NCERT Solutions for Class 10 Hindi - B: Sparsh Chapter - 9 Sitaram Saksariya
NCERT Solutions for Class 10 Hindi - B: Sparsh Chapter - 9 Sitaram Saksariya Free PDF Download
Please Click on Free PDF Download link to Download the NCERT Solutions for Class 10 Hindi - B: Sparsh Chapter - 9 Sitaram Saksariya
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए -
प्रश्न . कलकत्तावासियो के लिए 26 जनवरी, 1931 का दिन क्यों महत्पूर्ण था ?
उत्तर– कलकत्तावासियो के लिए 26 जनवरी, 1931 का दिन इसलिए महत्त्वपूर्ण था क्यों कि 26 जनवरी, 1931 को कलकत्तावासियो महात्मा गाँधी द्वारा घोषित आजादी की दूसरी वर्षगाठ मना रहे थे। देश का स्वतन्त्रता दिवस एक वर्ष पहले इसी दिन मनाया गया था और मोन्यूमेंट पर रास्टीय ध्वज फहराया गया था। इसलिए यह दिन उनके लिए महत्त्वपूण था।
प्रश्न. सुभाष बाबू के जुलूस का भार किस पर था ?
उत्तर– सुभाष बाबू के जुलुस का भार पुर्नोदास पर था।
प्रश्न. विद्याथी संघ के मंत्री अविनाश बाबू के झंडा गाड़ने पर क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर– विद्याथी संघ के मन्त्री अविनयाश बाबू ने जैसे ही झंडा गाढ़ा, पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया और लॉकअप में डाल दिया।लोगो को लाठिया मार कर वहा से हटा दिया।
प्रश्न. लोग अपने-अपने मकानो व सावजनिक स्थलों पर रास्ट्रीय झंडा फहराकर किस बात का संकेत देना चाहते थे ?
उत्तर– लोग अपने मकानो और सावजनिक स्थलों पर रास्ट्रीय झंडा फहराकर यह संकेत देना चाहते थे कि आजादी का उनमें अत्यन् जोश और उत्साह है तथा वे अपने को आजाद समझकर आजादी मना रहे हैं। कई घर तो ऐसे सजे हुए थे मानो आजादी मिल गई हो।
प्रश्न. पुलिस ने बड़े-बड़े पार्को तथा मैदानो को क्यों घेर लिया था ?
उत्तर – पुलिस न पार्को और मैदानो को इसलिए घर लिया था जिससे कि जनता वहा एकत्रित न हो सक और किसी प्रकार का आयोजन न कर सके। आजादी मनाने क लिए पूरे कलकत्ता शहर में जुलुस, जनसभाओ व झंडोतस्व का आयोजन किया गया था।
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (30-40) शब्दों में लिखिए —
प्रश्न. 26 जनवरी, 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए क्या-क्या तेयारिया की गईं ?
उत्तर– 26 जनवरी, 1931 का दिन को अमर बनाने के लिए अनेक तैयारियाँ की गईं। कलकत्ता शहर में जगह-जगह झंडे लगाए गए थे। नगर को वधू के समान सजाया गया था। शहर के कई स्थानों पर जुलुस निकले गये तथा झंडा फहराया गया। टोलियाँ बनाकर लोगो की भीड़ उस जगह पर जुटने लगी जहा सुभाष बाबू के जुलुस को पहुचना था। मोन्यूमेंट के नीचे प्रतिज्ञा पढ़ी गई और झंडा फहराया गया था।
प्रश्न. “आज जो बात थी वह निराली थी”– किस बात से पता चल रहा था कि आज का दिन अपने-आप में निराला है? स्पषट कीजिए।
उत्तर– 26 जनवरी, 1931 के दिन स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाने का निश्चय किया था। इसके लिए लोगो का उत्साह चरम सीमा पर था। 4 बजकर 24 मिनट पर मोन्यूमेंट के नीचे झंडा फहराने और स्वतन्त्रता की प्रतिज्ञा पढ़ने के लिए कोलकाता के अलग - अलग भागो से जुलुस आगे बढ़ रहे थे। उन्हें रोकने के लिए पुलिस द्वारा लाठी चाज किया जा रहा था। इसके बावजूद भी लोग आगे बढ़ रहे थे। कलकत्ता का जुनून, सभाओ में उत्साह के साथ भाग लेना और जोश भरे माहोल ने इस दिन को निराला बना दिया था।
प्रश्न. पुलिस कमिश्नर के नोटिस और काउंसिल के नोटिस में क्या अन्तर था ?
उत्तर– पुलिस कमिश्नर के नोटिस और काउंसिल के नोटिस में परस्पर विरोधभास था। पुलिस कमिश्कनर का नोटिस था कि कोई भी जनसभा करना या जुलुस निकलना कानून के खिलाफ होगा क्यों कि सभा गैरकानूनी है और सभाओ में भाग लेने वाले लोगो को दोषी माना जायेगा। काउंसिल का नोटिस था कि मोन्यूमेंट के नीचे 4 बजकर 24 मिनट पर झंडा फहराया जायेगा और स्वत्रंता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी।
प्रश्न. धर्म्ताल्ले के मोड़ पर आकर जुलुस क्यों टूट गया ?
