Oswal Practice Papers CBSE Class 10 Hindi-A Solutions (Practice Paper - 8)

खण्ड-(अ)

1. (1) (घ) ये सभी कार्य करने की

(2) (ख) 2023 तक टी.बी. को जड़ से खत्म करने का

(3) (क) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।

(4) (क) कथन (ii) व (iv) सही हैं।

(5) (ग) स्वच्छता और सामान्य स्वास्थ्य से

2. (1) (क) कथन (iii) व (iv) सही हैं।

(2) (घ) इन सभी भावों से

(3) (ग) धरती और आकाश

(4) (क) कथन (A) सही है, किन्तु कारण (R) गलत है।

(5) (ग) कथन (i), (ii) व (iii) सही हैं।

3. (1) (ख) स्कूल की घंटी बजते ही प्रार्थना शुरू हो गई।

(2) (क) सरल वाक्य

(3) (ग) वर्षा बंद हुई और किसान खेतों में जाने लगे।

(4) (क) कथन (i) और (iii) सही हैं।

4. (1) (ख) मैंने निबंध लिखा।

(2) (ख) भाई साहब के द्वारा मुझे पतंग दी गई।

(3) (ग) कर्मवाच्य

(4) (ग) केवल 4 सही है।

(5) (ख) 1-iii, 2-i, 3-ii

5. (1) (घ) भाववाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग

(2) (घ) क्रिया, अकर्मक, एकवचन, स्त्रीलिंग, भूतकाल, कर्तृवाच्य

(3) (क) जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन

(4) (क) पुरुषवाचक सर्वनाम, अन्यपुरुष, बहुवचन, कर्ता कारक

(5) (ग) अनिश्चित संख्यावाचक, विशेषण, पुल्लिंग बहुवचन, विशेष्य ‘लोग’

6. (1) (ग) श्लेष अलंकार का

(2) (घ) उत्प्रेक्षा अलंकार

(3) (ख) अतिशयोक्ति अलंकार

(4) (ख) मानवीकरण अलंकार

(5) (ख) मानवीकरण अलंकार

7. (1) (क) संस्कृत

(2) (घ) उपरोक्त सभी

(3) (ख) न्यूटन

(4) (घ) संस्कृत

(5) (क) पेट की ज्वाला

8. (1) (ख) वे तल्लीनता के साथ गीत गाने लगे।

(2) (घ) ‘कड़वा खीरा’

9. (1) (ख) अरुणिम

(2) (क) जीवन के सुखद क्षणों की स्मृतियों का

(3) (घ) (d) (क) और (ग) दोना

(4) (क) जयशंकर प्रसाद

(5) (ग) पुरानी बातों को दोहराना

10. (1) (घ) इन सभी गुणों से युक्त

(2) (ग) वे बाल ब्रह्मचारी तथा अत्यंत क्रोधी स्वभाव वाले थे।

खण्ड-(ब)

11. (क) बालगोबिन भगत की पुत्रवधू बहुत सुशील थी। वह बालगोबिन भगत को अकेले नहीं छोड़ना चाहती थी। उसे चिंता थी कि भगत के लिए भोजन कौन बनाएगा? यदि वे बीमार पड़े तो उनकी देखभाल कौन करेगा? इसीलिए वह अपना शेष जीवन उनकी सेवा करते हुए बिताना चाहती थी।

(ख) ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ में एक नवाब साहब के द्वारा खीरा खाने के बेहद नजाकत भरे अंदाज़ का लेखक ने अत्यंत रोचक शैली में वर्णन किया है। लखनवी नवाब खीरों को खाए बिना केवल उन्हें सूँघकर ही तृप्त हो जाते हैं इसी दिखावे को वे अपनी शान समझते हैं। पाठ का शीर्षक व्यंग्यात्मक रूप में उनकी इसी बनावटी जीवन-शैली पर आधारित है। अतः सार्थक है।

