Oswal 61 Sample Question Papers ICSE Class 10 Hindi Solutions
Section-A
Answer 1.
(i)
कम्प्यूटर-आज की आवश्यकता
आधुनिक युग विज्ञान का युग है इसमें संदेह नहीं की हमें विज्ञान ने हमें चमत्कारी वस्तुएँ प्रदान की है | आज सर्वत्र कंप्यूटर का बोल- बाला है | यदि भारत मै औधोगिक क्रांति लानी है, तो उसके लिए कंप्यूटरकी आवश्यकता है | वर्तमान मै अर्थ, वाणिज्य एबं व्यापार के क्षेत्र मै अति तीव्र गति से परिवर्तन होता जा रहा है जिसमे विज्ञान एवं तकनीकी के कारण विश्व के सभी देशों में प्रतिद्व्निद्वता आ गई है | कोई भी देश इस दौड़ मै पीछे नहीं रहना चाहता | यदि भारत को भी इस क्षेणी मै आना है, तो यहाँ पर कंप्यूटर क्रांति लानी ही पड़ेगी |
निसंदेह कंप्यूटर नै औद्योगो मै क्रांतिकारी मोड़ ला दिया है | यहाँ तक की कारखानों मै निर्मित सामग्री की संख्या ओर उनके स्तर का निर्धारण भी कंप्यूटर दुआरा ही होता है | हानि-लाभ के आँकड़ो की गणना कंप्यूटर स्वयं करता है | औधोगो मै रोबोट (यन्त्र मानव) का उपयोग कंप्यूटर की ही देन है |
बैंकों को कंप्यूटर का योगदान अभूतपूर्व है | विदेशो मै तो कंप्यूटर बैंक मै प्रतेय्क ग्राहक के लिए एक गुप्त 'पिन' रखता है जिसमे दुआरा ग्राहक बैंकों से भुगतान स्वत: प्राप्त कर सकता है | अब तो बड़े- बड़े खातो के रख- रखाव और पैसे के लेन-देन की मथापच्ची से बैंक कर्मचारियो को भी फुर्सत मिलती है | इसमें कोई हेरा - फेरी नहीं हो सकती | आजकल प्रया: सभी संसाधनों, प्रतिष्ठानों मै बिल भी कंप्यूटर दुआरा ही तैयार किये जाते है |रिज़र्व बैंक तथा व्यापारियों बैं को
बैंकों में कम्प्यूटरों का प्रयोग अधिकाधिक होने लगा है, अभी अनुपात में कम्प्यूटरों की अपेक्षा है, का भारतीय बैंकों के लिए पर्याप्त नहीं है। वन बीमा निगम के जटिल कार्यों से निबटने में कम्प्यूटर को अहम् भूमिका है।
हमारी अंतरिक्ष यात्राये कम्प्यूटर पर ही आश्रित है। कम्प्यूटर की सहायता के बिना रॉकेट या उपग्रह अन्तरषित नहीं किये जा सकते उनका निधन हो सकता है। परिवहन और दूरसंचार में भी कम्प्यूटरों का विशेष योगदान है। रेलयात्रा या वायुयात्रा मै आरक्षका कार्य कम्प्यूटर के द्वारा आसान हुआ है। सभी राष्ट्रों के शिक्षण कार्य में कम्प्यूटर को अधिकाधिक मदद ली जा रही है जटिल से जटिल समस्याओं का निराकरण कम्प्यूटर द्वारा पलक झपकते हो कर सकते हैं।
अपराध निवारण में भी कम्प्यूटर बहुत उपयोगी है। पश्चिम के कई देशों में सभी को अधिक्रत वाहन मालिकों और कार रिकॉर्ड पुलिस के एक विशाल कम्प्यूटर मै होता है और कम्प्यूटर क्षण मात्र मै सुचना देता की वास्तविक मालिक कोन है? कम्प्यूटर शोध कायों में भी बहुत सहायक है। सोवियत रूस मै 'कीव'स्थित कृषिविज्ञान प्रयोगशाला में एक ऐसा कम्प्यूटर विकसित किया गया है जो जंगलों के घटने की दर का विशलेषण प्रस्तुत करेगा | इस प्रकार के कंप्यूटर से किसानो को फसलों को बोने का ज्ञान प्राप्त सकता है।
कम्प्यूटर विवहा कराने, जन्मपत्री बनाने एवं जन्मपत्री मिलने के लिए भी आजकल उपयोग सिद्ध हो रहा है। अमरीका, जापान और रूस में ऐसे कम्प्यूटर का आविष्कार हुआ है जो होम कम्प्यूटर है। घर बैठे बाज़ार में उपलब्ध चीजो और और उनके मूल्य का पता लगाया जा सकता है|