उत्तर– धर्म्ताल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस के टूटने का कारण सुभाष बाबू को गिरफ्तार किया जाना और पुलिस द्वारा जुलूस के लोगो पर लाठिया बरसाना था। इस जुलूस को सफल बनाने के लिए 50-60 महिलाय भी मोड़ पर बैठी थी, उन्हें भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
प्रश्न. डॉ. दास गुप्ता जुलूस में घायल लोगो की देख-रेख तो कर ही रहे थे, उनके फोटो भी उतरवा रहे थे। उन लोगो के फोटो खीचने की क्या वजह हो सकती थी ? स्पस्ट कीजिए।
उत्तर– लोगो के फोटो खीचने की सबसे बड़ी वजह यह थी कि वे देश और दुनिया के लोगो को अगेजो की बबरता और अमानवीयता से अवगत कराना चाहते थे। वे समाचार-पत्रो में इसे प्रकाशित करवाकर अगेजो के खिलाफ प्रमार्ण इकट्ठा करना चाहते थे तथा सबको यह बताना चाहते थे कि कोलकाता में भी स्वतन्त्रता
के लिए काम हो रहा है।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (80-100) शब्दों में लिखिए—
प्रश्न. सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की क्या भूमिका थी ?
उत्तर– सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की महत्त्वपूण्र भूमिका थी। सुभाष बाबू को गिरफ्तार कर लिए जाने के उप्रान्त स्त्रियो ने भी जुलुस को आगे बराने का काम किया था। कलकत्ता शहर की अनेक महिला समितियों ने इस स्वतन्त्रता समारोह में उत्भसाहपूर्वक भाग लिया। जानकी देवी और मदालसा बजाज जैसी स्त्रियो ने जुलुस का सफल नेतार्त्व किया। धर्म्ताल्ले के मोड़ पर 50-60 स्त्रियो ने धरना दे दिया। इस आन्मदोलन में लगभग 105 स्त्रिययाँ पकड़ी गईं और कलकत्ता के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था। इस प्रकार इन घटनाओ से स्पष्ट होता है कि स्त्रियो ने उस दिन अच्छा योगदान दिया था।
प्रश्न. जुलूस के लाल बाजार आने पर लोगो की क्या दशा हुई ?
उत्तर– जुलूस के ताल बाजार आने पर लोगो की बुरी दशा हो गई। पुलिस के अत्याचार के कारण जुलुस अनियंत्रित हो गया। लोगो को गिरफ्तार कर लॉकअप में भेजा जा रहा था। इतनी बड़ी संख्या में स्त्रियो की गिरफ्तारी कभी नही हुई थी। लोगो का उत्साह थमने का नाम नही ले रहा था। पुलिस जितना गिरफ्तार करती उतनी ही लोगो की सख्यया बढ़ती जा रही थी। पुलिस की लाठी से घायल और खून से लथपथ होने के बाद भी उनके जोश में कोई कमी नही दिख रही थी। भीड़ बढ़ती ही जा रही थी।
प्रश्न. ‘जब से कानून भंग का काम शुरू हुआ है तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे मैदान में नही की गई थी और यह सभा तो कहना चाहिए की ओपन लडाई थी। यहा पर कौन-से और किसके द्वारा लागू किये गये कानून को भंग करने की बात कही गई है? क्या कानून भंग करना उचित था ? पाठ के सन्दर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर– यहा पर पुलिस कमिशनर के द्वारा सभा ने करने, जुलुस न निकलने, झंडा न फहराने आदि के लिए बनाये गये कानून को भंग करने की बात कही गई है। यह कानून अभीव्यक्ति के अधिकार का स्पष्ट हनन था।
मेरे विचार से इस प्रकार के कानून का भंग करना अति आवश्यक था। यह अगेजो के साथ ओपन लडाई थी, यदि ऐसा न किया जाता तो देश में स्वतन्त्रता के आन्दोलन को और बढ़वा न मिलता और आन्दोलन को दबा दिया जाता।
प्रश्न . बहुत से लोग घायल हुए, बहुतो को लॉकअप में रखा गया, बहुत-सी स्त्रियाँ जेल गईं, फिर भी इस दिन को अपूण बताया गया है। आपके विचार में यह सब अपूण है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर– मेरे विचार में यह सब अपूर्ण इसलिए था क्योंकि इससे पहले कोलकाता में इतने बड़े स्तर पर जुलुस नही निकाला गया था और न ही इस प्रकार से सरकार को खुली चुनौती देकर विरोध किया गया था। स्त्रियो का इतनी बड़ी संख्यया में भाग लेकर गिरफ्तारी देना भी इस दिन को अपूर्व बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आन्दोलान्कर्ताओ के प्रति पुलिस के निमम अत्याचार बाद भी उनका उत्साह कम नही हो रहा था। मोन्यूमेंट के पास झंडा फहराने और आजादी की शपथ लेने के लिए लोगो की उमड़ती भीड़ को पुलिस काबू नही कर पा रही थी।