(ग) बिस्मिल्ला खाँ जीवन भर ईश्वर से अच्छा सुर माँगते रहे क्योंकि वह जानते थे कि उनकी पहचान, उनका सम्मान, शहनाई के सुर में ही है। यदि सुर एक बार फट गया तो उसे बदला नहीं जा सकता है। इससे उनकी अपने कार्य के प्रति श्रध्दा व आस्था दिखाई देती है।

(घ) पानवाले द्वारा कैप्टन का मज़ाक उड़ाया जाना हालदार साहब को अच्छा नहीं लगा। वे सोचने लगे कि कैप्टन जैसे लोग ही सच्चे देशभक्त होते हैं, जो निःस्वार्थ भाव से राष्ट्र के प्रति सच्ची श्रध्दा रखते हैं। स्वार्थी एवं लालची जाति के लोगों द्वारा ऐसे देशभक्तों का मजाक उड़ाया जाना हालदार साहब को आहत करता है, जो अपने देश की खातिर अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देते हैं। उन्हें बार-बार यह चिन्ता सताती है कि जहाँ ऐसे स्वार्थी जाति के लोग रहते हैं, उस देश का भविष्य कैसे सुरक्षित रहेगा ?

12. (क) राम और लक्ष्मण की प्रतिक्रियाओं से स्पष्ट होता है कि राम स्वभाव से बहुत शांत, धैर्यशील और विनम्र हैं। राम निडर, साहसी और मृदुभाषी हैं। वे गुरुजनों और बड़ों का सम्मान करना अपना कर्तव्य समझते हैं, वहीं लक्ष्मण वीर किन्तु उग्र स्वभाव के हैं। वे तर्कशील और वाकपटु हैं। वे व्यंग्य करने में भी बहुत निपुण हैं। परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण के व्यंग्यपूर्ण वचन अग्नि में आहुति के समान तथा राम के वचन शीतल जल के समान प्रतीत होते हैं।

(ख) निराला जी की ‘उत्साह’ कविता एक आह्वान गीत है, जिसमें कवि क्रांति की अपेक्षा करते हुए बादलों से गर्जना करने को कहता है। बादलों की फुहार और रिमझिम व्यक्ति के मन में कोमल भावनाओं का संचार करती है। ऐसे भावों से कवि का उद्देश्य पूरा नहीं होता। इसीलिए वह बादलों से गरजने के लिए कहता है, जिससे उदासीन लोगों के मन में उत्साह का संचार हो सके।

(ग) हमारे विचार से उघ्दव वास्तव में बड़भागी हैं। उन्हें कृष्ण एवं गोपियों के सान्निध्य में रहने का अवसर मिला। जिस प्रकार सूरदास रसखान, मीराबाई आदि कृष्ण की भक्ति में लीन होकर धन्य हो गये तथा वे आज भी अमर हैं। उघ्दव भी गोपियों एवं श्रीकृष्ण के संसर्ग में रहने के कारण आज भी लोगों के बीच अमर हैं। अतः उघ्दव को वास्तव में सौभाग्यशाली कहा जाना चाहिए।

(घ) खनिज-लवण युक्त पानी, उर्वरा-शक्ति युक्त मिट्टी, सूर्य की ऊष्मा, वायु तथा मानव का परिश्रम फसल उगाने हेतु आवश्यक तत्व हैं। कविता में इन्हीं सबके द्वारा फसल उपजाने की महिमा का वर्णन किया गया है।

13. (क) भोलानाथ के खेल और खेलने की सामग्री से आजकल के खेल और खेल सामग्रियों में बहुत अंतर आ गया है। उस समय बच्चों को घर से बाहर खेलने की पूर्ण स्वतंत्रता थी। बच्चे बाहर और घर में पड़ी अनुपयोगी वस्तुओं से ही अपनी खेल सामग्री तैयार कर लेते थे। सभी बच्चों में बहुत आत्मीय सम्बन्ध थे। बच्चे धूल, मिट्टी में खेलकर अपार आनंद अनुभव करते थे।

आज खेल सामग्री बाजार से खरीदी जाती है। धूल-मिट्टी से बच्चों का परिचय ही नहीं हो पाता। बच्चे घर में ही माता-पिता के सुरक्षा घेरे में अत्याधुनिक महँगे स्वचालित खिलौनों से खेलते हैं।

