेरा डालने से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।

    उत्तर– डेरा डालने का अथ है– कुछ समय के लिए रहना। बड़ी-बड़ी इमारतें बनने के कारण पच्चियो को घोसले बनाने की जगह नही मिल रही है। वे इमारतो में ही डेरा डालने लगे हैं।

    प्रश्न. शेख अयाज़ के पिता अपने बाजू पर काला च्योटा रेंगता देख भोजन छोड़कर क्यों उठ खड़े हुए ?

    उत्तर– शेख अयाज़ के पिता बहुत ही सवेदनशील व्यक्ति थे। एक बार वे कुएँ से नहाकर लोटने के बाद जब भोजन करने के लिए बैठे, तो उन्होने अपने बाजू पर काला च्योत्ता देखा।वे सोचने लगे, अगर वे उसे कुएँ तक नही छोड़कर आये, तो वह बेघर हो जायेगा। उसके दुःख का यह अनुमान लगाते ही वे भोजन छोड़कर उठ खड़े हुए और उसे कुएँ पर छोड़कर आने के बाद ही उन्होने भोजन किया।

    (ख) निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर (80-100) शब्दो में लिखिए—

    प्रश्न. बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा ?

    उत्तर– बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर प्रतिकूल  प्रभाव पड़ा। पर्यावरण असंतुलित होने का सबसे बड़ा कारण आबादी का बढ़ना ही है। बढ़ती आवास की समस्या से निपटने के लिए मानव ने समुद्र की लहरो तक को सीमित कर दिया है। आसपास के जंगल काट - काटकर नष्ट कर डाले हैं। परिणामस्वरूप पशु पच्चियो के लिए आवास ही नही बचे हैं। प्राकतिक आपदाएँ दिन - प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं कही भूकम्प, कही बाढ़, कही तूफान, कभी गर्मी, कभी तेज़ वर्षा इनके कारण कई बीमारियाँ हो रही हैं। इस तरह पर्यावरण के असंतुलन का जन जीवन तथा पर्गयावरण पर गहरा प्रभाव पड़ा है।

    प्रश्न. लेखक की पत्नी को खीड़की में जाली क्यों लगवानी पड़ी ?

    उत्तर– मुम्बई के जिस फ्लैट में लेखक रह रहे थे उसमें कबूतरो के एक जोड़े ने घोसला बना लिया था। वे कबूतर खीड़की के रास्त घर में आते-जाते थे और घर की चीजो को गिराकर तोड़ देते थे। कभी- कभी घर पर नुकसान भी कर देते थे तथा कभी किताबें  गन्दी कर दिया करते थे। उनके बार-बार आने-जाने से लेखक की पत्नी को काफ़ी परेशानी होती थी। इस परेशानी से बचने के लिए ही उनेह खीड़की में जाली लगवानी पड़ी।

    प्रश्न. समुद्र के गुस्से की क्या वजह थी ? उसने अपना गुस्सा कैसे निकाला ?

    उत्तर– समुद्र की जमीन से लाभ कमाने के लिए बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे धकेल रहे थे। एक सीमा तक तो समुद्र ने बदाश्त किया, लेकिन जब पानी सिर से ऊपर उतर गया तो वह गुस्से से भरा उठा तथा अपनी लहरो पर दौड़ते हुए तीन जहाजो को अलग - अलग दिशाओ में पटक दिया। एक वल्ली के समुद्र किनारे,  दुसरा बांद्रा में  कातर के सामने और तीसरा गेट वे आफ इंडिया पर गिरा। समुद्र का गुस्सा इतना भयानक था कि लोग इस प्रकोप से बचने के लिए ईश्वर से विनती करने लगे थे।

    प्रश्न. ‘मट्टी से मट्टी मिले, खो के सभी निशान,
    किसमें कितना कौन है, कैसे हो पहचान। इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है ? स्पष्ट कीजिए।

    उत्तर– ‘मिटटी से ......... पहचान।’ इन पंक्तियो के माध्यम से लेखक मनुष्य को नश्वर शरीर पर घमंड न करने की सीख देना चाहते हैं। अथात सभी मनुष्य समान हैं। उनमें भेदभाव करना उचित नही है। पशु - पचियो को भी वही ईश्वर बनाता है जो इंसानो को बनाता है। वे कहते हैं कि मनुष्य को अपने रंग, रूप आदि पर कभी घमंड नही करना चाहिए क्योंकि अंत में यह शरीर अपनी सभी पहचान खो देता है तथा मिटटी में  मिलकर मिटटी बन जाता है अथार्त यह शरीर नश्वर है।

    (ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए—

    प्रश्न. नेचर की सहनशक्ति की एक सीमा होती है। नेचर के गुस्से का एक नमूना कुछ साल पहले बम्बई में देखने को मिला था।

    उत्तर– ‘निदा फाजली’  द्वारा रचित ‘अब कहाँ दुसरे के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ के इस कथन में लेखक ने प्रकति के अंधाधुध तरीके से किये जा रहे दोहन के लिए मनुष्य को सचेत किया है । उन्होने कहा है कि प्रक्रति हद तक अपना शोषण सहती है, इसके बाद उसकी सहनशक्ति जबाव दे जाती है तब वह भावनाओ और सवेदना से अलग होकर अपने रौद्र रूप में सामने आ जाती है। इसके लिए लेखक ने बम्बई में समुद्र के गुस्से का उदाहरण दिया है कि जब सहनशीलता की हद हो गई तब समुद्र ने गुस्से में भरकर इतना भयानक रूप धारण कर लिया कि उसने तीन जहाजो को गेंद की तरह उछाल दिया और बम्बई वाले त्राहि- त्राहि कर उठे।