नि:संदेह कंप्यूटर आधुनिक युग की पहचान है | उसकी कार्यक्षमता की बराबरी नहीं की जा सकती भविष्य मै उसकी बड़ने की ही सम्भावना है | इसमें भारत को एक खतरा अवश्य है , वह यह है कि इसके आधिक्य से भारत मै बेरोज़गारी की समस्या बढेगी | भारत के पास 'मेन पावर ' है परन्तु कंप्यूटर से अनेक के स्थान पर एक व्यक्ति काफी है। इसके अतिरिक्त यह महँगा कार्य है। उत्तम कोटि के कम्प्यूटर भारत को विदेशों से आयत करने पड़ते है इससे हमारी अर्थव्यवस्था चरमरा जएगी | इसके अतिरिक्त इनके रख-रखाव के लिए विशेज्ञ भी विदेशो से ही बुलाना पड़ेगा | ये ऑपरेटर भी काफी धनराशी लेकर ही एक ही काम करेंगे। इसलिए यह कार्य क्ष्रम प्रमुख न होकर पूँजी प्रमुख अधिक है। इसलिए हमें एक संतुलन बनाकर चलना चाहिए ताकि हमारी प्रगति में भी बाधा न आये बेरोज़गारी मै भी बढ़ोतरी न हो| अत: हमे कंप्यूटर का प्रयोग वहा करना चाहिए इसके बिना काम न चले और जगहों पर हमे अपनी 'मेन पावर' का प्रयोग करना चाहिए ताकि देश में बेरोजगारी भी न बढ़े।
ं
(ii)
स्वस्थ जीवन के लिए मनोरंजन
स्वस्थ जीवन के लिए मनोरंजन अपरिहार्य है। प्राचीनकाल से ही मनुष्य मनोरंजन को आवश्यक अनुभव को है। मनुष्य अपने प्राप्त साधनों से मनोरंजन करता आया है, लेकिन उन साधनों से मनोरंजन करता आया है, लेकिन उन साधनों के मनोरंजन से उसे सन्तोष नहीं हुआ | अत: वह मनोरंजन के साधनों में निरन्तर विकास करता आया है। प्राचीनकाल में मनोरंजन के साधन सीमित थे जैसे- नाटक, स्वांग, महफ़िल, नट, रीछ व बंदर का तमाशा, सर्कस नृत्य और खेलकूद आदि। इसके अतिरिक्त कठपुतली का खेल शतरंज, ताश के खेल, चोपड,चित्रकला,गाना, बजाना आदि भीमनोरंजन के प्रमुख साधन थे|जो आज प्रचलित है
मनोरंजन के आधुनिक साधनों में विज्ञान ने आधिक सहयता पहुचाई है|मानव की मनोरंजन की समस्या का प्रमुख समाधान नै बड़ी आसानी से कर दिया है | विज्ञान ने मानव को रेडियो, सिनेमा, टेलीविजन आदि साधन प्रदान किये | मनोरंजन से आधिक साधनों मै सिनेमा सबसे अधिक लोकप्रिय है। आज हम देखते हैं कि कस्बों से लेकर शहरों तक में सिनेमा का प्रचलन हो गया है। सिनेमा नाटक का विज्ञान दुआरा परिष्कृत रूप है प्राचीन या आधुनिक नाटकों में जिन घटनाओं को असंभव मानकर नहीं दिखाया जाता था, उन्हीं घटनाओं को सिनेमा माँ सफलतापूर्वक दिखाया जाता है | सिनेमा में नाटक की तरह कोई अभिनेता सामने नहीं आता अपितु उसका बोलता और चलता-फिरता चित्र दिखाई देता है। वेघटनाएँ वास्तविक- सी प्रतीत होती है | सिनेमा अत्यंत सस्ता, सरल और सुलभ साधन है। सिनेमा के माध्यम से अपने शहर में उच्कोती के अभिनेताओ, संगीतकारों,औरों को कलाकारों की कला का दर्शन सुलभ हो जाता है | आज सिनेमा बालक से लेकर वर्द्ध तक सभी में लोकप्रिय है |
