प्रश्न. सगतकार के माद्यम कवि किस प्रकार के व्यक्तियो की ओर सकेत कर रहा है?
उत्तर– सगतकार के माद्यम से कवि किसी भी कार्य -स्थल अथवा कला के क्षेत्र में सहयोग प्रदान करने वाले कर्मचरियों तथा कलाकारों की ओर संकेत कर रहा है। ऐसे सहयोगी स्वयं को महत्व न देकर किसी भी मुख्य व्यक्ति या मुख्य कलाकार को महत्व देना ही अपना धर्म समझते हैं। शक्ति एवं सामर्थ्य से पूर्ण होने पर भी वे स्वयं को गौण मानते हैं।
प्रश्न . सगतकार जैसे व्यक्ति सगीत के आलावा और किन - किन क्षेत्रो में दिखाई देते हैं?
उत्तर – संगतकार जैसे व्यक्ति सामाजिक एवं राजनितिक क्षेत्र सहित लिगभग सभी क्षेत्रो में दिखाई देते हैं। कलाकार, मूतिकार, काष्ठकार, फैक्ट्री सहित सभी स्थानों पर संगतकार जैसे लोग अपना धर्म एवं फर्ज निभाते दिखाई दे जाते हैं। धार्मिक क्षेत्र में भी इनकी कमी नही है।
प्रश्न . संगतकार किन-किन रूपो में मुख्य गायक-गायिकाओ की मदद करते हैं ?
अथवा
सगतकार की भूमिका पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर– संगतकार सहगायक एवं सहगायिका के रूप में तथा वाधयंत्र बजाकर मुख्य गायक - गायिकाओ की मदद करते हैं। वे अपने स्वर की गूज को मुख्य गायक के स्वर में मिलाकर उसका मनोबल बढ़ाते हैं। वे मुख्य गायक के तारसप्तक में भटक जाने पर भी स्थायी को पकरे रहते है|तथा मुख्य गायक को मूल्य स्वर पर वापस लाते है| वे मुख्य गायक को अकेला नही पड़ने देते| वे मुख्य गायक की टूटती - बिखरती आवाज को बल प्रदान करते है|
प्रश्न. भाव स्पष्ट कीजिए -
और उसकी आवाज में जो एक हिचक साफ सुनाई देती है या अपने स्वर को उच्चा न उठाने की जो कोशिश है उसे विफलता नही उसकी मनुशत्ता समझा जाना चाहिए।
उत्तर – संगतकार मुख्य गायक का सहयोग करता रहता है। वह उसे अकेलेपन का एहसास नही होने देता।वह अपने स्वर के माद्यम से उसे यह भी बता देता है कि पहले गाया राग फिर से गाया जा सकता है। ऐसा आभास कराते समय उसकी आवाज में निहित संकोच साफ सुनाई देता है। संगतकार की हर सभ्भव यह कोशिश रहती है कि उसका स्वर किसी भी हालत में मुख्य गायक के स्वर से ऊँचा नही उठना चाहिए।
कवि कहना चाहता है कि ‘संगतकार’ की इस कोशिश को उसकी असफलता नही, बल्कि मानवता समझना चाहिए। उसके हृदय में अपने गुरु के प्रति श्रध्दा एवं समपर्ण भाव है, इसी कारण वह शक्ति एवं सामथ्य होने पर भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन नही करना चाहता, बल्कि अपने गुरु की कला को ही महत्व देना चाहता है।
प्रश्न. किसी भी क्षेत्र में प्रसिद्धि पाने वाले लोगो को अनेक लोग तरह - तरह से अपना योगदान देते हैं। कोई एक उदाहरण देकर इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर– महेन्द्र सिह धोनी आज किसी परिचय के मोहताज नही हैं। भारत को 28 साल बाद विश्कप जिताने वाली ‘धोनी’ को विश्व के सफलतम कप्तानो में शुमार किया जाता है। महेन्द्र सिह धोनी के ‘माहि’ से ‘कैप्टन कूल’ जैसी प्रसिद्ध स्ख्स्यत बनने तक के सफर में अनेक लोगो का योगदान रहा है। माता-पिता के बाद धोनी के लिए उनके मित्रो का योगदान सराहनीय है। आथिक मदद से लेकर प्रोत्सयाहन देने तक हर तरह से वे उनके साथ थे। उनके कठीन समय में भी वे धोनी के साथ चट्टान की तरह अडीग खड़े रहे। धोनी के जीवन में उनके कोच का
