(क) निमंलिखित प्रश्नो के उत्तर दीजिए -
प्रश्न. क्या इस गीत की कोई ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है ?
उत्तर– हाँ! इस गीत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है। सन् 1962 में चीन ने भारत पर आकमर्ण किया था, उस समय अनेक सैनिक युद्धभूमि में लड़ते- लड़ते देश की रक्षा के लिए वीरगति को प्राप्त हो गए। इसी युद्ध की पृष्ठभूमि पर चेतन आनंद ने ‘हकीकत’ फिल्म बनाई थी। यह गीत इसी फिल्म के लिए लिखा गया था। कवि का मुख्य उद्श्य जन साधारण में देशभक्ति की भावना जाग्रत करना था जिसमे उन्हें पूरी सफलता प्राप्त हुई थी।
प्रश्न. ‘सर हिमालय का हमने न झुकने दिया’, इस पंक्ति में हिमालय किस बात का प्रतीक है ?
उत्तर– इस पंक्ति में हिमालय भारत के मान-सम्मान का प्रतीक है। यहाँ भारतीय सैनिको का कहना है कि देश की रक्षा के लिए उन्होने हँसते-हँसते अपने प्राण गवा दिए पर भारत की प्रतिष्ठा पर आँच नही आने दी। हिमालय की बर्फीली चोटीयो पर भारतीय जवानो ने बहादुरी की बलिदान की अनोखी मिसाल कायम की थी। इन भारतीय जवानो के दम पर ही हिमालय की चोटीयाँ गर्व से खड़ी हैं।
प्रश्न. इस गीत में धरती को दुल्हन क्यों कहा गया है ?
उत्तर– इस गीत में धरती को दुल्हन इसलिय कहा गया है क्यों कि जिस तरह दुल्हन को लाल जोड़े में सजाया जाता है उसी तरह आज भारतीय सैनिको के बलिदानी खून से यह धरती लाल रंग की हो गई है। साथ ही भारतीय संस्क्रति में दुल्हन की प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए प्राणों की बाजी लगा दी जाती है उसी प्रकार दुल्हन रूपी भारत भूमि की रक्षा में भारतीय सैनिक भी अपने प्रार्नो की बाजी लगा रहे हैं।
प्रश्न. कवि ने ‘साथियो’ संबोधन का प्रयोग किसके लिए किया है ?
उत्तर– प्रस्तुत गीत में कवि ने ‘साथियो’ संबोधन का प्रयोग सेनिको और समर्ग देशवासियों के लिए किया है। देश युद्ध की विभीषीका से गुजर रहा था। सैनिको का मानना है कि इस देश की रक्षा हेतु हम बलिदान की राह पर बढ़ रहे हैं। हमारे बाद यह राह सूनी न हो जाए। अतः इसके लिए वे सभी सैनिको और देशवासियों को सम्बोधित कर सावधान कर रहे हैं।
प्रश्न. कवि ने इस कविता में किस काफिले को आगे बराते रहने की बात कही है ?
उत्तर– कवि ने इस कविता में देश के लिए अपने प्रार्नो बलिदान करने के लिए तैयार रहने वाले काफिले को आगे बढ़ाते रहने की बात कही है। कवि चाहता है कि यदि सैनिको की एक टोली देश के लिए शहीद हो जाए, तो सैनिको की दूसरी टोली युद्ध की राह पर आगे बढ़ जाए। इस प्रकार यहाँ कवि द्वारा देश की रक्षा करने वाले सैनिको के समूह के लिए ‘काफिले’ शब्द का प्रयोग किया गया है।
प्रश्न. इस गीत में ‘सर पर कफन बाधना’ किस ओर संकेत करता है ?