दूसरा साधन है रेडियो जो सामूहिक मनोरंजन का साधन न होकर पारिवारिक मनोरंजन का साधन है| इस्सके दुआरा अपने घर पर ही बेठकर देश-विदेश के समाचार सुने जा सकते है ओर गीत-संगीत के दुआरा अपना मनोरंजन करते हैं। इसके गीत कंप्रिय होते है |और संगीत भी सुनने में सरस होता है| संसार में अनेक रेडीयों-स्टेशन है जो भांति-भांति के प्रोग्राम प्रसारित कर क्श्रोताओ का मनोरंजन करते है |
आज तो मोबाइल में भी संगीत और गाने सुनाई देते है। जन भी समय हो तो गानों के दुआरा अपना मनोरंजन कर सकते है। आधुनिक समय में टेलीविजन मनोरंजन का प्रमुख साधन है। टेलोविजन पर सिनेमा को तरह फिल्म,धारावाहिक, हस्य व्यंग्य, कविता आदि के सुनने और देखने का आनन्द प्राप्त होता है। आज हर घर में टेलीविजन प्रत्येक अमीर-गरीब के लिए टेलीविजन मान लो विज्ञानक का वरदान है। टेलीविजन ने अन्य साधनों को जैसे असफल बना दिया है। बाहर से तखा-हारा मनुष्य टेलीविजन देखकर फिर से तरोताजा हो जाता है अर्थात उसककी थकान मिट जाती है। वह पर बैठकर विश्व के सभी समाचारों की जानकारी कर सकता है। इस प्रकार मनोरंजन के साथ-साथ यह ज्ञान भी प्रदान करता है। आजकल तो टेलीविजन पर प्रत्येक समय कुछ कुछ आता रहता है। हर दिन कई फिल्में दिखाई जाती है। लोक के प्रचलन ने सिनेमा को भी पीछे कर दिया है।
मनोरंजन के साधन पद्यपि अधिक है, पर मनुष्य को चिंता अधिक देते है। टेलीविजन पर अधिक क्र्कुर और भ्ध्हे धारावाहिक दिखाए जाते है जो भावी पीड़ी के लिए अत्यन्त हानिकारक है। छात्रों के लिए टेलीविजन अत्यंत हानिकारक साबित हो रहा है | इससे पढाई मै हानि होती है और गलत मार्गदर्शन भी होता है। किसी हद तक टेलीविजन देखना मनोरंजन देखने के लिए अच्छा है, पर अधिक देखना हानिकारक है। टेलीविजन मनुष्य को समाज दूर कर देता है | अति हर चीज़ की बुरी होती है अत: इन साधन को सिमित समय मै ही उपयोग करना चाहिए |
माता-पिता से आशा करते है कि हमारा अच्छी तरह पालन-पोषण करे| हमारी लिखाई-पढाई का प्रबंधन | हमारी हर सुविधा ध्यान रखे| अपने बड़े भाई या बहन से हमें आशा है कि वेहमारे साथ सहानुभूति रखे, हमें प्रेम करें| हमारे सुख दुःख में हमको सहरा दे | हमारे गुरुजानो अथवा अध्यापकों से हमारी बड़ी आशाएँ होती है वास्तव मै गुरु ही हमारे जीवन को बनाने वाले होते है | उनको हम आदर्श मानकर चलते है | उनकी प्रतेयक गतिविधि, उनका प्रतेयक व्यवहार अनुकरणीय हो ऐसा हमको उनसे आशा है |जब हम आपने किसी आध्यापक मै कोई दोष पाते है तो हमे दुःख होता है | मन कहता है कि वे हमारे अध्यापक होने योग्य नहीं है | अध्यापकों को तो हम अपना आदर्श समझते है |
हम चाहते है कि हमारे अधयापक कक्षा मै हमें इतनी तरह से पढाई की हमको कक्षा मै ही सारी बाते याद हो जाये | घर पर याद करने आवश्यकता न रहे। खेल के मैदान में जब जाते है हम चाहते है कि हमारे कीड़ा अध्यापक हमें खेल खिला रहे जिससे हमारा मनोरंजन होता रहे | स्कूल हमारे लिए आदर्श बना रहे। इसलिए हम अपने प्र्धन्याध्यापक से आशा रखते हैं कि वे हर तरह से हमारी उनका प्रबंध करें।
