Oswal Practice Papers CBSE Class 10 Hindi-A Solutions (Practice Paper - 10)

खण्ड-(अ)

1. (1) (ग) चाणक्य द्वारा रचित अर्थशास्त्र।

(2) (क) नीच कुल का समझे जाने वाले लोगों का जीवन अभिशाप बन गया।

(3) (ग) कथन (A) सही है और कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या है।

(4) (घ) कथन (iii) सही है।

(5) (ख) यहाँ मानवीय अधिकारों की सुरक्षा की गई।

2. (1) (ग) कथन (i) सही है।

(2) (ख) भारत

(3) (घ) निकृष्ट कोटि के कार्य

(4) (घ) कथन (A)  व (R) सही है, किंतु कथन (A), (R)  की सही व्याख्या नहीं है।

(5) (ख) अनुप्रास

3. (1) (ख) जैसे ही मोदीजी ने भाषण दिया, लोगों ने तालियाँ बजाईं।

(2) (ख) वह तेज नहीं दौड़ा, इसलिए गाड़ी छूट गई

(3) (ग) इसी व्यक्ति ने चोरी की थी।

(4) (ग) कथन (ii) व (iii) सही हैं।

(5) (घ) 1-iii, 2-i, 3-ii

4. (1) (क) कर्तृवाच्य

(2) (ख) लड़की से आँगन में सोया जा रहा है।

(3) (ग) बच्चा रोता है।

(4) (क) केवल 3 सही है।

(5) (क) 1-ii, 2-i, 3-iii

5. (1) (घ) गुणवाचक विशेषण, पुल्ल्लिंग, एकवचन, विशेष्य ‘काव्य’

(2) (घ) व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्ल्लिंग, एकवचन, कर्मकारक

(3) (क) भाववाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्मवाच्य

(4) (ख) भाववाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्ताकारक

(5) (घ) उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम, एकवचन, कर्ताकारक

6. (1) (ख) उत्प्रेक्षा अलंकार

(2) (क) श्लेष

(3) (क) उत्प्रेक्षा अलंकार

(4) (ख) अलंकार काव्य की शोभा बढ़ाते हैं।

(5) (घ) अतिशयोक्ति

7. (1) (ख) कैप्टन के पास दुकान भी नहीं, यह देखकर

(2) (ग) क्योंकि वह नेताजी की बिना चश्मे वाली प्रतिमा पर नित्य नया चश्मा पहनाता था।

(3) (क) फेरी लगाता था।

(4) (ख) नेताजी का चश्मा

(5) (ख) योजक चिह्न

8. (1) (घ) उपर्युक्त सभी सत्य हैं।

(2) (ग) उनका ऐसा करना उनके दर्प-युक्त स्वभाव तथा दिखावटी जीवन-शैली को इंगित करता है।

9. (1) (क) श्रीकृष्ण का

(2) (ग) योग-संदेश का

(3) (ग) जिनका मन चंचल है।

(4) (ख) श्रीकृष्ण को 

(5) (क) कड़वी ककड़ी के समान

10. (1) (ग) बच्चे के आगमन से कवि का कठोर हृदय भी पिघल गया।

(2) (ग) क्रांति के माध्यम से समाज में परिवर्तन लाना चाहता है।

खण्ड-(ब)

11. (क)  मनुष्य सामाजिक प्राणी होने के कारण रूढ़ियों एवं परंपराओं में बँध गया है। उसका दायरा सीमित तथा दृष्टिकोण संकुचित हो गया है। अतः वह परिवर्तनशील संसार के साथ कदम मिलाकर नहीं चल पा रहा। वह सभ्यता एवं संस्कृति को अपने मनमाने रूप में प्रयोग कर रहा है। इसी कारण मानव को सभ्यता एवं संस्कृति की सही समझ अब तक नहीं आई है।

(ख) यशपाल जी की भाषा-शैली वातावरण के अनुरूप प्रभाव पैदा करने की क्षमता रखती है। इनकी भाषा-शैली वर्णनात्मक, विवेचनात्मक, भावात्मक, चित्रात्मक तथा प्रवाहयुक्त है। ‘लखनवी अंदाज’ पतनशील सामंती वर्ग पर करारा व्यंग्य है। इन्होंने उर्दू-मिश्रित शब्दावली का प्रयोग बड़ी कुशलता से किया है। 