(ख) लेखक ने कहा है कि ऐसा कृतिकार बाहरी दबाव के प्रति समर्पित नहीं हो पाता है, वह उसे केवल एक सहायक यन्त्र की तरह उपयोग में लाता है, जिससे उसका सम्बन्ध भौतिक यथार्थ के साथ बना रहे। इस सब से उनकी भीतर की विवशता प्रकट होती है। यह कुछ उस तरह की भावना है जैसे प्रातः काल नींद खुल जाने पर भी कोई बिछौने पर तब तक पड़ा रहे जब तक अलार्म ना बज जाए।

(ग) वर्तमान पीढ़ी द्वारा प्रकुति का दोहन किया जा रहा है। वनों को काटा जा रहा है और नगरों और फैक्ट्रियों के कचरे से पवित्र नदियों के जल को दूषित किया जा रहा है। सुख-सुविधा के नाम पर पाॅलीथीन के बढ़ते प्रयोग से: भूमि और वाहनों के ज़हरीले धुएँ से वायुमंडल प्रदूषित हो रहा है जिससे मौसम चक्र प्रभावित हो रहा है और ग्लेशियर तेज़ी से पिघल रहे हैं।

इसे रोकने के लिए हम अनेक प्रकार से सहयोग दे सकते हैं-हरे-भरे वृक्षों को न काटें और न किसी को काटने दें, गंदे जल और अपशिष्ट पदार्थों को नदियों में न डालें, पाॅलिथीन का प्रयोग बंद कर दें तथा वाहनों का प्रयोग भी कम करें।

14. 

(क) लोकतंत्र में मीडिया का उत्तरदायित्व

लोकतंत्र जनहितकारी तथा न्याय पर आधारित शासन व्यवस्था है। लोकतंत्र को संपूर्ण विश्व में स्थापित करने के लिए मीडिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ईमानदार और निष्पक्ष मीडिया ही लोकतंत्र का आधार होता है। मीडिया को लोकतंत्र का चैथा स्तंभ माना जाता है।

मीडिया के दो रूप हैं- प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रोनिक मीडिया। प्रिंट मीडिया में समाचार-पत्र-पत्रिकाएँ तथा इलेक्ट्रोनिक मीडिया में टी.वी., रेडियो, इंटरनेट आदि शामिल हैं। मीडिया को अपना कार्य करने की पूरी स्वतंत्रता होती है, इसलिए मीडिया का भी उत्तरदायित्व है कि वह किसी घटना या समाचार को पूरी निष्पक्षता के साथ जनता के समक्ष रखे। मीडिया का भयमुक्त होकर कार्य करना अत्यंत आवश्यक है। समाचार-पत्रों में भी संपादक को अपनी बात निष्पक्ष होकर लिखनी चाहिए। मीडिया जनजागरण का एक सशक्त माध्यम है, अतः वह बिना किसी प्रलोभन में आए हुए जनता को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति भी जागरूक कर सकता है। मीडिया को अपना उत्तरदायित्व समझना होगा और सस्ती लोकप्रियता पाने के मोह से बचना होगा, तभी हमारे राष्ट्र का भविष्य उज्ज्वल होगा।

(ख) योग और छात्र जीवन

योग भारतीय  संस्कृति का मूलाधार है। छात्र जीवन में इसकी उपयोगिता और भी बढ़ जाती है। योग का शाब्दिक अर्थ है मिलान या जोड़ना। योगाभ्यास द्वारा व्यक्ति अपने मन और इद्रियों को नियंत्रित करके उनका आत्मा से मिलन कराने में समर्थ हो जाता है। योग और खेल छात्रों को ऊर्जावान रखते हैं और उन्हें जीवन के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण देते हैं। सुबह-सुबह योग का नियमित अभ्यास हमें कई शारीरिक और मानसिक रोगों से दूर रखता है। योग मुद्रा या आसन छात्रों के शरीर और दिमाग को तेज करते हैं साथ ही उनमें कल्याण की भावना पैदा करते हैं। योग नकारात्मक विचारों को नियंत्रित करता है। यह बच्चों को प्रकृति से भी जोड़ता है। योग द्वारा छात्र श्रेष्ठ जीवन का आचरण करके एक आदर्श मानव बन सकते हैं।