राजनेताओ से हमे बड़ी-बड़ी आशाएँ होती हैं। हम चाहते है कि वे देश को उचा उठाएं | हमारी समस्याओं का समाधान करे | ऐसे नियम बनाये जिससे नागरिक जीवन अच्छा बने | अधिकरीयों से हमे आशा है की वे अपने-अपने कार्य को मुस्तेदी से करे | उदाहररण के लिए पुलिस कर्मचारी यदि सावधानी से कार्य करे देश में शान्ति रह सकती है | दिन-दहरे लूट, होती है, गुंडे-बदमाश साधरण लोगो के जीवन को दूभर बना देते है पुलिस कर्मचारी का कर्तव्य है कि वे जनता की सुरक्षा प्रबन्ध करें। इसी प्रकार न्यायालय से हमे आशा है कि वे जनता को न्याय दें। न्यायाधीश यदि मुस्तेदी से कार्य करें तो होने वाली भीड़-भाड़ कम हो सकती है। अस्पतालों मैं यदि डॉक्टर लोग मरीजो की देखभाल करे तो अस्पताल स्वर्ग बा सकते है। कार्यालयों में यदि सारे कार्य तेजी से हो तो जन-जीवन सुखी हो सकता है | सुख हो सकता है। इस प्रकार हमे अपने लोगो से अनेक आशायें होती है |
"जो न मित्र दुःख होई दुखारी तिनहिं बिलोकत पातक भारी॥"
एक दिन दरबार में आकर खाना खाकर अपने शयन कक्ष में चला गया लगा | राजा विश्राम करने लगा और करने लगा और बन्दर ने पंखा लेकर हवा करना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में शीतल पवन के स्पर्श से राजा को नींद गहरी नींद आ गई। कुछ देर बाद एक मक्खी आकर राजा को नाक पर बैठ गई। बन्दर ने उसे पंखे से उड़ा दिया | वह मक्खी पुन: वही पर आ रही थी बन्दर राजा को बहुत बहा था। मक्खी हरकत से उसे बहुत क्रोध आया। उसने इधर-उधर देखा तो पाया कि एक कोने में राजा की खुली तलवार रखी थी बन्दर उठा और दोनों हाथों से तलवार को उठा लाया और बड़े जोर से उसे राजा की नाक पर बेठी हुई मक्खी पर दे मारा। मक्खी तो उड़ गई लेकिन तलवार के वार ने राजा को बुरी तरह घायल कर दिया और राजा तदपने लगा| वह मुर्ख बन्दर भी आश्चर्य में राजा को देखकर दुःखी हुआ, लेकिन अब क्या हो सकता था, थोड़ी देर मै राजा म्रत्यु को प्राप्त हुआ जब लेगों ने मरे हुए राजा को देखा तो बोले- "मुर्ख मित्र से समझदार शत्रु अच्छा होता है |" इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है कि मुर्ख मित्र (सेवक) कभी भी हमारा अहित कर सकता है | अत: मुर्ख मित्र (सेवक) आपने पास नहीं रखना चाहिए |
पिछले कुछ वर्षों से हमारे देश में खेल-कूद के क्षेत्र में काफी काम हुआ है। ओलम्पिक प्रतियोगिताएँ, एशियन क्रीड़ाएँ आदि अन्तर्राष्ट्री य स्तर की प्रतियोगिताओं में भारत के खिलाड़ियों ने कई ‘मैडल्स’ और ‘कप’ जीते हैं और भारत का सम्मान बढ़ाया है। इस क्षेत्र में एक बड़ी विशेषता है–महिलाओं का आगे आना। आज भारत में क्रिकेट, हॉकी, टेनिस, बैडमिण्टन, टेबि लटेनिस, बॉली-बाल, बास्केटबाल आदि खेलों की महिला टीमें बनी हैं। हाई जम्प, डिस्कथ्रो, दौड़ जैसे खेलों में भी महिलाएँ विजयी हुई हैं। कुछ वर्ष पूर्व हमारे देश के अनेक खिलाड़ियों ने विश्व-स्तर पर कीर्तिमान स्थापित किया है। हमारे लिए यह गर्व की बात है। हमारे विद्यालयों में भी खेलकूद पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा है। खेलों से बच्चों में खेल भावना के साथ-साथ आपस में प्रेम, कष्ट सहने की क्षमता, अनुशासन आदि गुण विकसित होते हैं। हमारे विद्यालयों में भी खेल-कूद पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा है। खेलों से स्वस्थ स्पर्धा विकसित होती है।
Answer 2.