(ग) कबीर पंथ मनुष्य को सांसारिक आकर्षणों से दूर रहने की प्रेरणा देता है। वह मानव के अंदर सत्यता, सरलता, त्याग, परोपकार आदि सद्गुणों का विकास करके उसे असत्य, छल-कपट, ईर्ष्या -द्वेष, माया-मोह, स्वार्थ-लालच आदि अवगुणों से दूर रहने के लिए प्रेरित करता है। कबीर पंथ के अनुसार मानव-जीवन ‘साहब’ की देन है, इसीलिए उसे अपना सम्पूर्ण जीवन उन्हीं के चरणों में समर्पित कर देना चाहिए।

(घ) हालदार साहब देशप्रेमी, भावुक, संवेदनशील तथा सुलझे हुए व्यक्ति थे। वे राष्ट्र के प्रति सम्मान का भाव रखते थे तथा सभी लोगों को समानता की दृष्टि से देखते थे। अपने इसी गुण के कारण उनका ध्यान नेताजी की मूर्ति पर बदलते हुए चश्मों की ओर बरबस ही चला जाता है। अपने भावुक स्वभाव के कारण ही वे पानवाले द्वारा चश्मेवाले कैप्टन का उपहास उड़ाये जाने पर आहत हो जाते हैं।

12. (क) कवि इस कथन के माध्यम से यह कहना चाहता ह कि अपनी पत्नी या प्रेयसी के साथ बिताए गए मधुर-मिलन के पल व्यक्तिगत होते हैं। उन्हें किसी के समक्ष व्यक्त नहीं किया जा सकता। दुःखों के जाल के बीच में सुखों के कुछ पल मेरे जीवन के आधार हैं। मैं आत्मकथा लिखकर अपने सुखद क्षणों को सार्वजनिक नहीं कर सकता।

(ख) ‘उत्साह’ कविता के माध्यम से कवि ने ‘नवजीवन वाले’ कहकर, जीवन प्रदान करने वाले बादलों तथा नई रचना करने वाले कवियों को सम्बोधित किया है। उन्होंने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि बादल पानी बरसाकर प्यासे-पीड़ित, मुरझाए लोगों को जीवन प्रदान करते हैं। कवि अपनी उत्साहपूर्ण रचना के माध्यम से निराश-हताश लोगों के जीवन को आशा की किरण दिखाकर नई उम्मीदें पैदा कर देते हैं।

(ग) साहस और शक्ति एक-दूसरे के पूरक हैं। ये मनुष्य के श्रेष्ठ गुण हैं, यदि इनके साथ विनम्रता के गुण का समावेश हो जाए तो ‘सोने पर सुहागा’ का काम करता है। साहस-शक्ति तथा विनम्रता के मेल से मनुष्य महान बन जाता है। विनम्रता के अभाव में मनुष्य अहंकारी होकर अपनी शक्ति और साहस का दुरुपयोग करने लगता है। विनम्रता उस पर नैतिकता का अंकुश लगाती है। मनुष्य को सही राह पर चलना सिखाती है। अतः साहस एवं शक्ति के साथ विनम्रता का होना अत्यन्त आवश्यक है।

(घ) शिशु बहुत भोले-मासूम और नादान होते हैं। उनकी मुस्कराहट निश्छल, निस्वार्थ तथा निष्कपट होती है। वह सबके मन को हरती है। उनकी फूल के समान कोमल मुस्कराहट को देखकर पाषाण-हृदय भी पिघलकर द्रवित हो जाता है। वह मन्त्र-मुग्ध सा होकर शिशु को देखता रह जाता है।