(ग) विपत्ति कसौटी जे कसे ते ही साँचे मीत

मित्रता एक पवित्र भावना है। जीवन में पग-पग पर मित्र की आवश्यकता पड़ती है। मित्र के अभाव में जीवन नीरस हो जाता है। आदर्श मित्र व्यक्ति का शुभचिंतक तथा मार्गदर्शक होता है। विपत्ति के समय साथ देने वाला ही सच्चा मित्र कहा जाता है। सच्चा मित्र मिलना बड़े सौभाग्य की बात है। कहा भी गया है- ‘विश्वासपात्र मित्र जीवन की औषधि है।’ एक सच्चा मित्र सदैव अपने साथी को सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है व उसे कुमार्ग, कुविचार और कुरीतियों से दूर रखने की कोशिश करता है। एक सच्चे मित्र की परख विपत्ति काल में ही होती है, इसीलिए तुलसीदास ने भी अच्छे मित्र की कसौटी विपत्ति ही बताई है। सच्चा मित्र हमारे जीवन में उत्साह भर देने वाला निष्कपट व्यक्ति होता है। एक सच्चा मित्र अमूल्य धरोहर है जो हमारे जीवन को सँवार देती है। 

15. (क) अ ब स छात्रावास

क ख ग नगर,
 
नई दिल्ली
 
दिनांकः 24-03-20XX
 
पूज्य पिताजी,
 
सादर चरण स्पर्श।
 

आपके भेजे पत्र द्वारा ज्ञात हुआ कि वहाँ सब कुशलमंगल है। मैं भी यहाँ अपनी प्रथम सत्र की परीक्षा की तैयारी में लगा हुआ हूँ। पिताजी, इस दशहरावकाश में हमारे विद्यालय से छात्रों को एक सप्ताह के लिए शैक्षिक भ्रमण हेतु ले जाया जा रहा है। इसमें 40 छात्र, 4 अध्यापक तथा 2 व्यायाम शिक्षक जा रहे हैं। इस शैक्षिक भ्रमण कार्यक्रम में हमें उज्जैन, इंदौर, धार, मांडू आदि स्थानों को दिखाया जाएगा। भ्रमण का उद्देश्य विद्यार्थियों को सामाजिक अध्ययन तथा भूगोल विषय से सम्बन्धित उपयोगी जानकारी देना है। इस अवधि में हमारा पढ़ाई का नुकसान भी नहीं होगा। इसमें शामिल होने के लिए आपकी लिखित अनुमति के साथ मुझे खर्च के लिए ₹3000 की आवश्यकता है। आशा है आप मुझे इसमें शामिल होने के लिए सहर्ष अनुमति देंगे।

पूज्य माताजी को सादर चरण स्पर्श तथा छोटी बहन गायत्री को मेरा स्नेह कहिएगा।
 
आपका आज्ञाकारी पुत्र
 
मनीष

अथवा

(ख) बसंत विहार
 
नई दिल्लीः 110092
 
दिनांक 24-03-20XX
 
संपादक,
 
दैनिक जागरण,
 
62ए गौतम बुद्ध नगर,
 
उत्तर प्रदेश।
 
विषय - वन विभाग द्वारा रोपित वृक्षों के सूखने के सम्बन्ध म
 
महोदय,
 
आपके प्रसिद्ध समाचार-पत्र के माध्यम से मैं वन विभाग के अधिकारियों का ध्यान अपने क्षेत्र में सूखते वृक्षों की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ।
 