उत्तर– इस गीत में ‘सर पर कफ़न बाँधना का संकेत है–देश की रक्षा के लिए अपने जीवन को बलिदान करने के लिए तैयार रहना। ‘सर पर कफ़न बाँधना’ मुहावरा है जिसका अर्थ होता है मोत के लिए तैयार हो जाना। यह गीत शत्रुओ से रणभूमि में लड़ने की ओर संकेत करता है। सैनिक जब युद्धछेत्र में उतरते हैं तो वे देश की इज़्जत की रक्षा के लिए सर पर कफ़न बाँधकर प्राण के लिए तैयार रहते हैं। उनके जीवन का एकमात्र उद्श्य अपनी मातृभूमि की रक्षा करना होता है।
प्रश्न. इस कविता का प्रतिपाद अपने शब्दो में लिखिए।
उत्तर–प्रस्तुत कविता की रचना कैफ़ी आजमी ने भारत चीन के युद्ध की पृष्ठभूमि पर आधारित फिल्म ‘हकीकत’ के लिए की थी। देश की सुरछा के लिए अपने प्रार्णों का बलिदान देने वाला सैनिक चाहता है कि कुबा्वनियो का सिलसिला ऐसे ही चलता रहे। जीवन के योवन की साथकता तभी है जब वह देश की रक्षा के लिए समपित हो जाए। भीषण कष्ट सहकर भी सैनिक अपने कर्तव्य से पीछे न हटे। अपने शोर्य का ऐसा प्रदर्शन करे कि दूसरे देश कभी भारत पर आक्र्मर्ण करने का विचार भी न करे। शत्रू रूपी रावण का संहार करने के लिए राम और लक्ष्मण के रूप को धारण करके अपनी सीता रूपी पवित्र धरती की रक्षा करना ही सैनिको का परम कर्तव्य। एक सैनिक के जीवन की सफलता इसी में है कि वह अपनी अंतिम साँस तक देश के मन की रक्षा कर उसे शत्रुओ से बचाए।
(ख) निमंलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
प्रश्न. सास थिमती गई, नब्ज जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया।
उत्तर– प्रस्तुत पंक्तियों कैफ़ी आजमी द्वारा रचित गीत ‘कर चले हम फिदा’ से उदधृत हैं। इन पंक्तियों में कवि ने भारतीय जवानो के साहस की प्रसंशा की है। चीनी आकमर्ण के समय भारतीय जवानो ने हिमालय की बफिली चोटीयो पर लड़ाई लड़ी। बर्फीली ठण्ड के कारण उनकी साँसे घुटने लगी, साथ ही तापमान कि होने से नब्ज भी जमने लगी परन्तु उन्होने किसी भी बात की परवाह किए बिना आगे बढ़ते कदम को कभी भी रुकने नही दिया। कवि इन पंक्तियों द्वारा देशवासियों को प्ररित करना चाहता है।
प्रश्न. खीच दो अपने खू से जमी पर लकीर
इस तरि आने पाए न रावण कोई।
उत्तर– प्रस्तुत पंक्तियों कैफ़ी आजमी द्वारा रचित गीत ‘कर चले हम फिदा’ से उदधृत हैं। यह गीत की प्रेरणा देने वाली पंक्तियों हैं। कवि सैनिको से कहते हैं कि भारतभूमि सीता की तरह पवित्र है। अगर कोई शत्रुरूपी रावण उसकी तरफ बढ़ेगा तो अपने खून से लास्मन (सैनिक) रेखा खीचकर उसे बचाएँगे अर्थात देश की रक्षा में हँसते हँसते खून की होली खेल जाएँगे। खू से जमी पर लकीर का तात्पय इस तरह की दीवार खड़ी कर देना जिसे कोई पार न कर सके।
प्रश्न. छु न पाए सीता का दामन कोई
राम भी तुम, तुम्ही लक्ष्मण साथियों।
उत्तर– प्रस्तुत पंक्तियों कैफ़ी आजमी द्वारा रचित गीत ‘कर चले हम फिदा’ से उदधृत हैं। इन पंक्तियों में कवि सेनिको को कहना चाहता है कि भारत का सम्मान सीता की पवित्रता के समान है। जिस प्रकार सीता की पवित्रता की रक्षा करना राम और लक्ष्मण का कर्तव्य था उसी प्रकार देश की रक्षा करना भारतीय सैनिको का कर्तव्य। कवि ने यहाँ भारतीय सैनिको की तुलना राम और लक्ष्मण से की है।