13. (क) बच्चो के लालन-पालन में जितना हाथ माता का होता है, उतना पिता का भी होता है। इस पाठ में पिता, भोलानाथ को शिक्षा देते हैं, उसके साथ खेलते हैं क्योंकि यह संबंध पुत्र के व्यक्तित्व के विकास में सहायक है। प्रस्तुत कथा में जहाँ भोलानाथ पिता की छाती पर बैठकर मूँछें उखाड़ता है, वहीं पिता उसे चूमकर या रोने का बहाना बनाकर हटाने की कोशिश करते हैं, परंतु पिता का वात्सल्य उसे गुस्सा नहीं होने देता इसलिए पिता और पुत्र के बीच का लगाव सकारात्मक गुणों को विकसित करता है।

(ख) अज्ञेयजी के अनुसार सभी लेखक कृतिकार नहीं होते। उनके द्वारा लिखित सब कुछ लेखन के अन्तर्गत नहीं आता। आन्तरिक अनुभूति तथा उसकी विवशता से मुक्ति पाने हेतु लिखा गया लेखन ही सच्चा लेखन होता है। अपने मन की व्यथा को व्यक्त करने वाला लेखन ही ‘कृति’ कहलाता है और इसे व्यक्त करने वाला कृतिकार। धन, यश, ख्याति आदि की इच्छा से प्रेरित लेखन सामान्य लेखन की श्रेणी में आता है।

(ग) ‘मेहनतकश’ का अर्थ है-कड़ी मेहनत करने वाले। ‘बादशाह’ का अर्थ है-मन की मर्जी के मालिक। गंतोक एक पहाड़ी क्षेत्र है। यहाँ स्त्री, पुरुष, बच्चे व युवतियाँ सभी कठिन परिस्थितियों में पूरी मेहनत से लगे रहते हैं। स्त्रियाँ अपने शिशु को पीठ पर लादकर काम करती हैं। बच्चे स्कूल से लौटने के बाद मवेशी चराते हैं, पानी भरते हैं तथा लकड़ियों के भारी गट्ठर ढोते हैं। गंतोक में सभी लोग मेहनतकश होते हैं। इसीलिए गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों’ का शहर कहा गया है।

14. 

(क) समय का सदुपयोग / का वर्षा जब कृषि सुखाने?

समय अमूल्य है। सृष्टि का निर्माता और विनाशक समय, सदैव गतिमान रहता है। किसी ने सत्य कहा है कि ‘समय और तूफान किसी की प्रतीक्षा नहीं करते। समय के महत्व को समझकर उसका सदुपयेाग करने वाले व्यक्ति जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते हैं। उनके जीवन में निशिच्च्ता आ जाती है। ऐसे महापुरुषों का अनुसरण सम्पूर्ण विश्व करता है। विद्यार्थी जीवन में समय के सदुपयोग हेतु कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर, समय का बुद्धिमता से विभाजन कर उसका कड़ाई से पालन करना चाहिए। साथ ही विश्राम, खेलकूद एवं मनोरंजन के लिए भी समय निकालना चाहिए। समय का दुरुपयोग करने वाला व्यक्ति प्रगति की दौड़ में पिछड़ जाता है। समय बीत जाने पर कार्य करने का कोई लाभ नहीं होता, कहा भी गया है -

‘का वर्षा जब कृषि सुखाने, समय चूकि पुनि का पछताने।’

अतः जीवन के प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करना चाहिए।

(ख) प्लास्टिकः एक अनचाही जरूरत

आज का युग विज्ञान का युग है। विज्ञान ने हमें चमत्कारी वस्तुएँ देकर हमारे जीवन को सरल, सुंदर तथा सुगम बना दिया है। प्लास्टिक से न केवल मानव जाति बल्कि पूरे उद्योग क्षेत्र में परिवर्तन आ गया है। आज खाद्य पदार्थ हों या अन्य वस्तुएँ, सभी प्लास्टिक की थैलियों में आती हैं। इसका उपयोग कृत्रिम वस्त्र बनाने, पानी की टंकियाँ बनाने, प्लास्टिक के दरवाजे, खिड़कियाँ, चादरें, चप्पल, जूते, अनेक उपकरण, पैकिंग मैटिरियल आदि अनगिनत चीजें बनाने में किया जा रहा है। एक तरफ जहाँ प्लास्टिक हमारे लिए उपयोगी है वहीं दूसरी ओर ये न केवल मानवीय जीवन, अपितु जीव-जंतुओं के लिए भी हानिकारक है। मनुष्य इसका इतना आदी हो गया है कि इसके उपयोग से होने वाली हानियों को नजर अंदाज कर रहा है। हमें प्लास्टिक का बहिष्कार करना होगा तभी पर्यावरण शुद्ध होगा।