दिनांक 5 जून, 20XX को हमारी काॅलोनी के निकट स्थित पार्क में बहुत धूमधाम से ‘वन महोत्सव’ मनाया गया था। इस अवसर पर वन विभाग द्वारा बहुत से पौधे लगाए गए थे किंतु बाद में न तो उनकी सुरक्षा का कोई उपाय किया गया और न ही उनकी देखभाल और सिंचाई पर कोई ध्यान दिया गया, जिससे बहुत से पौधे सूख गए और शेष भी सूखने की कगार पर हैं। उन पौधों की सुरक्षा के लिए भी कोई जाली नहीं लगाई गई जिस कारण गाय, भैंस आदि जानवर उन्हें नुकसान पहुँचाते हैं। अतः आपसे प्रार्थना है कि मेरे इस पत्र को अपने समाचार-पत्र में स्थान देने की कृपा करें ताकि सम्बन्धित अधिकारियों का ध्यान उन सूखते वृक्षों की ओर आकर्षित हो और वह उन्हें बचाने के लिए अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को यथोचित आदेश देकर उचित कार्यवाही करें। धन्यवाद सहित
 
भवदीय
 
आशुतोष

16. (क) सेवा में,

प्रधानाचार्य,
 
राजीव गाँधी, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय
 
महोदय,
 
मुझे ज्ञात हुआ है कि आपके विद्यालय में गणित शिक्षक हेतु पद रिक्त है। जिसके लिए मैं अपना आवेदन-पत्र प्रस्तुत करना चाहता हूँ। वांछनीय विवरण निम्न प्रकार है
नाम : श्री अजय कुमार
पिता का नाम : श्री अक्षय कुमार
माँ का नाम : श्रीमती नीरा
जन्म तिथि : 4.12.1990
वर्तमान पता : 65, ए विकास नगर, पानीपत
स्थायी पता : 65, ए विकास नगर, पानीपत
टेलीफोन : 0184-4587521
ई-मेल : [email protected]

शैक्षणिक योग्यताएँः

परीक्षा बोड विषय श्रेणी प्रतिशत
दसवी सीबीएसइ हिंदी, अंग्रेजी, साइंस, गणित, संस्ड्डत, संगीत प्रथम 90%
बारहव सीबीएसइ हिंदी, अंग्रेजी, संस्ड्डत, गणित, संगीत प्रथम 90%
स्नातक पंजाब विश्वविद्यालय हिंदी, अंग्रेजी, संस्ड्डत, गणित प्रथम 92%

अन्य सम्बन्धित योग्यताएँः

कम्प्यूटर व अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान
 
धन्यवाद,
 
भवदीय,
 
अजय कुमार
 
तिथिः 8-7-2021
 
स्थान: जालंधर

अथवा

(ख) To : [email protected]

cc: [email protected]

Subject: अनुशासन हीनता वेळ लिए क्षमा-याचना हेतु

माननीय महोदय,

सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। मैंने अपनी कक्षा के दो सहपाठियों के साथ मिलकर शरारत की एवं कमरे का फर्नीचर तोड़ डाला। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। कक्षा अध्यापिका जी ने मुझसे 500 दण्ड (जुर्माना) स्वरूप माँगे हैं। मेरे पिताजी एक गरीब आदमी हैं। वह यह दण्ड राशि नहीं दे पाएँगे। मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ कि मुझे इस बार क्षमा कर दिया जाए। मैं आश्वस्त करता हूँ कि मैं दोबारा कोई बुरा काम नहीं करूँगा।

धन्यवाद।
 
आपका आज्ञाकारी शिष्य
 
सुभाष गुप्ता
 
कक्षा दसवीं ‘ब’

17. (क)

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अथवा

 (ख)

संदेश

10 अगस्त, 20XX      प्रातः  8:00 बज 

प्रिय निवेदिता,

आज प्रातः मम्मी की तबियत अचानक खराब हो गई थी। उन्हें साँस लेने में कठिनाई हो रही थी, इसलिए प्रातः 10: 20 पर उन्हें लोटस नर्सिंग होम में भर्ती किया है। डाॅक्टर ने कहा है कि चिंता की कोई बात नहीं है। तुम समय निकालकर आ जाना। मम्मी की देखभाल मैं भली-भाँति कर रहा हूँ। अधिक चिंतित मत होना।

नवनीत

CBSE Practice Paper Hindi-A Class 10

All Practice Paper for Class 10 Exam 2024

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