(क) निमंलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
प्रश्न. विरासत में मिली चीजो की बड़ी सभाल क्यों होती है? स्पस्ट कीजिए।
उत्तर– विरासत मेें मिली चीजो की बड़ी सभाल होती है क्योकि यह हमारे लिए हमारे पूर्वजो से प्राप्त धरोहर हैं। इनसे हमेें प्राचीन काल की सभ्यता और संस्क्रति के बारे मेें पता चलता है। यह चीजें हमारे इतिहास से जुड़ी होती हैं। इनके द्वारा हमेें पूर्वजो के अनुभवो व उपलब्धियों के बारे मेें भी जानकारियाँ मिलती हैं। इन चीजो के द्वारा नई पीढ़ी को प्रेरणा मिलती है और वे इतिहास की सच्चाई से अवगत होते हैं। इन्ही कारणो से इनेह अमूल्य मानते हुए बहुत ही सभालकर रखा जाता है।
प्रश्न. इस कविता से आपको तोप के विषय में क्या जानकारी मिलती है ?
उत्तर– इस कविता से तोप के विषय मेें यह जानकारी मिलती है कि यह अगेजो के समय की तोप है। सन् 1857 मेें इसका प्रयोग एक खतरनाक, भयंकर और शक्तिशाली हथियार के रूप मेें किया गया था। उस समय अगेजो ने भारतीय क्रांतिकारियों के लिए इसे प्रयोग किया था। इसने अनेक वीर स्वतन्त्रता सेनानियो को मेौत के घाट सुला दिया था। इसके सामने कोई भी सूरमा ठहरता नही था। पर, आज यह तोप शांत है और कम्पनी बाग के द्वार पर प्रदशनी के रूप मेें निष्किय खड़ी है।लोगो के लिए अब यह केवल दर्शनीय वस्तु है। बच्चो के खेलने का अच्छा साधन है तथा गौरैया नामक छोटी और कोमल चिरिया के लिए यह घर के रूप मेें है।
प्रश्न. कम्पनी बाग में रखी तोप क्या सीख देती है ?
उत्तर– कम्पनी बाग मेें रखी तोप यह सीख देती है कि अत्चायारी चाहे कितना भी शक्तिशाली हो, उसका अंत अवश्य होता है। आतंक और भय का शासन लबे समय तक स्थापित नही किया जा सकता है। मानवता के सामने एक-न-एक दिन उसे पराजित होना ही पड़ता है। कवि ने इस सन्दर्भ मेें तोप का उदाहरण दिया है। तोप भी अपने समय मेें बहुत शक्तिशाली था। उसने बड़े बड़े सूरमाओ के छक्के छुड़ा दिए थे। समय के साथ अब वह निस्तेज हो गई है। उसका प्रभाव समाप्त हो गया है। इस प्रकार कभी भी किसी भी शासक को घमंडी नही होना चाहिए अन्यथा उसे तोप की तरह चुप होना ही पड़ेगा। साथ ही यह हमेें शहिदो की याद दिलाती है और सीख भी देती है कि दुबारा कोई हम पर राज न करे।
प्रश्न. कविता में तोप को दो बार चमकाने की बात की गई है। ये दो अवसर कौन-से होगे ?
उत्तर– कविता मेें तोप को दो बार चमकाने की बात कही गई है।वे दो अवसर हैं–15 अगस्त (स्वतन्त्रता दिवस) और 26 जनवरी (गणतन्त्र दिवस)। ये दोनो अवसर हमारे देश के लिए स्वर्णम अवसर हैं। स्वतंत्रता के प्रतीक हैं। इन्ह हमे राष्टीय पर्व के रूप में मनाते हैं। इन दोनो अवसरो पर तोप को चमकाने का उद्श्य यह है कि इसके द्वारा लोगो के मन मेें राष्टीयता की भावना को बरवा मिलेगा तथा स्वतन्त्रता दिलाने वाले वीर सपूतो की याद दिलाई जा सकेगी। यह तोप अब अगेजो के आतंक का पयाय और स्वतन्त्रता के लिए बलिदान करने वाली की पहचान बन गई है। इन्ही दो दिनो पर कम्पनी बाग को सजाया भी जाता है।
(ख) निम्नलिखित का भाव स्पस्ट कीजिए-
प्रश्न. ‘अब तो बहरहाल
छोटे लड़को की घुड़सवारी से अगर यह फारीग हो
तो उसके ऊपर बैठकर
चिरिया ही अक्सर करती हैं गपशप।’
उत्तर– ‘तोप’ कविता की उपयुक्त पंक्तियो का भाव यह है कि जिस तोप ने अत्यन्त कुरता से स्वतन्त्रता सेनानियो का दमन किया था अब वह शांत हो गई है। आजकल वह दमन का प्रतीक बनकर कम्पनी बाग के प्रवेश द्वार पर प्रदशनी के लिए रख दी गई है। राष्टीय पर्व से अलग अन्य दिनो मेें वह बालको के खेलने का साधन बन गई है और यदि इससे मुक्ति मिलती है तो चिरीयाँ उस पर उचालती - फुदकती रहती हैं। इस प्रकार अब तोप का भय पूर्णत: समाप्त हो गया है अथात तोप का भय अब हर इंसान के अन्दर से समाप्त हो गया है।
प्रश्न. ‘ये बताती हैं कि दरअसल कितनी भी बड़ी हो तोप
एक दिन तो होना ही है उसका मुह बंद।’
उत्तर– ‘तोप’ कविता मेें कवि इन पंक्तियो द्वारा बताना चाहते हैं कि तोप जो कि बहुत ही शक्तिशालीऔर भयंकर थी उसे भी अपना मुह बंद करना ही पड़ा। यहाँ तोप आतंक और भय के शासन का प्रतीक है। कवि यह बताना चाहते हैं कि आतंक का शासन स्थायी नही होता है।
प्रश्न. ‘उड़ा दिए थे मैंने
अच्छे-अच्छे सूरमाओ के ध्ज्जे।’
उत्तर– श्री वीरेन डंगवाल की कविता ‘तोप’ की इन पंक्तियो का यह भाव है कि यहाँ तोप अपने को बहुत ही शक्तिशाली बता रही है।वह कहना चाहती है कि जब मेेरा समय था तब मेैंने बड़े बड़े वीर योद्धाओ के छक्के छुड़ा दिए थे। कवि ने ‘मेैंने’ शब्द का प्रयोग कर यहाँ मानवीकरण अलकार का सुन्दर प्रयोग किया है। इस पंक्ति मेें ‘मेैंने’ शब्द के प्रयोग मेें अहंकार का भाव अभिप्रेत। है| प्रत्येक कालोनी मेें पार्क है। उन पाको को विकसित कर दिया जाए और उनमेें भी और अधिक पेड़ लगा दिए जाएँ। (सबका धन्यवाद!)