(ग) इंटरनेटः एक संचार क्रान्ति

इंटरनेट (अंतरजाल) संचार माध्यमों के क्षेत्र में क्रान्ति के रूप में उभर कर आया है। वास्तव में यह तार रहित ग्लोबल कम्प्यूटर नेटवर्क है जो विश्व की कम्प्यूटर प्रणाली को आपस में जोड़कर विभिन्न सूचनाएँ और अन्य सुविधाएँ प्रदान करता है। भारत में सर्वप्रथम 15 अगस्त, 1995 को विदेश संचार निगम द्वारा इसका प्रारम्भ हुआ। इंटरनेट द्वारा सर्च इंजन की सहायता से हम जानकारी प्राप्त करने के साथ-साथ ऑनलाइन टिकट बुकिंग, बैंकिंग, पढ़ाई, मनोरंजन, मित्र बनाना, पत्र भेजना आदि कई कार्य कर सकते हैं। परंतु इंटरनेट के बढ़ते प्रयोग से विद्यार्थियों का बहुत समय बर्बाद होता है। इससे कम्प्यूटर में वायरस का खतरा भी बढ़ जाता है। कुछ लोग हमारी गोपनीय जानकारी प्राप्त करके हमें नुकसान पहुँचा सकते हैं। अतः हमें इस सुविधा का प्रयोग नियन्त्रित एवं सकारात्मक रूप से करना चाहिए।

15. (क) सेवा में, 

 महाप्रबंधक महोदय,
 
 दिल्ली जल बोर्ड,
 
 ग्रेटर कैलाश,
 
 नई दिल्ली।
 
विषयः जल वितरण की समस्या के संदर्भ में।
 
माननीय महोदय,
 

इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान जल वितरण की अनियमितता की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ, दिल्ली में लगातार जल संकट गहराता जा रहा है। लोगों में इसके लिए काफी रोष है। ऊँची इमारतों तक तो कम दबाव के कारण जल पहुँच ही नहीं पा रहा है। पूरे शहर में ये परेशानी महसूस की जा रही है।

अत्यधिक प्रभावित इलाकों में केवल एक बार जलापूर्ति की जा रही है, परंतु बाकी इलाकों में पानी का दबाव भी कम ही होता है। वाजीराबाद और चंद्रावल वाटर ट्रीटमेंट प्लांट अब भी पूरी क्षमता से पानी की आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। जब तक पड़ोसी राज्य से पानी नहीं आ जाता तब तक स्थिति में कोई सुधार की उम्मीद कम ही है।

दक्षिणपुरी, अंबेडकर नगर, ग्रेटर कैलाश एवं वसंत कुंज सहित दक्षिणी दिल्ली के कई क्षेत्र इस समस्या से प्रभावित है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि इस समस्या का सामना पूरा शहर कर रहा है।

अतः आप से अनुरोध है कि जनता की असुविधाओं को ध्यान में रखकर इस संकट से शीघ्र मुक्ति दिलाने की कृपा करें।

 
धन्यवाद!
 
भवदीय
 
गुरमीत सिंह (अध्यक्ष)
 