    प्रश्न. जो जितना बड़ा होता है उसे उतना ही कम गुस्सा आता है।

    उत्तर– ‘निदा फाजली’  द्वारा रचित ‘अब कहाँ दुसरे के दुख से दुखी होने वाले लोग’ पाठ के इस कथन में लेखक ने प्रकति के प्रकोप के लिए मनुष्य को सचेत किया है। उन्होने कहा है कि छोटे प्रारियो व छोटे दिल के लोगो को जल्दी गुससा आता है और उनका गुससा छरिक होता है लेकिन समुद्र जैसे विशाल हृदय वाले लोगो को गुस्सा देर से आता है और वे अत्याचारी को गम्भीर परिणाम भूगतने के लिए बाध्य कर देते हैं। जिस प्रकार समुद्र पर बिल्डरो, मछआरो का कोप, धरती पर भू - माफियाओ का अतिक्रमण तथा वािायु में व्याप्त ज़हरीली गैसो के कारण प्रकृति सबसे को गम्भीर परीणाम भूगतने के लिए बाध्य कर रही है क्योंकि प्रकात्ति सबसे शक्तिशाली है। वेसे तो महान व्यक्तियो की तरह इन सब में अथाह गहराई, शांति व सहनशक्ति है अर्थात हमें भी समुद्र की तरह उदार व विनम्र बनना चाहिए।

     प्रश्न. इस बस्ती ने न जाने कितने परिंदों - चरिनदो से उनका घर छीन लिया है। इनमें से कुछ शहर छोड़कर चले गये हैं। जो नही जा सके हैं उन्होने यहा - वहा डेरा डाल दिया है।

    उत्तर– ‘निदा फाजली’ द्वारा रचित ‘अब कहाँ दूसरे के दु:ख से दु:खी होने वाले’ पाठ के इस कथन में लेखक ने वनों की अंधा-धुध कटाई से उत्पन्न समस्या की ओर मनुष्य का ध्यान आकसिंत किया है। उन्होने कहा है कि बस्तियों के फेलाव से पेड़ कटते गये और पचियो के घर चिन गये। कुछ की तो जातियाँ ही नष्ट हो, गईं कुछ पचीयो ने यहाँ - वहा इमारतो में डेरा जमा लिया है। इन सबसे मानव ने अपने दुर्भाग्य को ही निमन्त्रण दिया है। प्रकृति ने इन सबकी सर्जना मानव- मित्र के रूप में की है पर जब इनकी सत्ता ही खतरे में है तो मनुष्य का अस्स्तत्व धीरे-धीरे समाप्त हो ही जायेगा।

    प्रश्न. शेख अयाज़ के पिता बोले, ‘नही, यह बात नही है। मैंने एक घर वाले को बेघर कर दिया है। इस बेघर को कुएँ पर उसके घर छोड़ने जा रहा हू।’ इन पंक्तियों में छीपी उनकी भावना को स्पष्ट कीजिए।

    उत्तर– ‘निदा फ़ाजली’  द्वारा रचित ‘अब कहाँ दुसरे के दु:ख से दु:खी होने वाले’ पाठ के इस कथन में लेखक ने पशु - पच्छी और मनुष्य सभी की कठीनाइयो को एक समान माना है। उन्होने कहा है कि जिस प्रकार मानव अपने परिवार से अलग होकर दु:खी हो सकता है उसी प्रकार यह चिटा  भी अपने घर से अलग होकर बेघर और दुखी हो सकता है। शेख अयाज़ के पिता पशु - पच्चियो की भावनाओ को समझते थे अतः उन्होने कहा कि ‘मैंन एक घर वाले को बेघर कर दिया है और उस बेघर को कुएँ पर उसके घर छोड़ने जा रहा हू।’ वे  किसी को भी तकलीफ नही देना चाहते थे। 

    प्रश्न. अपने आसपास प्रतिवर्ष एक पौधा लगाइए और उसकी समुचित देखभाल कर पर्यावरण में आये असंतुलन को रोकने में अपना योगदान दीजिए।

    उत्तर– छात्र स्वप्रेरणा से अपने तथा मित्रो के जन्मदिवस पर पौधे लगायें तथा पर्यावरण संतुलन में साथक योगदान करें।

    प्रश्न. किसी ऐसी घटना का वरण कीजिए जब अपने मनोरंजन के लिए मानव द्वारा पशु - पच्चियो का उपयोग किया गया हो।

    उत्तर– कुछ दिनो पहले मुझे पटना से लगभग 60 किमी दुर एक मंदिर में जाने का अवसर मिला। इस मन्न्र के बाहर एक मदारी कुछ बंदरो को पकड़कर उनसे मनुष्य जैसे करतब करवा रहा था। बंदर कभी दूल्हा बनता तो कभी पानी पिलाने वाला नौकर बन जाता। वह कभी राजा की नक़ल कर रहा था तो कभी सैनिक की तरह चल रहा था। जहाँ उससे गलती होती मदारी उसकी पिटाई कर देता था। इस प्रकार वह वहा खड़ी भीड़ का अच्छा मनोरंजन कर रहा था।वह मेरे लिए रोमांचकारी और अनोखा अवसर था जब मैंने मनुष्य को अपने मनोरंजन हेतु बंदरो को नचाते देखा हो। परन्तु अंत में बंदरो की दुदर्शा देख मन विचलित हो गया।

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