(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए—
प्रश्न. आज तो जो कुछ हुआ वह अपूर्व हुआ है। बंगाल के नाम या कलकता के नाम पर कलंक था कि यहा काम नही हो रहा है वह आज बहुत अंश में धुल गया।
उत्तर– उपयुक्त पंक्ति का आशय यह है कि 26 जनवरी , 1931 के दिन को कलकत्ता में दूसरा स्वतन्त्रता दिवस को मनाया गया था। इस स्वतन्त्रता दिवस को मनाने के लिए जुलुस निकाले गये, जनसभा करने के लिए तथा झंडा फहराने के लिए अगेजी सरकार द्ववारा निश्जधाज्ञा जारी किया गया था। इसके बावजूद लोगो ने सरकारी आदेश का उल्घन कर स्वतन्त्रता दिवस के आयोजन में बढ़ - चढ़ कर भाग लिया। मोन्यूमेंट के नीचे झंडा फहराया गया और स्वतन्त्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी गई। पुलिस की लाठिया खाने और गम्भीर रूप से घायल होने के बाद भी उनके जोश और उत्साह में कमी नही आई। इससे पूर्व कलकत्ता में इस अवसर पर इस प्रकार का विशेष आयोजन नही हुआ था| जिसके कारण निष्क्रियता का कलक लग गया था। इस बार अपूव आयोजन और उत्साह के कारण निष्क्रियता का कलक बहुत अंश में धुल गया।
प्रश्न. खुला चैलेंज देकर ऐसी सभा पहले नही की गई थी।
उत्तर– उपयुक्त पंक्ति का आशय यह है कि पुलिस ने नोटीस निकाला था कि सभा तथा जुलुस नही निकाले जा सकते क्यों कि सभा गैर-कानूनी है।लेकिन सुभाष बाबू की अध्क्षतया में काउंसिल ने नोटीस निकाला था कि मोन्यूमेंट के नीचे झंडा फहराया जायेगा और स्वतन्त्रतया की प्रतिज्ञा पढ़ी जायेगी। सरकारी निषेधज्ञा के बाद भी लोगो ने अदम्य उत्साह और साहस से इस आन्दोलन में भाग लिया। पुलिस की बर्बरता के बाबजूद महिलाओ और पुरुषो न झंडा फहराया तथा सभा की। इस प्रकार यह आन्दोलन सरकार और कलकत्तावासियो के बीच खुला चेलेंज था जिसे लोगो ने पूरा करके दिखा दिया कि स्वतन्त्रता जन्मसिद्ध अधिकार है।
Share page on
NCERT Solutions Class 10 Hindi
- Chapter 1 – Mata Ka Anchal
- Chapter 2 – Sana Sana Hath Jodi
- Chapter 3 – Mein Kyon Likhata hun
- Chapter 1 – Surdas
- Chapter 2 – Tulsidas
- Chapter 3- Jayashankar Prasad
- Chapter 4 – SuryaKant Tripathi – Nirala
- Chapter 5 – Nagarjun
- Chapter 6 – Manglesh Dabral
- Chapter 7 – Saviya Prakash
- Chapter 8 – Ram Vraksh Benapuri
- Chapter 9 – Yashpal
- Chapter 10 – Manu Bhandari
- Chapter 11 – Yatindra Mishra
- Chapter 12 – Bhadand Anand Koslyayan
- Chapter 1 – Sakhi
- Chapter 2 – Meera
- Chapter 3 – Maithali Sharan Gupt
- Chapter 4 – Sumitranandan Pant
- Chapter 5 – Viren Dangwal
- Chapter 6 – Kaifi Azami
- Chapter 7 – Ravindra Nath Tagore
- Chapter 8 – Premchand
- Chapter 9 – Sitaram Saksariya
- Chapter 10 – Leeladhar Mandloi
- Chapter 11 – Prahlad Agarwal
- Chapter 12 – Nida Fazli
- Chapter 13 – Ravindra Kalekar
- Chapter 14 – Habib Tanveer
- Chapter 1 – Harihar Kaka
- Chapter 2 – Sapno Ke Se Din
- Chapter 3 – Topi Shukla
CBSE CLASS 10 NCERT SOLUTIONS
- NCERT Solutions Class 10 Physics
- NCERT Solutions Class 10 Chemistry
- NCERT Solutions Class 10 Biology
- NCERT Solutions Class 10 Mathematics
- NCERT Solutions Class 10 History
- NCERT Solutions Class 10 Geography
- NCERT Solutions Class 10 Economics
- NCERT Solutions Class 10 Political Science
- NCERT Solutions Class 10 English
- NCERT Solutions Class 10 Hindi