ग्रेटर कैलाश लोक कल्याण समिति
 
दिनांक 24-09-20XX

अथवा

(ख) आदर्श नगर

जयपुर।

दिनांक-2 सितम्बर, 20XX

प्रिय मित्र,

कैसे हो? आशा करता हू कि कुशलतापूर्वक होगे। मैं भी अच्छा हू। बहुत दिनों से तुम्हारे कोई समाचार प्राप्त नहीं हुए। मैंने अभी हाल ही में कन्या भ्रूण हत्या पर आधारित एक नाटक देखा, जिसकी कहानी मेरे हृदय को अन्दर तक झकझोर गई कि कैसे संकीर्ण मानसिकता वाले व्यक्ति एक कन्या का जन्म होना अभिशाप मानते हैं। उसके दुनिया में आने से पूर्व ही उसकी हत्या कर देते हैं। अगर सभी इस प्रकार करने लग जायेंगे तो लड़के-लड़कियों का अनुपात बिगड़ जाएगा। वे लोग ये कैसे भूल जाते हैं, कि हमें जन्म देने वाली भी एक स्त्री है। मुझे इस तरह की सोच रखने वालों पर बहुत तरस आता है, साथ ही गुस्सा भी बहुत आता है। हमें अपने आस-पास कन्या भ्रूण हत्या जैसे जघन्य कुकृत्यों को रोकना होगा तथा उनकी इस सोच को भी बदलना होगा कि बेटियाँ बेटों से कमतर हैं; उनको बताना होगा कि प्रत्येक क्षेत्र में बेटी बेटे से आगे है। तुम भी पत्र लिखकर इस पर अपने विचारों से अवगत कराना। अंकल, आँटी को मेरा प्रणाम कहना ।

तुम्हारा प्रिय मित्र

निखिल

16. (क)

स्ववृत्त

नाम : नरेंद्र कुमार
पिता का नाम : सुरेश कुमार
माँ का नाम : गीता देवी
जन्म तिथि : 18 नवंबर, 1982
वर्तमान पता : डी 72, पाकेट चार, मयूर विहार (फेज एक) दिल्ली 110001
स्थायी पता : "
टेलीफोन नं. : 011-22718296
मोबाइल : 9868234XX
ई-मेल : [email protected]

 शैक्षणिक योग्यताएँः

क्र.स. परीक्षा वर्ष विद्यालय/बोर्ड/महाविद्यालय/विश्वविद्यालय विषय श्रेणी प्रतिशत
1. दसवीं 1997 राजकीय विद्यालय, सीबीएसई हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान प्रथम 93%
2 बारहवी 1999 राजकीय विद्यालय, सीबीएसई अंग्रेजी, भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, गणित प्रथम 95%
3 बी.एस-सी
(आनर्स)
2002 दिल्ली विश्वविद्यालय कम्प्यूटर सांइस प्रथम 84%
3 बी.एस-सी
(आनर्स)
2002 दिल्ली विश्वविद्यालय कम्प्यूटर सांइस प्रथम 84%
4 एम.बी.ए. 2004 आदर्श इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन 85%

 अन्य योग्यताएँः

  • कम्प्यूटर का अच्छा ज्ञान और अभ्यास (एम.एस. ऑफिस तथा इंटरनेट)
  • फ्रांसीसी भाषा का कार्य योग्य ज्ञान

अथवा

(ख) To : [email protected]

cc : [email protected]

Subject: योग-शिक्षा का महत्व बताने हेतु।

महोदय,

जन-जन की आवाज, जन-जन तक पहुँचाने के लिए कटिबद्ध आपके समाचार पत्र के माध्यम से मैं विद्यालय में योग-शिक्षा के महत्व को बताना चाहती हूँ।

योग शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थी स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होंगे। योग शिक्षा उनके स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है। योग के माध्यम से वे अपने शरीर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकालकर सकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण कर, स्वयं को ऊर्जावान महसूस कर सकते हैं। योग हमारे स्वास्थ्य के लिए जीवनदायिनी औषधि की भाँति है। आप अपने समाचार-पत्र के माध्यम से पाठकों को योग-शिक्षा ग्रहण करने के लिए आग्रह करें।

सधन्यवाद!

भवदीया

नीतू

आगरा।

17. (क)

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(ख)

निमंत्रण-पत्र

18-08-20XX     

कल 18-8-20XX मेरे जन्मदिन के उपलक्ष्य में आप कार्यक्रमानुसार सहर्ष आमंत्रित हैं।

संगीत एवं नृत्य कार्यक्रम............................................... सायंकाल 5 बजे

केक कटिंग........................................सांयकाल 6 बजे

प्रीतिभोज............................................सांयकाल 6:30 बजे

मैंने अपने अन्य सखियों को भी निमंत्रण भेजा है। आशा है तुम समय पर अवश्य पहुँच जाओगी।

तुम्हारी सखी

CBSE Practice Paper Hindi-A Class 10

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