प्रश्न. सेनानी न होते हुए भी चस्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे ?
उत्तर– चस्मेवाला भावुक व देशप्रेमी था। देश के प्रति अपनी श्रध्दा व्यक्त करने के लिए वह नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगा देता था। उसकी इसी भावना का मान रखने के लिए लोग उसे कैप्टन कहते थे।
प्रश्न. हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था, लेकिन बाद में तुरन्त रोकने को कहा -
(i) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गये थे?
उत्तर– हालदार साहब भावुक व्यक्ति थे। उनेह लगा कि कैप्टन की मत्यु के बाद नेताजी की मूर्ति पर चश्मा नही लगा होगा| वे बिना चस्मेवाली मूर्ति नही देखना चाहते थे| इन्ही भावनायो के वशीभूत होकर वे मायूस हो गये |
(ii) मूति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है ?
उत्तर– मूति पर लगा हुआ सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद जगाता है कि यह धरती देशप्रेमियो से भरी हुई है। एक देशभक्त के जाने के बाद अनेक देशभक्त उसका दायित्व वहन करने के लिए तत्पर दिखायी देते हैं। यहाँ तक कि इस धरती का बच्चा-बच्चा भी देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत है।
(iii) हालदार साहब इतनी-सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?
उत्तर– हालदार साहब संवेदनशील व्यक्ति थे। देश के प्रति उनकी भी संवेदनाएँ जुड़ी हुई थी। नेताजी की मूति पर लगा हुआ सरकंडे का चश्मा उनके हृदय को द्रवित कर देता है। हालदार साहब के लिए यह इतनी-सी बात न होकर एक महान् कृत्य था। नई पीढ़ी में देश के लिए जीवन्त श्रध्दा एवं भक्ति को देखकर हालदार साहब भावुक हो उठे। उनका हृदय कोमल भावनाओ से भर गया।
प्रश्न . आशय स्पस्ट कीजिए -
‘‘बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी- जवानी-जिन्दगी का सब कुछ होम देने वालो पर भी हसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूढ़ती है |"
उत्तर– पानवाले द्रारा कैप्टन का मज़ाक उड़ाया जाना हालदार साहब को अच्छा नही लगा। वे सोचने लगे कि कैप्टन जैसे लोग ही सच्चे देशभक्त होते हैं, जो नि : स्वाथ भाव से रास्थ के प्रति सच्ची श्रध्दा रखते हैं। स्वार्थी एवं लालची जाति के लोगो द्वारा ऐसे देशभक्तों का मज़ाक उड़ाया जाना हालदार साहब को आहत करता है, जो अपने देश की खातिर अपना सर्वस्व नयोछावर कर देते हैं। उनेह बार-बार यह चिंता सताती है कि जहाँ ऐसे स्वार्थी जाति के लोग रहते हैं उस देश का भविष्य कैसे सुरछित रहेगा ?
प्रश्न. पानवाले का एक रेखाचित् प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर– पानवाला काले रंग का मोटा व्यक्ति था। उसकी तोद निकली हूई थी, जो हँसने पर धिरकने लगती थी। सदैव पान खाते रहने के कारण उसके दाँत लाल-काले हो गये थे तथा वह अपनी बात को स्पष्टतः कह भी नही पाता था। वह स्वभाव से खुशमिज़ाज़ था। उसका बात करने का अन्दाज रसीला था।
प्रश्न. ‘वो लँगढ़ा क्या जायेगा फ़ोज में। पागल!" कैप्टन के प्रति पानेवाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।
उत्तर– पानवाले की यह टीप्पणी दर्दनाक, दुर्भाग्यपूर्ण तथा किसी भी सहृदय व्यक्ति को व्यथित करने वाली है। पानवाले द्रारा कैप्टन के विषय में इस प्रकार बात करना सर्वथा अनुचित है। उसे कैप्टन का सम्मान करना चाहिए था, क्योंकि कैप्टन ही नेताजी की मूति पर चश्मा लगाता रहता था ताकि नेताजी की मूति अधूरी न लगे, जो उसकी देशभक्ति की भावना को प्रकट करता है। शारीरिक बनावट एवं रंग-रूप तो ईश्रीय देन है। मनुष्य को मन व चरित्र से सुन्दर होना चाहिए, क्युकि सुन्दर मन-मस्तिस्क में ही सुन्दर विचारो का जन्म होता है।
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