दयालबाग शिक्षण संस्थान।
दिनांक:12-7-20xx
प्रिय पिंकी
सस्नेह आशीर्वाद।
तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ। सर्वप्रथम तुम्हें बहुत-बहुत बधाई, तुम्हें विदेश जाने का अवसर प्राप्त हुआ है। तुम्हें परेशान या दुःखी होने की आवश्यकता नहीं है। तुम्हें तो खुश होना चाहिए कि तुम अपने लक्ष्य के पथ पर आगे बढ़ रही हो। केव ल दो वर्ष के लिए ही तो परिवार से दूर जा रही हो। कुछ बनने के लिए थोड़ा त्याग तो करना ही पड़ता है। मुझे भी पढ़ाई पूरी कर कुछ बनने के लिए छात्रावास में रहना पड़ रहा है। हमें अपने माँ-बाप का नाम रोशन करने के लिए कुछ दिन का उनसे अलगाव सहना ही पड़ेगा। तुम खुशी-खुशी जाओ और अपनी शिक्षा पूर्ण कर नाम कमाओ तथा हम सबका नाम रोशन करो। हम सबकी खुशी इसी में है कि तुम अपने लक्ष्य तक पहुँचो।
माताजी व पिताजी को मेरा चरण-स्पर्श कहना।
तुम्हारा अग्रज,
अजय
श्रीमान प्रसार प्रबन्धक जी,
‘इण्डिया टुडे’ कार्यालय,
नई दिल्ली।
विषय–पत्रिका का नियमित ग्राहक बनने हेतु पत्र।
महोदय,
मैंने आपकी पत्रिका ‘इण्डिया टुडे’ अपने कॉलेज के पुस्तकालय में पढ़ी। जब मैं कोई रोचक पत्रिका तलाश कर रहा था तो मेरी दृष्टि इस पत्रिका के आकर्षक रंगीन कवर पर पड़ी। मैंने पत्रिका को लेकर पढ़ा। यह पत्रिका मुझे बड़ी रोचक और ज्ञानवर्धक लगी। इसमें प्रधान लेख, राजनीति सम्बन्धी सामग्री, रंगीन चित्रों का संयोजन, फिल्मी लेख एवं नेतागणों की समालोचना बड़े उत्तम ढंग से पढ़ने को मिलती है। पठनीय सामग्री सुरुचिपूर्ण है। मुझे यह बहुत पसन्द आई। विद्यार्थियों को भी इस प्रकार की पत्रिकाएँ पढ़नी चाहिए। इसमें प्रकाशित लेखों को पढ़कर उन्हें राजनीति व अन्य विषय सम्बन्धी जानकारी होती है। यह जानकारी आगे चलकर उनके काम आयेगी। मैंने तो पत्रिका को पढ़कर मन बना लिया था कि इसका नियमित ग्राहक बन जाऊँ ताकि यह पत्रिका मेरे घर पर उपलब्ध रहे और मेरे साथ-साथ घर के अन्य सदस्य भी इसे पढ़कर ज्ञानार्जन करें। राजनीति की स्पष्ट आलोचना मुझे बहुत पसन्द आई। कुछ लेख समयानुसार बदलती हुई राजनीति के सम्बन्ध में होते हैं। युवकों के लिए भी सुरुचिपूर्ण लेख, खेलों के बारे में और फिल्मों के बारे में सामग्री होती है। छवि चित्रों को संयोजन उत्तम स्तर का होता है। छपाई और कागज की दृष्टि से भी यह पत्रिका उच्च कोटि की है। कृपया इस पत्रिका का वार्षिक मूल्य लिखकर भेज दें ताकि हम उसी हिसाब से धनादेश के द्वारा इसका मूल्य भेज दें। पत्र का उत्तर शीघ्र देने का कष्ट करें और कोई विशेष जानकारी या सूचना देन ी हो तो कृपया अपने पत्र में लिख दें।
धन्यवाद सहित!
भवदीय,
रवि प्रकाश
111-बी, गाँधी नगर,
आगरा-282005.
दिनांक:11-2-20XX
Answer 3.
Answer 4.
Section-B
Answer 5.
Answer 6.
Answer 7.
साहित्य सागर (पद्य)
Answer 8.
Answer 9.
Answer 10.
नया रास्ता (सुषमा अग्रवाल)
Answer 11.
Answer 12.
Answer 13.
Answer 14.
Answer 15.
Answer 16.
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