भी महत्वपूण योगदान रहा है, जिंहोने उनेह क्रिकेट की ओर आकषीत प्रेरित किया।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि हर प्रसीद्ध सख्केसियत पीछे अनेक लोगो का योगदान रहता है।
प्रश्न. ‘‘कभी-कभी तारसप्तक की ऊँचाई पर पहुँचकर मुख्य गायक का स्वर बिखरता नज़र आता है उस समय सगीतकार उसे बिखरने से बचा लेता है।’’ इस कथन के आलोक में सगात्कर की विशेष भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– जब तारसप्तक की ऊँचाई पर पहुँचकर मुख्य गायक का स्वर बिखरता नज़र आता है, तब उसका आत्मविश्वास डगमगया जाता है तथा उत्त्साह क्षीण पड़ जाता है। उसकी इच्छा शक्ति समाप्त होने लगती है, तब संगतकार मुख्य स्वर को दोहराकर उसका मनोबल बद्दाता है। उसके बिखराव को सभालकर उसके आत्मविश्यास तथा उत्साह को वापस लाता है। इस प्रकार संगतकार मुख्य गायक को ढयाढ़स बढ़ाते हुए, उसे मूल स्वर पर वापस लाता है। संगतकार अपनी महत्वपूर्ण व कथा वनि्थहन करते हुए मुख् गयायक को संबि प्रदयान करतया है। अतः हम कह सकते हैं हक संगतकार स्यान महत्वपूर्ण व अत्यन्त उपयोगी है। वह मुख्य गायक का सहायक होने के साथ-साथ उसका अभिन्न मित्र व सच्चा सहयोगी है।
प्रश्न. सगतकार की आवाज में एक हिचक-सी क्यों प्रतीत होती है?
उत्तर– संगतकार अपने पूर्ण स्वर में नही गाता है, क्यों कि वह नही चाहता है कि मुख्य गायक से उसका स्वर तेज़ हो जाए। संगतकार सोचता है कि अगर उसका स्वर तेज़ हो जाय, तो मुख्य गायक का स्वर एवं प्रभाव क्षीण हो सकता है। वह मुख्य गायक के प्रति श्रद्धा रखता है, जिसके परिराम स्वरूप संगतकार
की आवाज में हिचक-सी प्रतीत होती है।
प्रश्न. सफलता के चरम शिखर पर पहुँचने के दौरान यदि व्यक्ति लड़खड़ता है, तब उसे सहयोगी किस तरह सभालते हैं?
उत्तर– सफलता के चरम शिखर पर पहुँचने के दौरान यदि व्यक्ति लड़खराने लगता' है, तो उस समय उसके सहयोगी उसे सात्वना देकर उसका हौसला बराते हैं। उत्साहवर्धन करके उसका मनोबल बराते हैं। हर परिस्थिति में उसका साथ देने का वादा करके उसे सबल प्रदान करते हैं। उसे सँभालने में वे अपनी पूरी शक्ति एवं सामर्थ्य लगा देते हैं।
प्रश्न. सगतकार में त्याग की उत्ष्ट भावना भरी है, पुष्टि कीजिए।
उत्तर– संगतकार वह व्यक्ति है, जो कदम-कदम पर मुख्य गायक की सहायता करता है, किन्तु वह अपने स्वर को मुख्य गायक के स्वर को मुख्य गायक के स्वर से अधिक प्रभावपूर्ण नही होने देता है। वह गायन का सम्पूर्ण श्रेय मुख्य गायक को देता है।वह नीव की ईंट की भाति होता है, जो अपना आस्तित्व दाव पर लगाकर त्याग की उत्कृष्ट भावना का परिरचय देता है।
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